facebookmetapixel
15 सितंबर को वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट देगा अंतरिम आदेशAmazon Now बनाम Blinkit-Swiggy: कौन जीतेगा भारत में Quick Commerce की जंग?Adani Group की यह कंपनी बिहार में करेगी $3 अरब का निवेश, सोमवार को शेयरों पर रखें नजर!Stock Split: अगले हफ्ते तीन कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, निवेशकों को मिलेगा बड़ा फायदा; जानें रिकॉर्ड डेटCBIC ने कारोबारियों को दी राहत, बिक्री के बाद छूट पर नहीं करनी होगी ITC वापसी; जारी किया नया सर्कुलरNepal Crisis: नेपाल में अगला संसदीय चुनाव 5 मार्च 2026 को होगा, राष्ट्रपति ने संसद को किया भंगट्रंप का नया फरमान: नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें, चीन पर लगाए 100% टैरिफ, तभी जंग खत्म होगी1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! ऑटो सेक्टर से जुड़ी इस कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट तयElon Musk की कंपनी xAI ने 500 कर्मचारियों को अचानक निकाला, Grok ट्रेनर्स सकते में!भारत-पाक मैच की विज्ञापन दरों में 20% की गिरावट, गेमिंग सेक्टर पर बैन और फेस्टिव सीजन ने बदला बाजार

टुकड़ों में बीमा समझदारी का सौदा

Last Updated- December 07, 2022 | 9:48 PM IST

पॉलिसी धारक के लिए मियादी बीमा सबसे सस्ता जीवन बीमा है। वित्तीय योजनाकार हमेशा इस बात पर जोर देते आए हैं कि बीमा लेने वाले को अपनी निवेश और बीमा जरूरतों को अलग-अलग रखना चाहिए। अब जाकर कुछ लोग चेतने लगे हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए जो रास्ता अख्तियार किया है, वह भ्रामक है।

कई लोग एक निश्चित सम एश्योर्ड के लिए एक मियादी प्लान के प्रीमियम की तुलना यूनिट लिंक्ड प्लॉन से कर रहे हैं। उन्हें यह लगता है कि यह बीमे का सबसे सस्ता रास्ता है। हालांकि इसका अधिकतम लाभ लेने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

}सामान्यत: जैसे-जैसे पॉलिसी लिए साल बीतते जाते हैं वैसे-वैसे बीमे की आवश्यकता कम होती जाती है। उदाहरण के लिए अगर मनीष ने 20 साल की अवधि के लिए 50 लाख रुपये की पॉलिसी ली है, तो उनकी बीमा आवश्यकता शेष 19 वर्ष के लिए ही मानी जानी चाहिए।

उनकी आय एक साल की अवधि में 10 लाख रुपये से बढ़कर 11 लाख रुपये हो जाती है। इसके साथ उनकी बचत में भी इजाफा हो जाता है। कुछ साल बाद पॉलिसी की मियाद के साल कम हो जाते हैं और मनीष की परिसंपत्तियां और बचत बढ़ जाती है। इसके बाद उनके लिए इस बीमे का महत्व घट जाता है।

यहां यह बीमा वित्तीय जोखिम से निपटने का उपाय है लिहाजा अब मनीष को  कवर की जरूरत साल दर साल कम होती जाती है। क्योंकि इससे हासिल होने वाली आय की पुनर्निर्धारित वैल्यू नीचे आती जाती है। मियादी बीमा की एक अहम बात यह है कि साल गुजरने के साथ इसका प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।

यह दूसरी पॉलिसियों से अलग है जहां समय गुजरने के साथ प्रीमियम कम होता जाता है। इसलिए बीमा का सूत्र वाक्य है मियाद अधिक तो प्रीमियम कम। इस तथ्य के मद्देनजर अपनी बीमा जरूरतों को एक से अधिक पॉलिसी खरीदकर विभाजित कर लें।

आप यह कैसे करेंगे। इस उदाहरण से समझिए। अगर मनीष को 25 साल की अवधि के लिए एक करोड़ रुपये का बीमा चाहिए तो वह महज एक पॉलिसी लेने की जगह 20-20 लाख की पांच पॉलिसियां 5, 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि के लिए ले सकते हैं। ऐसा करने से दो लाभ होते हैं।

पहला तो यह कि अवधि पूरी होने के बाद प्रीमियम खत्म हो जाता है और नकदी का प्रवाह बढ़ता है। 5 साल के बाद मनीष की एक पॉलिसी में प्रीमियम भरना खत्म हो जाएगा।

चूंकि इन पॉलिसियों की मियाद कम है, लिहाजा दूसरा फायदा यह है कि पॉलिसीधारक को कम प्रीमियम भरना होगा। कम प्रीमियम के साथ ही उन्हें अपनी हिफाजत की जरूरतों के साथ भी समझौता नहीं करना होगा।

इसे हम 33 साल के एक व्यक्ति के उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि उसने 25 साल की अवधि के लिए एक करोड़ रुपये की पॉलिसी ली है। इसका प्रीमियम आईसीआईसीआई लाइफगार्ड में 35,991 हजार रुपये है।

अगर वह चार बीमा 5, 10, 15 और 20 साल की अवधि के लिए लेता है तो उसे कुल 33,812 रुपये का प्रीमियम भरना होगा जो एकल पॉलिसी की तुलना में 2,179 रुपये कम है। पांच साल बाद उसकी एक पॉलिसी खत्म हो जाएगी और उसे 6,313 रुपये का प्रीमियम नहीं भरना होगा।

इसके बाद एक के बाद दूसरी पॉलिसी खत्म होती चली जाएंगी और उसका हर पॉलिसी के साथ एक निश्चिम प्रीमियम भी खत्म होता जाएगा। ऐसे में यदि वह एक करोड़ रुपये की 25 साल की पॉलिसी ली है तो उसे इस अवधि में 8,99,775 ( लगभग 9 लाख रुपये) का प्रीमियम भरना पड़ेगा।

दूसरी स्थिति में जब उसने पांच अलग-अलग पॉलिसी ली हैं, उसे 5,27,335 रुपये का प्रीमियम ही भरना होगा। सीधे तौर पर यहां 3,72,440 रुपये की बचत है।

First Published - September 21, 2008 | 9:43 PM IST

संबंधित पोस्ट