भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक आंतरिक कार्य समूह ने मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य के लिए ओवरनाइट वेटेड एवरेज कॉल रेट (डब्ल्यूसीआर) बरकरार रखने का सुझाव दिया है। कार्य समूह ने मौद्रिक नीति के प्रभाव के प्रसार में डब्ल्यूएसीआर की प्रभावी भूमिका को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव दिया है।
समूह ने प्रमुख नकदी परिचालन के रूप में 14 दिन की अवधि के वैरिएबल रेट रीपो/रिवर्स रीपो नीलामी समाप्त करने का भी सुझाव दिया है। समूह ने इसकी जगह अल्प अवधि के नकदी का प्रबंधन मुख्य रूप से 7-दिनों एवं अन्य अल्प अवधि के रीपो/रिवर्स रीपो परिचालन (14 दिनों तक) के जरिये करने की सलाह दी है।
इस कार्य समूह का गठन मौजूदा नकदी प्रबंधन ढांचे की समीक्षा के लिए किया गया था। मौजूदा नकदी प्रबंधन ढांचा फरवरी 2020 से काम कर रहा है। इस कार्य समूह की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कॉल मनी मार्केट के भागीदारों में बैंक और स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (एसपीडी) शामिल हैं। इन दोनों ही की न केवल आरबीआई की नकदी समायोजन व्यवस्था तक पहुंच है बल्कि वे केंद्रीय बैंक की नियामकीय समीक्षा के दायरे में आते हैं। दूसरे तरीके से कहा जाए तो अन्य ओवरनाइट मनी मार्केट रेट के बजाय डब्ल्यूसीएआर पर आरबीआई की अधिक निगरानी रहती है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूएसीआर सीधे तौर पर अल्प अवधि की ब्याज दरों को प्रभावित करती है और नकदी एवं मौद्रिक हालात पर आरबीआई के रुख को प्रभावी ढंग से आगे रखती है। कोलैटराइज्ड दरों से अलग यह साख एवं समकालीन जोखिमों को सटीक ढंग से परिलक्षित करती है और केंद्रीय बैंक का डब्ल्यूएसीआर पर अधिक नियंत्रण भी होता है। कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ओवरनाइट मार्केट वॉल्यूम में कोलैटराइज्ड खंडों जैसे ट्राई-पार्टी (टीआरईपी) एवं बाजार रीपो की अधिक हिस्सेदारी होती है इसलिए उन पर म्युचुअल फंड़ों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों का अधिक प्रभाव होता है।