भारतीय रिजर्व बैंक ने ऑटो-डेबिट (किस्त या बिल की खुद निकासी) के बारे में जो नियम बदले थे, वे 1 अक्टूबर से लागू हो गए हैं। हो सकता है कि आपकी किस्त या बिल का हर महीने होने वाला भुगतान इस बदलाव के कारण इस बार रुक जाए।
बैंकबाजार के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की व्यवस्था को कॉमन बिल भुगतान व्यवस्था के साथ मिला दिया है ताकि कार्ड के बगैर भुगतान की व्यवस्था को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। नए नियम डेबिट और क्रेडिट कार्ड, यूपीआई एवं प्रीपेड कार्ड के जरिये हर महीने होने वाले (आवर्ती) भुगतानों पर लागू होंगे।’
अटक सकते हैं आवर्ती भुगतान
पेनियरबाई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी आनंद कुमार बजाज बताते हैं, ‘अब आपका बैंक किसी मर्चेंट वेबसाइट या ऐप्लिकेशन (ऐप) पर, आपके कार्ड अथवा यूपीआई पर किसी स्थायी निर्देश (हर महीने भुगतान के लिए दी गई ई-मंजूरी) को तब तक स्वीकार नहीं करेगा, जब तक यह प्रक्रिया रिजर्व बैंक के नियमानुसार नहीं की जाती।’
मान लीजिए कि आपने नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम, स्पॉटिफाई, गूगल, गाना, दूरसंचार कंपनी (पोस्टपेड), बीमा कंपनी आदि को आपके कार्ड से नियमित तौर पर भुगतान लेने की मंजूरी दे दी है। अब अगर कार्ड जारी करने वाला बैंक और मर्चेंट यानी व्यापारी रिजर्व बैंक की नई प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं तो ऐसे भुगतान रुक जाएंगे। नए नियम अंतरराष्ट्रीय साइटों पर भी लागू होते हैं। आपके कर्ज की ईएमआई निकल जानी चाहिए। इनक्रेड फाइनैंस के मुख्य तकनीकी अधिकारी और उत्पाद प्रमुख रघु भार्गव कहते हैं, ‘ईएमआई बचत खाते से निकलती हैं, कार्ड से नहीं इसलिए उनमें कोई दिक्कत नहीं आएगी।’ चालू खाते से निकलने वाली ईएमआई पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। म्युचुअल फंड के एसआईपी पर भी इसका कोई फर्क नहीं पडऩा चाहिए। क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी जिमी पटेल कहते हैं, ‘बहुत कम एसआईपी डेबिट कार्ड से निकलती हैं। ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक नैशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (ई-नैच) के जरिये जाती हैं, इसलिए उन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।’
बीमा प्रीमियम का भुगतान भी ई-नैच के रास्ते हुआ तो निकल जाएगा मगर कार्ड के जरिये होता है तो दिक्कत होगी।
5,000 रुपये से ज्यादा भुगतान
यदि किसी भी सेवा के लिए मासिक शुल्क 5,000 रुपये से अधिक है तो अब अलग से ऑथेंटिकेट करना जरूरी है। सर्वत्र टेक्नोलॉजीज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक मंदार अगाशे कहते हैं, ‘ऑटो डेबिट के लिए आपका कार्ड जारी करने वाली संस्था या बैंक को कम से कम 24 घंटे पहले सूचना भेजनी होगी।’ इस नोटिफिकेशन में भुगतान के बारे में पूरी जानकारी होगी। उसमें लिंक भी होगी, जिस पर जाकर आप भुगतान ऑथेंटिकेट कर सकते हैं।
तो क्या करें
कुछ बैंकों ने बड़े मर्चेंटों को उनके कार्डों पर स्थायी निर्देश (हर महीने भुगतान के निर्देश) जारी करने की सुविधा पहले ही दे दी है। उनके ग्राहकों को आसानी होगी। यदि आप ऐसे बैंक के ग्राहक हैं, जो तैयार नहीं है तो खुद ही भुगतान कर दें।
विकल्प 1: अपने बैंक की वेबसाइट पर जाकर रिजर्व बैंक के नए अनुपालन प्लेटफॉर्म को शुरू करने वाले सेवा प्रदाताओं और मर्चेंट के नाम देखिए। हरेक अनुपालन सेवा के लिए नए सिरे से पंजीकरण कराएं। जिन सेवा प्रदाताओं या मर्चेंट के लिए आपने पहले स्थायी निर्देश दिए हैं, उन्हें भी जांच लीजिए। यदि वे नए निर्देश मान रहे हैं तो वे आपको दोबारा पंजीकरण करने देंगे। बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (परिचालन एवं ग्राहक अनुभव) कैजाद हीरामानेक बताते हैं, ‘जिन ग्राहकों ने अपने स्थायी निर्देश अपडेट नहीं किए हैं, वे हमसे संपर्क कर अनुरोध कर सकते हैं और उन्हें फौरन अपडेट कर दिया जाएगा।’
विकल्प 2: यदि सेवा प्रदाता या मर्चेंट पालन नहीं कर रहा तो आपके पास दूसरा विकल्प यह है कि हर महीने उसकी वेबसाइट या ऐप पर जाकर खुद भुगतान करें। अगाशे कहते हैं, ‘अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से हर महीने खुद भुगतान करें और ओटीपी के जरिये भुगतान को ऑथेंटिकेट करें।’
विकल्प 3: आप अपने नेटबैंकिंग पोर्टल का इस्तेमाल कर विभिन्न बिलों (बिजली, पानी, गैस, पोस्टपेड मोबाइल, बीमा) के लिए ऑटो पेमेंट का पंजीकरण कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह के भुगतान अपने बचत या चालू खाते से शुरू कर सकते हैं।
