भारतीय निवासियों को रुपये में गैर-डिलिवरी वाले विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव अनुबंध (एनडीडीसी) की पेशकश करने के लिए बैंकों को अनुमति देने के नियामक के फैसले से घरेलू और विदेशी बाजारों के बीच मध्यस्थता खत्म करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों ने गुरुवार को यह उम्मीद जताई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) बैंकिंग इकाइयों का परिचालन करने वाले भारतीय बैंक देशी बाजार में रुपये में एनडीडीसी की पेशकश कर सकते हैं।
मौद्रिक नीति के साथ जारी किए गए विकासात्मक और नियामकीय नीतियों के संबंध में इस बयान में कहा गया है कि डेरिवेटिव अनुबंध रुपये में तय किए जाएंगे और केंद्रीय बैंक उनके बारे में अलग से निर्देश जारी करेगा।
आरबीआई ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य देश के भीतर भारतीय रुपये (आईएनआर) में एनडीडीसी को विकसित करना और निवासियों को अपने हेजिंग कार्यक्रम कुशलतापूर्वक तैयार करने के लिए लचीलापन प्रदान करना है।
ईवाई इंडिया के प्रमुख (वित्तीय सेवा) अबिजर दीवानजी ने कहा कि एनडीएफ बाजार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा क्षेत्र में लाना स्वागत योग्य कदम है क्योंकि हम अधिकांश मुद्राओं के मुकाबले रुपये के लिए अधिक वास्तविक फॉरवर्ड दर देख सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में परिचालन करने वाली भारतीय बैंकों की इकाइयों को 1 जून, 2020 से अनिवासियों के साथ और एक-दूसरे के साथ रुपये में एनडीडीसी के लेनदेन की अनुमति दी गई थी।
इन बैंकों को अपने एनडीडीसी लेनदेन को अनिवासियों के साथ और एक-दूसरे के साथ विदेशी मुद्रा या रुपये में निपटाने की सुविधा होगी, जबकि निवासियों के साथ लेनदेन अनिवार्य रूप से रुपये में निपटाए जाएंगे।
वित्तीय सलाहकार और भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व उप प्रबंध निदेशक वेंकट नागेश्वर चलसानी ने कहा कि निवासियों की एनडीएफ बाजार तक पहुंच होगी तथा और ज्यादा हेजिंग वाले उत्पाद पेश किए जा सकते हैं।