सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (Senior Citizens Savings Scheme या SCSS) पर मौजूदा अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज में 0.2 फीसदी की बढोतरी की गई है। अब इस स्कीम पर ब्याज 7.4 फीसदी से बढ़कर 7.6 फीसदी हो गया है। सरकार SCSS सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं (small savings schemes) पर हर तिमाही ब्याज का निर्धारण करती है। जोखिम रहित निवेश, उच्च ब्याज दर और ब्याज के हर तिमाही भुगतान की सुविधा की वजह से यह स्कीम सीनियर सिटीजन के बीच काफी लोकप्रिय है।
इस स्कीम की लोकप्रियता तब से और बढी है जबसे वरिष्ट नागरिकों के डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में मिलने वाले 50 हजार रुपये तक के ब्याज को टैक्स-फ्री कर दिया गया है।
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के तहत 60 या 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति यानी सीनियर सिटीजन को बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट व टर्म डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है।
लोकप्रिय होने के बावजूद इस स्कीम को लेकर कई सवाल हैं। आज हम इन्हीं का जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं।
कौन कर सकता है निवेश?
यह स्कीम सिर्फ वरिष्ट नागरिकों के लिए है। इस स्कीम में 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र का कोई व्यक्ति व्यक्तिगत (individual) या संयुक्त (joint) अकाउंट खोल सकता है। 55 से 60 वर्ष के बीच स्वैच्छिक निवृत्ति योजना (voluntary retirement scheme या VRS) या रिटायरमेंट लेने वाले और 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के रिटायर्ड डिफेंस पर्सनेल भी इसमें निवेश कर सकते हैं। लेकिन इन लोगों को रिटायरमेंट बेनेफिट मिलने के एक महीने के अंदर इस स्कीम में निवेश करना होगा। Joint अकाउंट में joint होल्डर की उम्र को लेकर कोई बंधन नहीं है।
कैसे और कितना निवेश?
इस अकाउंट में वन-टाइम निवेश ही किया जा सकता है। इसका मतलब है कि जिस समय आप इस स्कीम में investment करते हैं, उस समय सरकार ने उस पर जो ब्याज तय किया है, आपको मैच्योरिटी पीरियड तक उसी दर पर ब्याज मिलेगा। सरकार आगे ब्याज दर बढ़ाए या घटाए, आपके ब्याज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इस स्कीम में अधिकतम 15 लाख रुपये और न्यूनतम 1,000 रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष है। इसे आगे और 3 वर्ष के लिए बढाया जा सकता है। यह अकाउंट पोस्ट ऑफिस, पब्लिक सेक्टर बैंकों और चुनिंदा निजी क्षेत्र के बैंकों में खुलवाया जा सकता है। लेकिन उस ब्रांच में आपका सेविंग अकाउंट भी होना जरूरी है। आपके इसी सेविंग अकाउंट से SCSS अकाउंट को जोड़ा जाता है।
कैसे मिलेगा रिटर्न?
यह मानते हुए कि सीनियर सिटीजन को पैसों की नियमित जरूरत पड़ती है, इसमें रिटर्न (ब्याज) भी नियमित मिलता है जो हर तीन माह में इस अकाउंट से जुड़े सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है। ब्याज का भुगतान हर अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी की पहली तारीख को सेविंग अकाउंट में कर दिया जाता है। मान लीजिए आपने एकमुश्त 15 लाख रुपए जमा किए हैं तो मौजूदा ब्याज दर (7.6 फीसदी) के हिसाब से एक वित्त वर्ष में 1,14,000 रुपये यानी हर तिमाही 28,500 रुपये ब्याज मिलेंगे जो आपके सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे।
क्या राशि/जमा रकम बीच में निकाल सकते हैं?
अकाउंट खोलने के एक साल तक राशि/जमा रकम नहीं निकाल सकते। हां, इसके बाद कुछ शर्तों के साथ अकाउंट को बंद करके जमा रकम निकाल सकते हैं। एक साल से दो साल के भीतर अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकालने के एवज में जमा रकम पर 1.5 फीसदी की पेनाल्टी देनी होगी। दो साल की अवधि पूरी होने के बाद जमा रकम पर एक फीसदी पेनाल्टी देनी होगी। अगर 5 वर्ष के बाद अकाउंट 3 वर्ष की विस्तारित अवधि में है तो ऐसी स्थिति में एक साल बाद यानी 6 वर्ष पूरे होने पर ही अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकाली जा सकती है। तब कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी। इस स्कीम में निवेश राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत टैक्स में छूट का प्रावधान है, लेकिन प्रीमैच्योर विड्रॉल की स्थिति में यह छूट नहीं मिलेगी।
क्या यूथ भी निवेश कर सकते हैं?
जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं वे अपने माता-पिता (अगर स्कीम में निवेश की जरूरी शर्तों को पूरा करते हैं) के लिए उनके नाम पर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं। ऐसे लोगों को इस निवेश पर टैक्स का तो कोई बेनिफिट नहीं मिलेगा, लेकिन इससे वे अपने माता-पिता को जरूर ऊंची ब्याज दर का फायदा दिला सकेंगे। माता पिता दोनों के नाम से अलग-अलग अधिकतम 15-15 लाख यानी 30 लाख रुपए तक का निवेश किया जा सकता है।
किनके लिए बेहतर, किनके लिए नहीं?
यह स्कीम उन लोगों के लिए ही ज्यादा बेहतर है जिनके पास नियमित आमदनी का जरिया यानी पेंशन नहीं है। या है भी तो यह सुनिश्चित कर लें कि इस स्कीम से मिलने वाले ब्याज को जोड़ने के बाद भी सालाना इनकम पर टैक्स देनदारी (सेक्शन 80TTB का फायदा लेने के बाद भी) नहीं बनती हो। लेकिन कोई सीनियर सिटीजन इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं तो उनके लिए यह स्कीम अच्छी नहीं है। इसकी वजह यह है कि इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब ब्याज सालाना आय में जुड़ जाता है। परिणामस्वरूप टैक्स स्लैब के हिसाब से ब्याज पर टैक्स देना पड़ेगा और रिटर्न कम हो जाएगा। जो लोग ऊपर के टैक्स स्लैब यानी 20 और 30 फीसदी के दायरे में हैं उनके लिए तो यह स्कीम बेहतर नहीं है।
कैसे रिटर्न बेहतर करें?
इकोनॉमी की मौजूदा हालत को देखते हुए इस बात की संभावना प्रबल है कि आगे भी SCSS सहित अन्य small savings schemes पर ब्याज दरों में और बढोतरी होगी। इसलिए फिलहाल एक साथ निवेश करने के बजाय थोड़ा-थोड़ा निवेश करें। अगर आपके पास 15 लाख रुपए की रकम है तो इसे 2-3 बार में 2 से 3 वर्ष के बीच करें। इसका एक फायदा यह भी होगा कि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत फायदा उतनी बार मिल जाएगा जितनी बार निवेश करेंगे (एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की रकम पर फायदा मिलेगा)।
ध्यान रखें ये बातें:
सुकन्या समृद्धि योजना और पीपीएफ की तरह इस स्कीम में ब्याज में कंपाउंडिंग का फायदा नहीं मिलता। यहां एक चीज और ध्यान में रखिए। अगर आप ब्याज की रकम को सेविंग अकाउंट में छोड़ देते हैं तो उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा, साधारण ब्याज भी नहीं। इसलिए सलाह है कि जैसे ही ब्याज आपके सेविंग अकाउंट में आए, उसे किसी अन्य अकाउंट में ट्रांसफर कर दें। बेहतर होगा कि ब्याज की रकम को रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट (आरडी) में ट्रांसफर कर दें।