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मजबूत कदम

Last Updated- December 07, 2022 | 8:04 AM IST

स्पंज आयरन, स्टील बिलेट्स और गुणवत्ता वाले वायर प्रॉडक्ट बनाने वाली गोदावरी पावर एंड इस्पात कच्चे माल की आत्मनिर्भरता के कारण फायदे की स्थिति में है।


24 जून 2008 को एक अहम घटनाक्रम में पर्यावरण मंत्रालय ने कंपनी को अरी डोंगरी लौहअयस्क खदान में खनन की मंजूरी दे दी है। कंपनी के लिहाज से यह मंजूरी खासी अहम है। इससे उसकी लागत में बड़ी बचत होगी। अब इससे उसके शेयरों की रेटिंग ऊपर जाने की भी संभावना है।

गोदावरी की जारी निवेश और अपनी विनिर्माण क्षमताओं के विस्तार से भी उसे आशातीत वृध्दि मिलने की संभावना है। मांग की बेहतर स्थिति और बढ़ी उगाही से उसकी आय में खासी वृध्दि होने की संभावना है। गोदावरी को निजी कोयला खदान की भी मंजूरी मिल गई तो उसका अच्छा खासा फायदा होगा।

लौह अयस्क से फायदा

हर टन स्पंज लोहे के उत्पादन के लिए 1.75 टन लौह अयस्क की जरूरत होती है। गोदावरी की वर्तमान क्षमता 2.86 लाख टन है। वित्तीय वर्ष 2009 में वह इसे बढ़ाकर 3.46 लाख टन करना चाहती है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसे कम से कम 6 लाख टन लौह अयस्क की आवश्यकता होगी। कंपनी फिलहाल अपनी लौह अयस्क जरूरतों के लिए एनएमडीसी पर निर्भर है। आधा अयस्क वह इसी से लेता है। और बाकी बाजार से खरीदता है जो उसे प्रति टन 3,500 से 4,000 रुपये के भाव पड़ता है।

कंपनी की खदानों से एक बार जब लौह अयस्क का उत्पादन शुरू हो जाएगा तो उसकी लागत में खासी बचत होगी। उसे अपने छत्तीसगढ़ स्थित प्लांट के पास ही दो लौह अयस्क खदानें आवंटित की गई हैं। दोनों खदानों का संयुक्त भंडार 1.5 करोड़ टन का है। इसके अतिरिक्त कंपनी को अरी डोंगरी लौह अयस्क खदान भी मिल गई है जहां लौह अयस्क का भंडार 60 से 70 लाख टन  के करीब है।

उसे अभी पर्यावरण मंजूरी की औपचारिकता और वन विभाग से सहमति मिलना जरूरी है। ज्यों ही उसे ये मंजूरियां मिलीं, उसकी सकारात्मक बढ़त शुरू हो जाएगी। कंपनी को इन कदमों से काफी अधिक लाभ होगा। यह उसके पूरे साल के मुनाफे से काफी ज्यादा है। अनुमान है कि कंपनी को इससे वित्तीय वर्ष 2009 में 14 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2010 में 127 करोड़ रुपये का लाभ होगा।

भविष्य के लिए कोयला

लंबे समय में गोदावरी को कोयले की खदानों के अधिग्रहण से भी लाभ होने वाला है। (कोयले के भंडार एक समूह को आवंटित किए गए हैं जिसमें गोदावरी भी हिस्सेदार है।) कंपनी को कुल 6.3 करोड़ टन के भंडारों में अपना हिस्सा मिलेगा। इससे होने वाले लाभ का थोड़ा असर वित्तीय वर्ष 2010 में दिखेगा। 2011 तक इसका पूरा फायदा नजर आएगा।

स्पंज आयरन के उत्पादन में लौह अयस्क की तरह हर टन पर 1.6 टन कोयले की आवश्यकता होती है। कंपनी को वर्तमान में 5 लाख टन कोयले की जरूरत है जो वित्तीय वर्ष 2010 में विस्तार के साथ ही बढ़कर 5.94 लाख टन हो जाएगी। वित्तीय वर्ष 2008 में कंपनी को अपनी कोयले की जरूरत का  50 फीसदी कोल इंडिया से मिला। (वित्तीय वर्ष में उसकी कोल इंडिया पर निर्भरता बढ़कर 75 फीसदी हो जाएगी।) शेष कोयला उसे खुले बाजार से खरीदना पड़ता है जहां उसे प्रति टन 2,800 रुपये चुकाने पड़ते हैं।

स्वयं की खदान होने से गोदावरी को प्रति टन 1,500 रुपये ही देने होंगे। इससे वित्तीय वर्ष 2010 में उसे 4 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2011 में 27 करोड़ का लाभ होगा। इसके अतिरिक्त कंपनी के  53 मेगावाट क्षमता के पॉवर प्लांट हैं। (इसमें 11 मेगा वाट कोयला आधारित और 42 मेगावाट के वेस्ट हीट रिकवरी प्लांट हैं।) ये प्लांट स्पंज आयरन प्लांट की ईंधन गैसों के अपशिष्ट पर आधारित हैं।

ये क्रेडिट कार्बन के मानकों को पूरा करते हैं। इसका 80,000 यूनिट सीईआर पेंडिंग है। अतिरिक्त 80,000 यूनिट उसे वित्तीय वर्ष 2009 में मिलेंगी। अगर प्रति सीईआर  यूनिट 13.75 यूरो कीमत मानें तो उसे दोनों से 14.74 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है।  

अधिग्रहण

गोदावरी को अपने हालिया अधिग्रहण का लाभ ऊंचे राजस्व और प्रॉफिट ग्रोथ के रूप में मिलेगा। कंपनी ने 45 करोड़ रुपये में अर्डेंट स्टील की 75 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है। अर्डेंट 600,000 टन का पेलेटाइजेशन प्लांट लगा रही है। इस पर 180 करोड़ रुपये की लागत आएगी। दिसंबर 2009 यह सौदा संयंत्र बन जाने की संभावना है। पिलेट का उपयोग स्पंज आयरन के उत्पादन में किया जाता है।

हालांकि इसे निम्न श्रेणी के लौहअयस्क से तैयार किया जाता है, जिसका बाजार भाव फिलहाल 2,000 से 4,000 रुपये प्रति टन के बीच है। इसे पिलेट में बदलकर बेचने से कंपनी को वित्तीय वर्ष 2009 में 45 करोड़ रुपये का लाभ होगा। 2010 में यह लाभ बढ़कर 70 फीसदी हो जाएगा। यह अनुमान पिलेट के वर्तमान बाजार मूल्य 6,000 रुपये प्रतिटन को ध्यान में रखकर लगाया गया है।

निवेश की दलील

कंपनी को वित्तीय वर्ष 2009 में 20-25 फीसदी  कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। अगर सब कुछ उम्मीदों के अनुरूप रहा तो उसकी टॉप लाइन  ग्रोथ 40 से 45 फीसदी और शुध्द लाभ 58 फीसदी रहेगा। वित्तीय वर्ष 2010 में स्पंज आयरन की क्षमता में मामूली वृध्दि और  अधिग्रहित 600,000 टन के पिलेट प्लांट से कंपनी की ग्रोथ में मामूली इजाफा होगा। दूसरी ओर कच्चे माल के क्षेत्र में होने वाली आत्मनिर्भरता से बॉटमलाइन के मार्जिन में 22.5 फीसदी की वृध्दि होगी।

वित्तीय वर्ष 2009 में इसके 19 फीसदी रहने का अनुमान है। कंपनी का शेयर 200 रुपये के स्तर पर वित्तीय वर्ष 2009 की आय पर 3.7 फीसदी पर कारोबार कर रहा था। आक्रमक वृध्दि, आकर्षक कीमत और स्टील की कीमतों के मजबूत रहने की संभावना के चलते गोदावरी का शेयर आने वाले 1-2 सालों में अच्छा रिटर्न दे सकता है। 

First Published - June 29, 2008 | 11:19 PM IST

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