फर्जीवाड़े में फंसी सत्यम कंप्यूटर में नियंत्रण योग्य हिस्सेदारी खरीदकर टेक महिंद्रा आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में शुमार हो गई है।
सत्यम के लिए टेक महिंद्रा ने 58 रुपये प्रति शेयर की बोली लगाई है, जिससे सत्यम के शेयरधारकों को इस बात की राहत मिली कि कंपनी को कोई खेवनहार तो मिला। हालांकि इस सौदे से टेक महिंद्रा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्योंकि सत्यम की आय जहां घट रही है, वहीं कुछ ग्राहक भी इससे किनारा कर चुके हैं। टेक महिंद्रा को आईटी क्षेत्र का भी अच्छा-खासा अनुभव है, जिसे देखकर लगता है कि वह इन चुनौतियों का आसानी से सामना कर लेगी।
विविधीकरण लाभ
इस अधिग्रहण से टेक महिंद्रा देश की प्रमुख आईटी कंपनी में शामिल हो जाएगी, जिसकी कुल आय 2.5 अरब डॉलर के करीब होगी। अब तक टेक महिंद्रा टेलिकॉम क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दे रही थी और इसके कुल कारोबार का करीब 50 फीसदी हिस्सा ब्रिटिश टेलिकॉम से आता था।
लेकिन सत्यम विनिर्माण, हेल्थकेयर, वित्तीय संस्थानों, ऑटो पाट्र्स क्षेत्र में सेवाएं मुहैया कराती है। इससे टेक महिंद्रा के कारोबार का फलक और व्यापक होगा। इसके साथ ही दुनिया के अन्य देशों में, जहां टेक महिंद्रा की पहुंच सीमित थी, वहां भी अब उसकी मौजूदगी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों कंपनियों को इस अधिग्रहण से लाभ होगा, लेकिन इसका फायदा लंबे समय बाद ही नजर आ सकता है।
तात्कालिक चिंता
विशलेषकों का मानना है कि टेक महिंद्रा के समक्ष सबसे पहली चुनौती सत्यम के मौजूदा ग्राहकों को कंपनी के साथ जोड़े रखना है। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि सत्यम के ग्राहक धीरे-धीरे इससे किनारा कर रहे हैं। परिचालन मसले पर भी टेक महिंद्रा को काफी काम करना होगा।
सत्यम का परिचालन लाभ 3 फीसदी है, जबकि आईटी उद्योग की औसत परिचालन लाभ 20 फीसदी के करीब है। प्रभूदास लीलाधर के इक्विटी रिसर्च प्रमुख और उपाध्यक्ष अपूर्वा शह का कहना है कि टेक महिंद्रा का सत्यम प्रबंधन पर कब्जा होने के बाद इसके परिचालन लाभ में सुधार की उम्मीद है। लेकिन 15-20 फीसदी परिचालन लाभ के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
दूसरी ओर, ग्राहकों की ओर से कीमतों में कमी के दबाव में टेक महिंद्रा के लिए सत्यम का परिचालन लाभ बढ़ाना बहुत आसान नहीं होगा। वैसे, टेक महिंद्रा सत्यम के कर्मियों की छंटनी के जरिए लागत में कटौती कर सकती है। सेंचुरियम ब्रोकिंग के विश्लेषक नितिन पद्मनाभन का कहना है कि 7,900 कर्मियों को हटाने से कंपनी का परिचालन लाभ 14 फीसदी तक पहुंच सकता है।
हालांकि टेक महिंद्र्रा के लिए तत्काल बड़े पैमाने पर छंटनी करना आसान नहीं होगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस अधिग्रहण से टेक महिंद्रा पर कर्ज का बोझ और बढ़ेगा। सत्यम की 51 फीसदी हिस्सेदारी के लिए टेक महिंद्रा को 2,900 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जबकि कंपनी के पास 700 करोड़ रुपये की नकदी है। ऐसे में उसे 2,200 करोड़ रुपये कर्ज लेना होगा। अगर कर्ज का जुगाड़ हो भी गया, तो उसके ब्याज भुगतान में कंपनी का अच्छा-खासा मुनाफा चला जाएगा।
निष्कर्ष
इस अधिग्रहण से टेक महिंद्रा की आय में इजाफा हो सकता है, क्योंकि पहले ही उस पर बीटी की ओर से सेवाओं की कीमत घटाने का दबाव बना हुआ है। वैसे, सत्यम की मौजूदा हालात को देखते हुए टेक महिंद्रा के लिए यह सौदा उतना फायदेमंद नहीं लग रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि टेक महिंद्रा को इस सौदे का लाभ वित्त वर्ष 2011 में हो सकता है। इक्विटी विश्लेषक अनिल आडवाणी का कहना है कि सत्यम के शेयरधारक ओपन ऑफर की स्थिति में अपनी थोड़ी हिस्सेदारी बेच कर निकल सकते हें, वहीं कुछ शेयर लंबे समय के लिए बचाकर रखे जा सकते हैं।