इस साल की शुरुआत से ही शेयर बाजार निवेश के लिए मुश्किल जगह बन गई है। बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आए हैं और रुझान गिरावट का रहा है। अच्छा शेयर चुनना आसान नहीं रह गया है।
अगर आपने मार्च की गिरावट के दौरान किसी ब्लू चिप कंपनी के शेयर खरीदे हों तो बहुत मुमकिन है कि आपको अपने निवेश पर घाटा हो रहा हो। अगर आपने सही शेयर खरीदा भी हो तो यह मुमकिन है कि आपने अपने पोर्टफोलियो के कुल रिटर्न में इजाफा करने के लिए पर्याप्त शेयर न खरीदे हों।
लिहाज, यहीं पर यह बात अहम हो जाती है कि आपने अपनी परिसंपत्ति का आवंटन कैसे किया है। बिजनेस स्टैंडर्ड के पाठकों की निवेश में सहायता करने के लिए हमने स्मार्ट पोर्टफोलियो शुरु किया है। साल भर चलने वाली इस प्रक्रिया के तहत व्यावसायिक निवेशक दस-दस लाख रुपए से फैंटम पोर्टफोलियो चलाएंगे।
इससे आपको यह पता चल सकेगा कि व्यावसायिक फंड प्रबंधक शेयर चुनते हैं और कैसे विभिन्न सेक्टरों और निवेश के बीच फंड का आवंटन करते हैं। इससे आपको बाजार की बारीकियां समझने में मदद मिलेगी जिससे आप निवेश के मामले में बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
हमारे विशेषज्ञ हर दिन किस तरह निवेश कर रहे हैं, इस बारे में आप हमारी वेबसाइट और हर सोमवार को हमारे समाचार पत्र के स्मार्ट इन्वेस्टर पृष्ठ से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। निवेश मुबारक हो !
एनाम डायरेक्ट के फंड मैनेजर कश्यप पुजारा ने रैक्स केनो और राम प्रसाद साहू से अपनी निवेश रणनीति पर बात की। अपने स्मार्ट पोर्टफोलियो में पुजारा रिसर्च वाले निवेश तरीके का इस्तेमाल करते हैं। उनके पोर्टफोलियो में लंबी से लेकर मझौली निवेश अवधि का नजरिया होता है। इसमें मझोली कंपनियां भी शामिल हैं तो बड़ी भी।
क्या आप बाजार के उतार-चढ़ावों से बचने के लिए बड़ी कंपनियों के शेयरों को प्राथमिकता देंगे?
यदि हम मंदी की ओर बढ़ रहे हैं तो बड़ी कंपनियों के शेयर सुरक्षित दांव हैं क्योंकि इन शेयरों में झटका सहने की पर्याप्त क्षमता है। इन्हें जब बेचो, तब पैसा है और इनका बेहतर ट्रैक रिकार्ड है। मझोली कंपनियों के शेयर मुश्किल के समय में बाजार से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो सकते हैं।
कुछ कंपनियां कुछ समय बाद बड़ी बनकर निकलती हैं। इसलिए बेहतर समझ से ही यह पता लग सकता है कि कौन सी कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। उतार-चढ़ाव के दौरान मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में तरलता कम हो जाती है इसलिए सही कीमत का पता नहीं चल सकता।
अच्छे समय में मझोली कंपनियों के शेयर बेहतर प्रदर्शन करते हैं और कीमत और आय यानी पीई अनुपात में नाटकीय बदलाव होता है। इस तर्क से एक लंबी अवधि के निवेशक के पास दो साल के समय में कुछ मझोली कंपनियों के शेयर भी होने चाहिए। सबसे अच्छा रिटर्न सेल ऑफ के समय मिलता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि खराब समय में किसी भी शेयर में निवेश कर दें।
अपने पोर्टफोलियो में एक ही शेयर ज्यादा होगा या तरह-तरह के?
कोई भी पोर्टफोलियो बहुत ज्यादा केंद्रित या विविध नहीं होना चाहिए। बीच का होना चाहिए। किसी भी शेयर में इतना कम निवेश भी न करें कि आपको वह नाकाफी लगे और बाजार के गिरने और चढने से आप पर कुछ खास असर न हो और किसी शेयर में इतना भी निवेश नहीं करें कि कुछ गलती होने पर आपको जबरदस्त नुकसान झेलना पड़े।
पोर्टफोलियो हर व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। यदि आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं तो आपके पास कुछ शेयर ज्यादा हो सकते हैं है और यदि आप जोखिम से डरते हैं तो आप पर्याप्त पोर्टफोलियो बनाते हैं ताकि जोखिम भी सभी में बंट जाए।
एक आदर्श पोर्टफोलियो 20 से 25 शेयरों से ज्यादा नहीं होना चाहिए और किसी विशेष क्षेत्र में 25 से 30 फीसदी से ज्यादा का निवेश भी नहीं होना चाहिए और किसी एक शेयर में पोर्टफोलियो का 15 फीसदी से ज्यादा का निवेश नहीं होना चाहिए। हमेशा बेहतर शेयरों पर भरोसा करें।
क्या निवेश की कुछ औसत अवधि है? किसी निवेश से कब बाहर आएं?
ज्यादातर निवेशकों का मानना है कि लंबी अवधि के निवेश का मतलब है एक साल। लेकिन यह लंबी अवधि की आयकर परिभाषा है। किसी भी निवेश में किसी विशेष कंपनी में निवेश का अर्थ है उसकी लंबी अवधि के विकास में भाग लेना। न कि सिर्फ पैसा लगाया और निकल लिए। किसी विशेष कंपनी या सेक्टर में कोई निवेश का कोई न कोई तर्क होना चाहिए।
यदि आपने किन्हीं निश्चित मानकों या आधारों पर यह सोचकर निवेश किया है कि अगले छह महीने या एक साल के दौरान नतीजे दिखेंगे और फिर आपको लगता है कि ऐसा नहीं हो रहा है या कंपनी संभावित प्रदर्शन नहीं कर रही है तो आपके उस निवेश से निकलने का समय है। बाहर निकलना दो बातों पर निर्भर करता है। पहला बुनियादी है तो दूसरा तकनीकी। जब आप डेरिवेटिव में निवेश नहीं कर रहे हैं तब नगदी का रास्ता चुनना चाहिए।
ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जो अगले 3-4 साल में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं?
जो ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील हैं, क्योंकि हम ज्यादा या कुछ ब्याज दरों के चक्र के उच्चतम स्तर पर हैं। बुनियादी ढांचा और इंजीनियरिंग में लगी कंपनियां क्योंकि बुनियादी संरचना को सुधारने के लिए काफी निवेश की जरूरत है। तेल और गैस क्योंकि गैस भारत की तेल जरूरतों के काफी हिस्से का पूरा कर सकती है।
आने वाले पांच से सात सालों में गैस भारत की तेल जरूरत का 25 से 30 फीसदी पूरा कर सकती है। निवेश की दृष्टि से गैस शेयरों को देख सकते हैं। ऐसी कंपनियां जो गैस के उत्पादन, बुनियादी संरचना में मददगार और उसकी ढुलाई में लगी हुई हैं।
क्या रिलायंस इंड्रस्टीज का शेयर खरीदने के पीछे यही तर्क है? रिलायंस कम्यु. में निवेश पर बताइए।
आरआईएल के मामले में संपूर्ण तेल एवं गैस परिदृश्य बेहतर दिखता है। रिलायंस कम्युनिकेशन्स इसलिए ठीक है क्योंकि भारत में मोबाइल ग्राहक बढ़ रहे हैं। नॉन वाइस सेगमेंट में भी बेहतर अवसर हैं। कंपनी अपना जीएसएम नेटवर्क देशभर में फैलाने जा रही है और यह शेयर 52 हफ्तों के न्यूनतम स्तर पर उपलब्ध है। इन दोनों शेयरों का बाजार सूचकांक में अच्छा वेटेज है।
बतौर निवेशक कैसा रिटर्न देखते हैं?
मूल बात यह कि आउटपरफार्मर बनें और बाजार से अच्छा प्रदर्शन करें। साथ ही साथ तीन साल में 25 फीसदी की सालाना चक्रवृध्दि दर का मतलब है अच्छा रिटर्न।