प्राइम डेटाबेस द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 6 महीनों के दौरान सूचीबद्घ हुई कंपनियों के शेयर अपने ऊंचे स्तरों से औसत 20 प्रतिशत गिरे हैं। तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी और निफ्टी मिडकैप 100 दोनों, में अपने ऊंचे स्तरों से 5 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
इसलिए, अच्छे आईपीओ में आवंटन हासिल करने वाले और निवेश बरकरार रखने वाले निवेशकों को कुछ निराशा हाथ लगने की संभावना है।
सितंबर 2020 के बाद से बाजार में आई 22 में से 18 शेयर अपने निर्गम भाव से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। जहां यह स्वयं में एक सकारात्मक संकेत है, वहीं इन कई शेयरों में सूचीबद्घता के बाद पैदा हुआ उत्साह समाप्त हुआ है और इससे कई निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ा है।
एंटनी वेस्ट, मिसेज बेक्टर्स फूड, केमकॉन स्पोशियलिटी और बर्गर किंग जैसी कंपनियों के शेयर सूचीबद्घता के बाद अपने ऊंचे स्तरों से करीब 40 प्रतिशत नीचे आ चुके हैं।
उदाहरण के लिए, मिसेज बेक्टर्स फूड और केमकॉन स्पेशियलिटी, दोनों की शेयर कीमतें अपनी सूचीबद्घता के बाद से दोगुनी से ज्यादा चढ़ चुकी हैं। हालांकि, वे मौजूदा समय में अपने निर्गम भाव के मुकाबले 30 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी कंपनियों की शेयर कीमतें अपने ताजा ऊंचे स्तरों से गिरावट का शिकार हुई हैं। हैप्पिएस्ट माइंड्स, सीएएमएस और ग्लैंड फार्मा जैसे शेयर मौजूदा समय में अपने ऊंचे स्तरों से 10 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रहे हैं।
केजरीवाल रिसर्च ऐंड इन्वेस्टमेंट्स रिसर्च के संस्थापक अरुण केजरीवाल ने कहा, ‘किसी भी सूचीबद्घता के बाद, चाहे शेयर ऊपर जाए या नीचे, यह इस पर निर्भर करता है कि क्या उसे संसथागत निवेशक का समर्थन मिल रहा है। यदि कोई संस्थागत खरीदार मौजूद हो तो शेयर मजबूत हाथ में जाते हैं जिनमें रिटेल या एचएनआई शामिल होते हैं। यह शेयर के लिए अच्छा संकेत होता है। यदि, संस्थागत निवेशकों द्वारा पर्याप्त खरीदारी नहीं की जाती है या शेयर किसी अटकल की मदद से काफी ज्यादा चढ़ जाता है, तो हम इस तरह की तेजी गायब होते देख सकते हैं।’
मौजूदा आईपीओ बूम के बीच, इस आंकड़े से सतर्क रुझान का पता चलता है। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को सभी आईपीओ के पीछे आंख बंद करके नहीं भागना चाहिए, भले ही ग्रे बाजार में स्थिति आकर्षक हो।
एक निवेश बैंकर ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘आईपीओ की कीमतें मौजूदा बाजार हालात के अनुरूप ढल रही हैं। यदि सेकंडरी बाजार की धारणा खराब होती है, या निवेशक ज्यादा वृद्घि की उम्मीद रखते हैं तो उन्हें निराशा मिल सकती है।’
एफपीआई ने मार्च में अब तक 8,642 करोड़ रुपये डाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च में अबतक भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 8,642 करोड़ रुपये डाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से 19 मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयरों में 14,202 करोड़ रुपये डाले, जबकि उन्होंने ऋण या बांड बाजार से 5,560 करोड़ रुपये की निकासी की। इससे पहले फरवरी में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये डाले थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, कुछ समय तक सतर्क रुख अपनाने के बाद इस सप्ताह बाजार में उतार-चढ़ाव और करेक्शन के चलते एफपीआई ने शेयरों में निवेश बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के 1,900 अरब डॉलर के महामारी राहत पैकेज की वजह से भी वैश्विक वित्तीय बाजारों में काफी अधिक तरलता उपलब्ध है। वहीं जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में बांड पर रिटर्न बढऩे के बाद एफपीआई का प्रवाह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की आशंका से वैश्विक बाजारों में सतर्कता है। भाषा