केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात पर सब्सिडी कटौती किए जाने के बाद शुक्रवार को चीनी शेयरों में कमजोरी देखी गई। देश की शीर्ष-15 चीनी निर्माताओं का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) शुक्रवार को 2.8 प्रतिशत घट गया था। तुलनात्मक तौर पर, बीएसई का सेंसेक्स करीब 2 प्रतिशत की तेजी के साथ 50,000 के स्तर पर फिर से पहुंचा गया था।
हालांकि चीनी शेयरों में शुक्रवार की गिरावट सामान्य से हटकर थी। इस क्षेत्र ने ऊंची चीनी कीमतों और कच्चे माल (गन्ना) की कीमतों में नरमी की वजह से शानदार प्रदर्शन किया है।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार ने गन्ना कीमतें चार साल से नहीं बढ़ाई हैं। सूचीबद्घ चीनी कंपनियों के मार्जिन और मुनाफे में मजबूत तेजी आई है और इनमें से ज्यादाकर कंपनियों की चीनी मिलें उत्तर प्रदेश में हैं।
इन प्रमुख चीनी निर्माताओं का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मार्च 2020 से तीन गुना से ज्यादा चढ़ा है, और इस अवधि के दौरान बीएसई के सेंसेक्स में करीब 72 प्रतिशत की तेजी आई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल चीनी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को 31,600 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था, जो पिछले साल मार्च के अंत में 10,000 करोड़ रुपये था।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि चीनी शेयरों में तेजी कुछ अवरोध के बाद फिर से दिखेगी, क्योंकि निर्यात सब्सिडी में कटौती का चीनी कंपनियों की प्राप्तियों (बेची जाने वाली प्रत्येक किलोग्राम चीनी के लिए मिलने वाली कीमत) पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेतल गांधी का कहना है, ‘चीनी निर्यात पर 32 प्रतिशत की सब्सिडी कटौती का निर्यात प्राप्तियों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पडऩे की आशंका नहीं है, क्योंकि ऊंची वैश्विक चीनी कीमतों और कमजोर रुपये से सब्सिडी में कटौती की भरपाई हो जाने की संभावना है।
