लगातार दो तिमाहियों में शानदार बिक्री दर्ज करने के बावजूद भारतीय दवा क्षेत्र में उत्साहजनक मजबूती नहीं देखी जा रही है।
पिछले तीन महीनों के दौरान निफ्टी फार्मा ने निफ्टी-50 के मुकाबले 14 प्रतिशत तक कमजोर प्रदर्शन किया है। विश्लेषकों का कहना है कि इसकी वजह यह है कि निवेशक अब आर्थिक हालात में आ रहे सुधार और टीके को लेकर सकारात्मक खबरों को देखते हुए अन्य अवसरों पर भी ध्यान दे रहे हैं। फिर भी, इस क्षेत्र के लिए विकास परिदृश्य मजबूत है और आय की रफ्तार बनी रह सकती है। ताजा कमजोर प्रदर्शन और आय में अपग्रेड से खरीदारी का अवसर पैदा हुआ है और इस क्षेत्र में रेटिंग में सुधार को बढ़ावा मिल सकता है।
हैटॉन्ग सिक्योरिटीज के अमेय चलके कहते हैं, ‘टीके के लिए आवेदन/मंजूरियों की प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है, और यही वजह है कि अब नए अवसर वाले क्षेत्रों में निवेश बढऩे से इस क्षेत्र के लिए निवेश आवंटन में बदलाव से फार्मा शेयरों पर दबाव बना हुआ है। हालांकि हम इस क्षेत्र पर उत्साहित बने हुए हैं।’ इस उत्साह के कई कारण हैं। अमेरिकी बाजार में ज्यादा निवेश वाली कंपनियों ने अपने विकास परिदृश्य में मजबूती दर्ज की है, क्योंकि उन्हें मजबूत उत्पाद प्रवाह, बढ़ती मंजूरियों और जेनेरिक की ज्यादा संख्या में पेशकशों से मदद मिली है। इसके अलावा, अमेरिका में पहले दर्ज किया गया मूल्य निर्धारण दबाव अब नरम पड़ा है, जबकि दवाओं की किल्लत से भारतीय कंपनियों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत में जेनेरिक फॉर्मूलेशनों की वृद्घि तेज हो रही है।
चलके कहते हैं कि अगले तीन वर्षों के लिए फार्मा क्षेत्र में आय की अच्छी संभावना है, क्योंकि इसे अमेरिका में विशिष्ट उत्पाद मंजूरियों, स्पेशियल्टी व्यवसायों में सुधार, भारत में लागत ढांचे में सुधार, और चीन से भारत के लिए ऐक्टिव फार्मा इंग्रिडिएंट (एपीआई) के पलायन से मदद मिली है। उन्हें अगले 6 महीनों के दौरान किसी तरह की बड़ी नियामकीय बाधा सामने आने की आशंका नहीं दिख रही है। भारतीय दवा कंपनियों की नियामकीय चिंताएं काफी हद तक दूर हो गई हैं और सिर्फ ल्यूपिन, सन फार्मा, और कैडिला हेल्थकेयर
जैसी कुछ ही कंपनियों को समाधान का अभी इंतजार है।
फिर भी, कैडिला ने अन्य इकाइयों से उत्पाद स्थानांतरण और आपूर्ति का सहारा लिया है जबकि सन फार्मा अमेरिका में अपनी स्पेशियल्टी रेंज पर बड़ा दांव लगा रही है।
अन्य कंपनियों में, बायोकॉन की वृद्घि को उसके बायोसिमिलर पोर्टफोलियो के व्यावसायीकरण से मदद मिली है। सिप्ला और ल्यूपिन ने हाल में रेस्पिरेटरी संबंधी पेशकशों से बढ़त दर्ज की है। जहां डॉ. रेड्डीज ने विशिष्ट उत्पादों और इंजेक्टीबल्स पर ध्यान दिया है, वहीं अरविंदो ने इंजेक्टीबल्स में शानदार वृद्घि दर्ज की है। कई कंपनियों ने जेनेरिक पेशकशों की संख्या में तेजी दर्ज की है। विश्लेषकों का कहना है कि कोविड संंबंधित दवाओं की बिक्री, विशिष्ट उत्पाद मंजूरियों और नियमित रूप से जेनेरिक की पेशकश से इस क्षेत्र को अमेरिका में दूसरी तिमाही में 11.4 प्रतिशत की औसत वृद्घि दर्ज करने में मदद मिली और अरविंदो, कैडिला, डॉ. रेड्डीज, एल्केम और सिप्ला को इस संदर्भ में अच्छी बढ़त हासिल हुई है।
इसी तरह, घरेलू बाजार ने अक्टूबर 2020 में सालाना आधार पर 9.8 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की जबकि सितंबर 2020 में यह 4.7 प्रतिशत थी। एक्यूट सेगमेंट ने अक्टूबर में सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की, जो सितंबर में दर्ज की गई सालाना 2.4 प्रतिशत की वृद्घि के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। लगातार मजबूत योगदान
देने वाले क्रोनिक सेगमेंट ने अक्टूबर में सालाना आधार पर 13.1 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 9.5 प्रतिशत था।
वृद्घि को बढ़ रहे चिकित्सकीय दौरों से भी मदद मिल रही है। कोविड उपचार दवाओं ने भी सिप्ला, ग्लेनमार्क, और कैडिला के प्रदर्शन में अहम योगदान दिया है। इप्का को भी कोविड-19 उपचार के लिए दी जाने वाली एचसीक्यूएस से बड़ी मदद मिली है।
नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि महामारी ने समेकन की प्रक्रिया को तेज किया है और प्रमुख 20 कंपनियों ने पिछले 9 महीनों में अपनी बाजार भागीदारी में 100 आधार अंक तक का इजाफा किया। विश्लेषकों का कहना है कि कोविड दवाओं की बिक्री का दीर्घावधि में भी योगदान बना रह सकता है। जेफरी के विश्लेषकों का कहना है कि टीके संबंधित सकारात्मक आंकड़े के बीच भी कोविड महामारी बनी रह सकती है, और रेमडेसिविर को अस्पतालों में एक विशेष एंटी-वायरल कोविड उपचार के तौर पर प्राथमिकता बरकरार रहने की संभावना है। यह इस दवा का लाइसेंस प्राप्त करने वाली कई भारतीय कंपनियों के लिए सकारात्मक खबर है। इसके अलावा भारत में कई कंपनियां टीकों पर काम कर रही हैं और इसकी सफलता से उनके लिए रेटिंग अपग्रेड में मदद मिल सकती है। सीआईएमबी रिसर्च का कहना है कि सुधरते अमेरिकी परिदृश्य और नकारात्मक परिचालन दक्षता (जिससे प्रतिफल अनुपात प्रभावित हुआ था) में सुधार आने की संभावना है। कंपनी फार्मा सेक्टर पर ‘ओवरवेट’ बनी हुई है।
