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उदासीन बाजार में बाजार से ज्यादा रिटर्न

Last Updated- December 07, 2022 | 8:04 PM IST

सूचकांक निवेश का सिद्धांत बहुत साधारण है। शेयर बाजार लंबी अवधि में सभी अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करता है। सक्रिय निवेश के जरिए ब्रॉड मार्केट को पछाड़ना संभव है।


लेकिन अधिक दक्ष बाजार का अर्थ होता है होता है तो ज्यादा मुश्किलें होती हैं। इसलिए समृद्धि का सबसे सुरक्षित रास्ता है निष्क्रिय निवेश रणनीति। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। दुनिया भर मे सूचकांक आधारित फंडों और एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों की सफलता सूत्र भी यही है। एक क्रमबद्ध निवेश योजना बेहतर रिटर्न देती है।

हालांकि कारोबारी और निवेशक कुछ दूसरे चालाकी भरे उपाय भी आजमाते हैं जिससे बाजार के अनुमानों से ज्यादा रिटर्न अर्जित कर सकें। ये कुछ रणनीतियां इस प्रकार हैं। सबसे साधारण रणनीति डॉग्स ऑफ द डाउ जैसे यांत्रिक फिल्टर का इस्तेमाल करना है।  इसमें निवेशक उन शेयरों को खरीदता है जिनकी ऊंचे लाभांश देने की क्षमता होती है।

हर साल के अंत में लाभांश इकट्ठा किया जाता है और सबसे ज्यादा प्राइस एप्रीसिएशन वाले शेयरों को नए ऊंचे लाभांश देने वाले शेयरों से बदल दिया जाता है। इस रणनीति का मजबूत तर्काधार है। लाभांश देने वाला शेयर खरीदना एक व्यवहारिक कारोबार है। यह कीमतों में गिरावट से बचने का बेहतर जरिया है। भारत में यह खास तौर पर  फायदेमंद है क्योंकि यहां इस पर कर नहीं लगता।

दूसरा यांत्रिक फिल्टर निचली प्राइवेट इक्विटी, पीबीवी आदि हैं, इनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। टर्नओवर वेटेड सूचकांक भी एक अन्य फिल्टर है। टर्नओवर वेटेड इंडेक्स में भार मानक मार्केट कैप वेटेड सूचकांक से अलग होता है। टीओ सूचकांक लाभ वे हैं जहां बड़े अंडरवैल्यूड कारोबार का सकारात्मक रूप से पुनर्मल्यांकन किया जाता है।

यहां कुछ कारोबारी तरीके भी हैं जिनसे सूचकांक से ज्यादा और बाजार से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। उदाहरणस्वरूप यह सूचकांक डेरिवेटिव्स के शामिल करने से संभव है। अनुमान करें कि एक कारोबारी के पास पांच लाख रुपए हैं और उसकी इच्छा सूचकांक द्वारा दिए गए रिटर्न से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने की है।

किसी सूचकांक आधारित फंड में निवेश करने के बजाय कारोबारी सूचकांक वायदा खरीदना पसंद करेगा और शेष राशि का निवेश किसी लिक्विड फंड में करेगा। परंपरागत रूप से फ्यूचर्स पोजिशन की मार्जिन के लिए करीब 15 से 20 फीसदी की आवश्यकता होती है(इसमें रोलओवर भी शामिल है)। (यह लाँग कॉल्स के लिए काफी कम हो सकता है)। लिक्विड फंड में निश्चित सकारात्मक रिटर्न मिलता है।

जब बाजार चढ़ता है तो वायदा की स्थिति से भी वही रिटर्न मिलता है जितना कि सूचकांक आधारित फंड में पांच लाख रुपयों के निवेश पर मिलता। यदि बाजार गिरता है तो नुकसान भी उतना ही होता है जितना कि सूचकांक आधारित फंड में पांच लाख रुपयों के निवेश किए जाने पर होता।

दोनों स्थितियों में लिक्विड फंड का रिटर्न बाजार के रिटर्न से कुछ ज्यादा होता है। नुकसान की हालत में वायदा स्थितियों को हर रोलओवर पर हानि के रूप में पेश किया जाता है। लेकिन यहां पर यह संभावना भी है कि नुकसान उठाता सूचकांक आधारित फंड अच्छा प्रदर्शन करने लगे। लाभ के साथ कर भी छोटी अवधि के पूंजी लाभ हैं। लाभ और नुकसान अलग-अलग भी देखे जा सकते हैं।

किसी भी दिए गए समय में लिक्विड फंड और वायदा को अपनाने की रणनीति बेहतर प्रदर्शन करती है। मिड मंथ फ्यूचर्स या छह महीनें का ऑप्शन खरीदना भी संभव है। इसलिए हानियां भी निश्चित रूप से सीमित हो सकते हैं अगर बाजार में बढ़त बेहतर रहती है। लेकिन सूचकांक आधारित फंड ऐसी परिसंपत्ति है जिनको काफी समय तक रखा जा सकता है और यह परिसंपत्ति के नुकसान से बेहतर है।

इस थीम की एक जटिल विविधता संपूर्ण पूंजी को सूचकांक आधारित फंड में निवेश करना है और तब इस पर उधारी करना। यदि आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड पर उधारी करते हैं तो आप ऊंची ब्याज दर पर करीब 90 फीसदी तक की कीमत हासिल कर सकतें हैं। यहां किसी लिक्विड फंड पर उधारी करना भी संभव है। लेकिन इस रणनीति में यह विश्वास किया जाता है कि ईटीएफ का रिटर्न लिक्विड फंड के रिटर्न से ज्यादा होगा।

उधार ली गई नगदी को लाँग फ्यूचर्स या लाँग कॉल्स में लगाया जा सकता है। यह एक लाँग-लाँग रणनीति है। यदि बाजार ऊपर जाता है तो आप का रिटर्न ब्याज की लागत के बाद 400 फीसदी से भी ज्यादा होगा। लेकिन अगर बाजार गिरता है तो ब्याज का नुकसान उधार ली गई पूंजी में जुड़ता है। यहां कोई सबसे सुरक्षित रणनीति नहीं है जो संस्थागत आधार पर सुरक्षित हो।

हालांकि बाजार की उतार-चढ़ाव से बचने का कोई सीधा साधा जरिया नहीं हैं। हालांकि अगर कारोबारियों और चालाक निवेशकों के निवेश पर गौर किया जाए तो  जो जादुई दिखती है वह यह  है कि यह अंडर-कैपिटलाइज्ड व्यक्तियों के लिए भी पूरी तरह से संभव है। ज्यादातर कारोबारियों को नुकसान होगा। लेकिन कुछ स्मार्ट और भाग्यशाली कारोबारी बाजार से ज्यादा रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं।

First Published - September 7, 2008 | 10:05 PM IST

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