भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अधिकारी ने कहा कि माइक्रोफाइनैंस सेक्टर पर दबाव में वृद्धि चक्रीय है और इस तरह के ऋण के 10,000 करोड़ रुपये के पोर्टफोलियो में फंसा कर्ज 100 करोड़ रुपये से बढ़कर 700 करोड़ रुपये हो गया है।
एमएफआई के स्वनियामक संगठन सा-धन द्वारा आयोजित ऋणदाता निवेशक सम्मेलन के दौरान एसबीआई के चीफ जनरल मैनेजर गोविंद नारायण गोयल ने कहा, ‘ये अस्थायी चुनौतियां हैं और बैंक (एसबीआई) का मानना है कि चालू तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही) और अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही (वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही) में स्थिति में सुधार शुरू हो जाएगा। इस पूरे दौर में स्टेट बैंक, सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) का समर्थन कर रहा है।’
गोयल ने कहा कि स्टेट बैंक 3 तरीकों से धन मुहैया करा रहा है। एक तरीका एमएफआई के माध्यम से को-लेंडिंग, दूसरा तरीका पूल पर्चेज यानी डायरेक्ट असाइनमेंट के माध्यम से एमएफआई ऋण का अधिग्रहण और तीसरा, फर्मों को आगे ऋण देने के लिए सावधि ऋण देना शामिल है।
क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो सीआरआईएफ-हाईमार्क डेटा के मुताबिक सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही) में सभी डे पास्ट ड्यू (डीपीडी) बैंड में चूक और बढ़ेगी। डीपीडी से पता चलता है कि ऋण भुगतान में उधार लेने वाले कितने दिन की देरी कर रहे हैं। सभी आकार के कर्ज और सभी तरह के कर्जदाताओं की चूक बढ़ी है। इसमें यूनिवर्सल बैंक, स्माल फाइनैंस बैंक और एमएफआई के रूप में काम कर रहीं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां शामिल हैं। 31 से 180 दिन के डीपीडी का स्तर सितंबर 2023 के 2.2 प्रतिशत से बढ़कर इस समय 4.8 प्रतिशत हो गई हैं।