पिछले एक महीने में श्रीराम ट्रांसपोर्ट और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट्स ऐंड फाइनैंस कंपनी (चोला फाइनैंस) के शेयरों में 45-57 प्रतिशत और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा फाइनैंशियल सर्विसेज (एमऐंडएम फाइनैंस) में 35 प्रतिशत की तेजी ने उन्हें फिर से कोविड पूर्व स्तरों या फरवरी में दर्ज की गई कीमतों के आसपास ला दिया है। दरअसल, चोला फाइनैंस ने शुक्रवार को 394.30 रुपये का 52 सप्ताह का नया ऊंचा स्तर बनाया, जो फरवरी 2020 में दर्ज किए गए उसके 340 रुपये के स्तर से काफी ज्यादा है। इसी तरह का रुझान सुंदरम फाइनैंस में देखने को मिला। पिछले मंगलवार को इस शेयर ने 1,831.75 रुपये पर पहुंचकर 52 सप्ताह का ऊंचा स्तर बनाया और यह एक महीने में 23 प्रतिशत चढ़ चुका है। इस तेजी से ब्रोकरों में उत्साह बढ़ा है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज और कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने इन शेयरों में फिर से अपना भरोसा बढ़ाया है।
हालांकि यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला है कि शेयर कीमतें अपने बुनियादी आधार के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ी हैं। अन्य शब्दों में, शेयर कीमतें कोविड-पूर्व स्तरों के आसपास पहुंच गई हैं।
ज्यादातर तेजी के लिए संग्रह क्षमता में आए सुधार को जिम्मेदार माना जा सकता है। अपनी 24 नवंबर की रिपोर्ट में एमओएफल के विश्लेषकों ने कहा कि श्रीराम ट्रांसपोर्ट और चोला फाइनैंस के लिए वैल्यू के लिहाज से 5 प्रतिशत से कम ग्राहकों ने एक भी किस्त नहीं चुकाई है, जबकि एमऐंडएम फाइनैंस के लिए, दूसरी तिमाही में यह संख्या 13 प्रतिशत पर दर्ज की गई। फिर भी जहां यह तेजी अच्छा संकेत है, लेकिन निवेशकों को कुछ मुख्य बिंदुओं पर ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। व्यावसायिक सुधार पर केंद्रित नोमुरा का प्रॉपराइटरी इंडेक्स 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 87.1 प्रतिशत (एक महीने पहले 84.6 प्रतिशत के मुकाबले) की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच और उसे त्योहारी सीजन से मदद मिली। हालांकि यह उत्साहजनक है, लेकिन नोमुरा में मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा का कहना है कि आपको मौजूदा हालात को बेहतर ढंग से समझने के लिए अन्य सप्ताह का इंतजार नहीं करना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्रमिक भागीदारी दर एक सप्ताह पहले के 39.5 प्रतिशत से घटकर 39.3 प्रतिशत रह गई और त्योहारी मांग के बावजूद विद्युत मांग वृद्घि सप्ताह दर सप्ताह 0.1 प्रतिशत तक नीचे आई, हालांकि यह एक सप्ताह पहले के 5.6 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले बेहतर है।
वर्मा ने कहा है, ‘मुख्य अल्पावधि चुनौती महामारी के झटकों से उबरने की है, क्योंकि हम त्योहारी सीजन से निकल चुके हैं। कुछ राज्यों (दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश) ने स्थानीय लॉकडाउन प्रतिबंधों को फिर से लागू किया है जिससे अगले 2-3 महीने में सुधार की रफ्तार धीमी पड़ सकती है, जो इस साल अब तक तेजी से सुधरी है।’ एसऐंडपी ग्लोबल के विश्लेषकों ने संग्रह रुझानों की निरंतरता को लेकर अपना संदेह जताया है और कहा है कि यदि ऋणदाताओं की परिसंपत्ति गुणवत्ता सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहती है तो विस्तारित मोरेटोरियम का खास योगदान हो सकता है। इसके अलावा, मूडीज के विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों के लिए संग्रह दक्षता समान उत्पादों के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के मुकाबले बेहतर है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट और सुंदरम फाइनैंस के प्रबंधन से कुछ ताजा प्रतिक्रियाएं इस सतर्क नजरिये के अनुरूप हैं। दोनों कंपनियों के प्रबंधन ने संकेत दिया है कि जहां संग्रह दक्षताएं धीरे धीरे बेहतर हो रही हैं, वहीं मौजूदा मांग ज्यादा उत्साहजनक नहीं है। इन चार कंपनियों के लिए, 70-100 प्रतिशत व्यवसाय वाहन वित्त पोषण से आता है। प्रमुख सेगमेंट में, मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन (एमऐंडएचसीवी) स्पेस के लिए संग्रह और मांग दोनों में कमजोरी के संकेत लगातार दिख रहे हैं। एमऐंडएचसीवी का वित्तीय कंपनियों के कुल पोर्टफोलियो में 8-11 प्रतिशत का योगदान रहा है।
कुल मिलाकर, एमओएफएल के विश्लेषकों को वाहन फाइनैंसरों के लिए ऋण लागत वित्त वर्ष 2022 में कुछ हद तक घटकर 1.4-4.3 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है, हालांकि वित्त वर्ष 2021 के लिए उनके अनुमान 1.7-4.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बने हुए हैं। ऋण लागत ऋणदाता के ऋणों के फंसे कर्ज में तब्दील होने की दर पर आधारित होती है। दिलचस्प है कि कुछ राहत के बावजूद, वित्त वर्ष 2023 में ही ऋण लागत वित्त वर्ष 2020 के स्तरों के आसपास आ पाएगी। इसलिए, वित्त वर्ष 2019 के स्तर के मुकाबले हालात पूरी तरह सामान्य होने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पर्यटन, शिक्षा संस्थानों और कार्यालयों, तथा परिवहन जैसे कुछ ग्राहक सेगमेंटों (बस सेवा) में पूरी तरह सुधार आने में समय लग सकता है।
