निजी क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ जून तिमाही में सालाना आधार पर 33.6 फीसदी बढ़ा जबकि क्रमिक आधार पर उसमें 18.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। यह ऐसे समय मेंं हुआ जब भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना की दूसरी लहर का झटका लगा।
नतीजे घोषित करने वाले 14 निजी बैंकों में से सिर्फ एक आईडीएफसी फस्र्ट बैंक ने पहली तिमाही में शुद्ध नुकसान दर्ज किया है, जिसकी वजह कोविड-19 के असर से निपटने के लिए हुआ प्रावधान है। प्रदर्शन के विश्लेषण के मुताबिक, इन बैंकों को प्रावधान सालाना आधार पर 11.5 फीसदी घटा है जबकि क्रमिक आधार पर उसमें 14.5 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। यह ऐसे समय मेंं हुआ जब बैंक की बैलेंस शीट सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए में जून तिमाही के दौरान हुई बढ़ोतरी के कारण दबाव में है।
इक्रा के उपाध्यक्ष (वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा, प्रमुख आंकड़े स्थिर नजर आ रहे हैं, लेकिन बैंक अभी परेशानी से बाहर हैं। कोविड से प्रभावित कर्जदारों की तरफ से और कर्ज का पुनर्गठन हो सकता है। साथ ही तीसरी लहर कैसी रहती है, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
इस बार यानी इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पुनर्गठन के लिए प्रावधान नियामकीय नियमों के आधार पर किया गया है। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कई बैंकों ने मोहलत वाले कर्ज के लिए अपने आप ज्यादा प्रावधान किया था क्योंकि पुनर्गठन के नियम अगस्त 2020 में सामने आए। साथ ही वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में फंसे कर्ज पर प्रावधान में बढ़ोतरी देखने को मिली क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने खातों को एनपीए के तौर पर वर्गीकृत करने पर लगी रोक हटा ली थी। आय के मुख्य स्रोत शुद्ध ब्याज आय में सालाना आधार पर 11.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 54,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही के 54,300 करोड़ रुपये के मुकाबले महज दो फीसदी ज्यादा है।
आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी संदीप बख्शी ने कहा, महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदी का संग्रह और रिकवरी पर अप्रैल-मई 2021 में भारी असर पड़ा। एक अन्य बैंकर ने कहा, वित्त वर्ष की पहली तिमाही सुस्त तिमाही होती है और इस पर दूसरी लहर का भी असर पड़ा। कर्ज की रफ्तार सुस्त हुई और ब्याद दरें 12 महीने मेंं घटीं, जिसका असर ब्याज आय पर पड़ा लेकिन जमाओं में दो अंकों की बढ़ोतरी जारी रही।
अन्य सालाना आधार पर 19.7 फीसदी बढ़कर 22,351 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। लेकिन क्रमिक आधार पर यह 10.1 फीसदी घटा, जो पहले 24,858 करोड़ रुपये रहा था। निजी बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता अप्रैल-जून में दबाव में आई। सकल एनपीए मामूली बढ़कर 1.88 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो जून 2020 में 1.82 लाख करोड़ रुपये रहा था। शुद्ध एनपीए बढ़कर 0.5 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले 0.41 लाख करोड़ रुपये रहा था और मार्च तिमाही में 0.44 लाख करोड़ रुपये। फंसे कर्ज में इसलिए भी बढ़ोतरी हुई क्योंकि बैंक कर्मी संग्रह के लिए बाजार नहींं जा पाए।
ऐक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ चौधरी ने कहा, कुछ ग्राहकों की पुनर्भुगतान क्षमता पर असर पड़ा, जिसकी वजह चिकित्सा आपात या लॉकडाउन थी।
