बढ़ती ब्याज दरों का असर हर कर्ज लेनदार पर पड़ रहा है। और यहां तक कि निवेशक भी इसे अलग नहीं हैं, क्योंकि निरंतर बढ़ती ब्याज दर का मतलब है कि उन्हें अब अधिक रिटर्न कमाना होगा, ताकि उनका मूल रिटर्न महंगाई के दौर में भी बना रहे।
ऊंची ब्याज दरों में महंगाई की ऊंची दर के मिलने से मुश्किल दौर शुरू हो चुकाहै। यह इसलिए क्योंकि पूरा खर्च बढ़ चुका है, जिसकी वजह से घरेलू बजट बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएगा। इसलिए ऐसी स्थिति में, जब बढ़ते खर्च के साथ गिरता रिटर्न मिल जाए तो निवेशक के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हें।
ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि निवेशक सुनिश्चित करे कि वह अच्छे रिटर्न कमाता रहेगा, तब तक भी जब तक परिस्थितियां संभल नहीं जाती ताकि बुरे वक्त में उसने जो पैसा खोया वह उसकी भी भरपाई कर सके। आमतौर पर यह माना जाता है कि निवेशक बढ़ती महंगाई दर में मुनाफा कमाते हैं, क्योंकि तब रिटर्न की दर भी बढ़ती है।
लेकिन यह लाभ या मुनाफे लंबे समय के लिए नहीं बने रहते, क्योंकि महंगाई में किसी भी सुधार से तेजी से रिटर्न में गिरवट देखी जाती है। निवेशकों के लिए असली लाभ तो तभी है, जब वे लंबे समय के लिए ऊंची दरों पर रिटर्न कमा पाते हैं। यहां ऐसे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं, जिनसे कुछ समय के लिए अधिक दर पर रिटर्न कमाया जा सकता है।
दीर्घावधि जमा खाता : बैंकों में कई सावधि जमा खाता विकल्प मौजूद हैं, जिनकी अवधि एक वर्ष से भी कम से लेकर पांच वर्ष से अधिक तक है। सबसे पहली चीज जो निवेशक को करनी चाहिए वह यह कि जब उन्हें पता चले कि ऊंची ब्याज दरों से होने वाली आय बहुत लंबे समय तक के लिए नहीं रहेगी, तब उन्हें खुद के लिए एक लंबी अवधि वाली योजना में निवेश करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि निवेशक को कोई ऐसी सावधि जमा खाता योजना चुननी होगी, जो लंबे समय के लिए उसे अधिक दरों पर रिटर्न दे सके। इससे निवेशक को बाजार से खुद को अलग करने में मदद मिलेगी।
निवेशक तब भी अधिक रिटर्न कमा सकेगा, जब रिटर्न की दरें गिर जाएंगी। हालांकि किसी भी व्यक्ति को इस मामले में थोड़ा अधिक सतर्क होने की जरूरी है और उसे बॉन्ड या डीबेंन्चर्स से बैंक जमाखातों की तुलना कर दोनों में अंतर करना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि ज्यादातर बॉन्ड् और डीबेंचर्स निजी कंपनियों की आरे से जारी किए जाते हैं और उनमें एक विकल्प होता है, जिसमें निवेशक समय से पहले निकल सकता है। इसलिए अगर ब्याज दरें गिरती हैं, तो निवेशक उसमें से पहले ही निकल सकता है और इससे उसे अधिक नुकसान नहीं होता।
वहीं दूसरी तरफ बैंक हैं, जिनके पास ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं है। हां, बैंकों के साथ जोखिम जरूर जुड़ा है। जब असामान्य तरीके से ब्याज दरें ऊंची होती हैं और लंबे समय के लिए स्थिति बनी रहती है, तब निवेशक को ऊंची ब्याज दरों का मुनाफा नहीं मिल पाता।
आवर्ती जमा खाता : ऊंचे ब्याज जमा खातों के साथ इकलौती समस्या यह है कि निवेशक को इसमें एक साथ उचित राशि निवेश करनी पड़ती है ताकि वह इस स्थिति का फायदा उठा सके। इससे बचने के लिए आवर्ती जमा खाते हैं, जिसमंब आप हर महीने एक निश्चित रकम लगा सकते हैं। इसकी अच्छी बात यह है कि आवर्ती जमाखाते पर ब्याज दर वह दर होती है, जिस समय खाता शुरू किया जाता है।
इसके परिणामस्वरूप अगर आप अधिक ब्याज दर के साथ खाता शुरू करते हैं तो आप घटरी ब्याज दरों के समय में भी अधिक रिटर्न कमाएंगे। लेकिन ध्यान रखें कि निवेश की अवधि को तरीके से बढ़ा कर दीर्घावधि (7 से 8 वर्ष) में तब्दील किया जा सके। इस तरह से लंबे समय के लिए रिटर्न अधिक कमाया जा सकता है।