शेयर बाजार में होने वाली गिरावट इक्विटी में निवेश करने से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना है, हालांकि कोई भी निवेशक ऐसी परिस्थिति से रूबरू नहीं होना चाहता है।
बाजार में हाल में आई गिरावट भी कुछ अलग नहीं थी। शेयर बाजार में पिछले कुछ वर्षों से चल रही तेजी की वजह से हर कोई यह सोच कर बाजार से जुड़ता चला गया कि शेयर के मूल्यों में वृध्दि होती रहेगी लेकिन हाल में अचानक हुई भारी गिरावट से उन लोगों का दिल टूट गया। बाजार में उतार चढ़ाव तो चलता ही रहता है लेकिन जिस स्तर की गिरावट अभी देखी गई उससे निवेशक चिंतित हो उठे हैं।
वास्तव में, यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले कुछ महीनों में बाजार की परिस्थितियां निवेशकों के लिए भयानक थी। सेंसेक्स में 25 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आने का प्रभाव इक्विटी फंडों के एनएवी पर साफ तौर पर देखा जा सकता था। इसके परिणामस्वरुप म्युचुअल फंड कंपनियों के पोर्टफोलियो जनवरी महीने की तुलना में एक दूसरी ही तस्वीर प्रस्तुत करने लगे। यद्यपि म्युचुअल फंड विविधीकृत रुप से निवेश करते हैं फिर भी गिरते बाजार का प्रभाव अभी झेलना बाकी है। हालांकि, एक अच्छा पोर्टफोलियो वाला विशाखित इक्विटी फंड यह सुनिश्चित कर सकता है कि एनएवी में आनेवाली गिरावट बाजार की तुलना में कम होगी।
एक तरफ ऊपर चढ़ता बाजार जहां निवेशकों को आत्मसंतुष्टि दे सकता है वहीं बाजार में आने वाली गिरावट से निवेशकों के मन में कई सारे सवाल उठ सकते हैं। बाजार के चढ़ते वक्त अधिकांश निवेशकों के मन में एक ही प्रश्न होता है कि उन्हें क्या खरीदना चाहिए?
जबकि गिरावट के समय ऐसी परिस्थिति ही बन जाती है कि निवेशक अपना आत्मविश्वास खोने लगते हैं। ऐसी परिस्थिति में निवेशक दुविधा में फंस जाते हैं। वे सोचने लगते हैं कि क्या सब कुछ बेच कर कैश का रुख किया जाए या फिर यह खरीदारी करने का बेहतर समय है या अपनी यूनिटों को भुना लिया जाए और जब बाजार का रुख बदलेगा तो फिर से खरीद लिया जाए?
ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो बाजार में आने वाली गिरावट की तीव्रता, आवृत्ति और अवधियां भिन्न-भिन्न होती है। बाजार में आने वाली गिरावट अधिकांश मामलों में आपको एक ऐसा अवसर उपलब्ध कराता है जिसमें आप यह जान सकते हैं कि आपके निवेश करने की प्रक्रिया कितनी सुरक्षित है। पोर्टफोलियो की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का भी यह एक अच्छा अवसर होता है।
इसके अतिरिक्त यह ऐसा समय होता है जब आप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। जिस फंड में निवेश से लाभ न हो रहा हो और जो फंड आपके जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरुप नहीं हो उससे अपना निवेश निकाल कर ऐसे फंडों में निवेश कर सकते हैं जो बाजार के सुधरने की प्रक्रिया में आपको बेहतर प्रतिफल उपलब्ध करा सकते हैं।
आस्ति आवंटन नीति में प्रतिबध्दता होनी जरुरी है ताकि इक्विटी और ऋण जैसे आस्ति वर्गों में बाजार की परिस्थितियों को अनदेखा करते हुए निवेश की एक निश्चित प्रतिशतता बरकरार रखी जा सके। वैसे निवेशक जो सिस्टेमेटिक तरीके से निवेश करते हैं उन्हें अपने निवेश की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए। दीर्घावधि में अनुशासित निवेश और पोर्टफोलियो की गुणवत्ता ही सफलता का कारण बनती हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि निवेश के क्षेत्र में 90 प्रतिशत सफलता इन दो कारकों से मिलती हैं और शेष 10 प्रतिशत बाजार में निवेश के सही वक्त के चुनाव से। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि अधिकांश निवेशक बाजार में निवेश के सही वक्त के निर्धारण में अपना 90 प्रतिशत वक्त और प्रयास खर्च करते हैं।
नए निवेशक जो अपना निवेश बाजार की गिरावट के दौर में शुरु करना चाहते हैं उन्हें अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार फंडों के चयन और उचित आस्ति आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कुछ निवेशक ऐसे फंडों में निवेश करने लगते हैं जिनमें सर्वाधिक गिरावट आई हो ताकि सुधार की प्रक्रिया के दौरान उन्हें अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
हालांकि, सच्चाई यह है कि अभी जैसी बाजार की परिस्थिति में मिड-कैप, स्मॉल कैप और सेक्टर फंड सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि एक सफल इक्विटी फंड का निवेशक बनने के लिए बाजार की वर्तमान परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी न होने दें जिससे आपके दीर्घावधि की नीति प्रभावित हो।
लेखक, वाइजइन्वेस्ट एडवाइजर्स के मुख्य कार्याधिकारी