वित्त-बीमा

RBI और निजी बैंकों की बैठक कल, ईसीएल ढांचे का संकेत दे सकता है केंद्रीय बैंक!

यह बैठक आरबीआई गवर्नर के रूप में दास का मौजूदा कार्यकाल खत्म होने से पहले के प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल है।

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रघु मोहन   
Last Updated- November 15, 2024 | 11:10 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सोमवार को मुंबई में निजी बैंकों के निदेशक मंडलों के साथ बैठक करने जा रहा है। इसमें अपेक्षित ऋण नुकसान (ईसीएल) ढांचे को अपनाने के लिए व्यापक संकेत दिए जाने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक की ओर से निजी बैंकों के बोर्ड सचिवालयों को भेजे गए पत्र में बैठक के एजेंडे का खुलासा नहीं किया गया है। मगर उसमें कार्यक्रम की रूपरेखा बताई गई है जिसमें आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का संबोधन, केंद्रीय बैंक के मुख्य महाप्रबंधकों द्वारा प्रस्तुतियां और कार्यकारी निदेशकों के साथ खुली बातचीत शामिल हैं।

यह बैठक आरबीआई गवर्नर के रूप में दास का मौजूदा कार्यकाल खत्म होने से पहले के प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल है। वह 4 से 6 दिसंबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक में शामिल होंगे। दास का मौजूदा कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। सरकारी बैंकों के बोर्ड के साथ भी उनकी बैठक की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उसके लिए अब तक कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है।

वरिष्ठ बैंकरों के अनुसार, बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है उनमें तरलता कवरेज अनुपात ढांचे में प्रस्तावित बदलाव, बिना रेहन वाले ऋण के संदर्भ में कारोबारी मॉडल, सूक्ष्म वित्त पोर्टफोलियो में दबाव, साइबर सुरक्षा, आईटी ढांचे में मजबूती और ग्राहक सुरक्षा शामिल हैं।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप29) के मद्देनजर बैंकों के बहीखातों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी दिखेगा। भारत का कहना है कि विकसित देशों को 2030 तक हर साल कम से कम 1.3 लाख करोड़ डॉलर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध होना आवश्यक है। जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर खुलासा फ्रेमवर्क के लिए रिजर्व बैंक जल्द ही अंतिम दिशानिर्देश जारी कर सकता है।

​फिलहाल ईसीएल के मामले में बैंकों को ऋण नुकसान प्रावधान करने की आवश्यकता होती है। हाल तक यह वैश्विक स्तर पर एक मानक होता था। मगर अब इसमें अ​धिक दिलचस्पी नहीं दिख रही है क्योंकि डिफॉल्ट ऋण जोखिम का सबसे खराब संकेतक है। उधारकर्ता द्वारा ऋण की अदायगी में 90 दिनों से अ​धिक समय तक डिफॉल्ट किए जाने पर ऋण को गैर-निष्पादित आ​स्तियां (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐसे में ऋण नुकसान प्रावधानों पर अमल करने में काफी देरी हो जाती है। ईसीएल के तहत बैंकों को ऋण जोखिम में वृद्धि को पहचानना होगा और डिफॉल्ट होने से काफी पहले ही अपेक्षित नुकसान के लिए प्रावधान की तैयारी करनी होगी।

अ​धिकतर बैंकों के मामले में ईसीएल को औपचारिक तौर पर अपनाए जाने की समयसीमा अब तक निर्धारित नहीं की गई है। संयोग से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) पहले से ही ईसीएल को अपना रही हैं। एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि बैंकों द्वारा भारतीय लेखा मानकों (जिसका ईसीएल एक हिस्सा है) को अपनाने की समयसीमा निर्धारित करने के लिए बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट (बीआर ऐक्ट, 1949) में संशोधन करना होगा।

First Published : November 15, 2024 | 11:00 PM IST