करीब 13 वर्षों तक विदेशी ब्रोकरों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के शेयरों पर सेक्टोरल कवरेज से परहेज किया। इसलिए मॉर्गन स्टैनली की 3 मार्च की रिपोर्ट में उसके विश्लेषकों ने पीएसबी शेयरों के लिए अपनी पसंद को स्पष्ट किया है जिससे संकेत मिलता है कि सरकार के स्वामित्व वाले ऋणदाताओं के लिए निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। यह वित्त वर्ष 2021 में लगातार तीन तिमाहियों के अच्छे परिणाम की वजह से संभव हुआ है।
विश्लेषकों ने लिखा है, ‘सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार आया है, और फंसे कर्ज में अब नरमी आ सकती है। यही वजह है कि अब हम पीएसबी पर अपने रुख में बदलाव ला रहे हैं। जहां एसबीआई उनका पसंदीदा शेयर बना हुआ है, वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) और पीएनबी के शेयरों को अंडरवेट से अपग्रेड कर ‘इक्वल-वेट’ किया गया है।’ ब्रोकरों ने बैंक ऑफ इंडिया तथा केनरा बैंक पर अपना ‘अंडरवेट’ रुख बरकरार रखा है।
हाल के समय में, अन्य बाजार विश्लेषकों ने भी पीएसबी का सुझाव दिया है, क्योंकि उनके व्यवसाय में अब सुधार आ रहा है।
निवेशकों के लिए, सवाल यह बना हुआ है कि क्या इससे पीएसबी शेयरों के लिए धारणा में मजबूत सुधार का संकेत मिलता है, या फिर यह महज नजरिये में एकबारगी बदलाव है।
पीएसबी में, एसबीआई की शेयर कीमत पिछले साल के दौरान 40 प्रतिशत बढ़ी और इसने दो-तीन साल की अवधि में अच्छा प्रतिफल दिया है। हालांकि उसके छोटे प्रतिस्पर्धियों के लिए स्थिति ऐसी नहीं है। दूसरे शब्दों में, जहां तक रेटिंग में बदलाव का सवाल है तो निजी बैंकों के विपरीत पीएसबी शेयरों के लिए स्पष्ट रुझान का पता लगाना कठिन है।
भले ही पीएसबी शेयरों में पिछले तीन महीने में 30-40 प्रतिशत तक की तेजी आई है, लेकिन इनाम होल्डिंग्स में निवेश निदेशक श्रीधर शिवराम का कहना है कि तेजी की निरंतरता की भविष्यवाणी करना मौजूदा हालात में चुनौतीपूर्ण है।
वित्त वर्ष 2018 में पीएसबी की औसत ऋण लागत बढ़कर करीब 400 आधार अंक पर पहुंच गई थी। वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही में, यह आंकड़ा कमजोर पड़कर करीब 220 आधार अंक रह गया और मॉर्गन स्टैनली को वित्त वर्ष 2021 के अंत तक यह 20 आधार अंक और घटकर 198 आधार अंक रह जाने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023 तक, उम्मीद है कि पीएसबी के लिए औसत उधारी लागत घटकर 127 आधार अंक रह जाएगी, जो एक ऐसा स्तर है जिसे वित्त वर्ष 2012 में देखा गया था। विश्लेषकों का कहना है कि प्रावधान लागत में 1 प्रतिशत की कमी से शुद्घ लाभ में 3-4 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
आय में संभावित सुधार के अलावा, पीएसबी 0.7 गुना से कम की बुक वैल्यू पर कारोबार कर रहे हैं जिससे अवसर पर खरीदारी के तौर पर इन पर विचार करना उपयुक्त रणनीति बन गई है। आय पर आशाजनक परिदृश्य के बावजूद, यदि बाजार को पीएसबी में मजबूत विश्वास की कमी दिखती है तो दबाव पैदा हो सकता हैं। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों का मानना है, ‘पीएसबी (एसबीआई को छोड़कर) में सुरक्षा का मार्जिन 1-5 प्रतिशत पर कम है, यह एसबीआपई के लिए 6 प्रतिशत और निजी बैंकों के लिए 10 प्रतिशत से ज्यादा है।’
अब तक, केनरा बैंक को छोड़कर, अन्य पीएसबी इक्विटी खरीदारी के संदर्भ में बहुत ज्यादा सफल नहीं रहे हैं। यदि पीएसबी सरकार के पूंजी निवेश को लेकर कोष उगाही स्वायत्तता के लिए अपनी दक्षता साबित करते हैं तो इससे धारणा मजबूत होगी। दलाली पथ इस महीने बीओबी और इंडियन बैंक की कोष उगाही की सफलता पर नजर रखेगा।
एफपीआई ने निकाले 5,156 करोड़ रुपये
अमेरिका में बॉन्ड पर प्राप्ति बढऩे तथा मुनाफावसूली के सिलसिले के बीच मार्च के पहले सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजारों से 5,156 करोड़ रुपये की निकासी की है। इससे पिछले दो माह के दौरान एफपीआई भारतीय बाजार में शुद्ध निवेशक रहे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से पांच मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 881 करोड़ रुपये और ऋण या बॉन्ड बाजार से 4,275 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 5,156 करोड़ रुपये रही है।
फरवरी में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये का निवेश किया था। मॉर्निंगस्टार इंडिया के सहायक निदेशक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की निकासी का कारण बाजार के उच्चस्तर पर पहुंचने की वजह से निवेशकों द्वारा मुनाफा काटा जाना है। भाषा