वित्त-बीमा

अनिवार्य रूप से उधारी की निगरानी करे नैबफिड : रिजर्व बैंक

नैबफिड विकास के वित्तीय संस्थानों का संस्थान है। इसकी स्थापना 2021 में आधारभूत ढांचे को धन जुटाने के उद्देश्य से की गई थी।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- September 12, 2024 | 11:01 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (नैबफिड) को ऋण वितरण के बाद निगरानी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह आधारभूत ढांचे का अनुकूल परिणाम पाने में मुख्य बाधक है। नैबफिड विकास के वित्तीय संस्थानों का संस्थान है। इसकी स्थापना 2021 में आधारभूत ढांचे को धन जुटाने के उद्देश्य से की गई थी।

राव ने नैबफिड इन्फ्रास्ट्रक्चर के कॉनक्लेव में कहा ‘विकास के वित्तीय संस्थानों (डीएफआई) के विफल होने का प्रमुख कारण दी गई उधारी पर मजबूत निगरानी का अभाव है और इससे अनुकूल परिणाम भी हासिल नहीं हो पाते हैं। लिहाजा पुरानी घटनाओं से सीख लेने की जरूरत है और इसके लिए धन मुहैया करवाई गई परियोजनाओं की निगरानी व मूल्यांकन के लिए प्रतिबद्ध इकाइयां स्थापित करने की आवश्यकता है जो नियमित रूप सर्वे और मूल्यांकन करें। इससे वितरित की गई राशि का समुचित रूप से मूल्यांकन किया जा सकेगा। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित हो पाएगा कि परियाजनाओं के लिए वित्त मुहैया कराना व ठोस प्रगति एक दूसरे के अनुरूप हो।’

इसके अलावा उन्होंने कहा कि फंसी हुई संपत्तियों के मुद्रीकरण और समाधान के लिए समुचित तंत्र अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाए। इसके अलावा इन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने के लिए आंतरिक विशेषज्ञता विकसित की जाए।

इस मौके पर डिप्टी गवर्नर ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को परियोजनाओं को धन मुहैया कराने के प्रस्तावित मानदंडों के लिए सुझाव मिले हैं और संशोधित विनियमन शीघ्र जारी कर दिया जाएगा।

इस सिलसिले में नैबफिड के उप प्रबंध निदेशक सैमुअल जोसफ ने टिप्पणी की कि इन संशोधित मानदंडों से ऋण का मूल्य 0.3 से 0.4 प्रतिशत बढ़ सकता है। राव ने यह भी कहा कि नैबफिड को कारोबार में आत्मनिर्भर का लक्ष्य हासिल करना चाहिए।

First Published : September 12, 2024 | 11:00 PM IST