प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश से सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने शुक्रवार को टियर-2 बॉन्डों के माध्यम से 6.93 प्रतिशत कूपन दर पर 7,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह चालू वित्त वर्ष में किसी भी बैंक द्वारा बॉन्ड से जुटाई गई सबसे अधिक धनराशि है।
बॉन्ड की अवधि 10 वर्ष है, जिसमें 5 वर्ष के बाद कॉल ऑप्शन और उसके बाद हर साल जारी होने की तिथि को ऑप्शन तय किया गया है। बॉन्ड को घरेलू रेटिंग एजेंसियों द्वारा एएए रेटिंग दी गई है।
बाजार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि कीमत के हिसाब इस इश्यू पर ब्याज कम रहा, क्योंकि यह 6.95 से 7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद की गई थी। उन्होंने कहा कि इस अनुमानित ऊपरी सीमा की तुलना में कूपन रेट 7 आधार अंक कम रहा। बैंक ने एक बयान में कहा, ‘निवेशकों की ओर से इस इश्यू को जोरदार प्रतिक्रिया मिली और 5,000 करोड़ रुपये बेस इश्यू के आकार के मुकाबले करीब 3 गुना अधिक बोलियां मिलीं। प्राप्त बोलियों की कुल संख्या 101 थी। इससे पात्र संस्थागत बोलीकर्ताओं के विविधीकृत स्वरूप का पता चलता है। निवेशकों में भविष्य निधि, पेंशन निधि, म्युचुअल फंड, बैंक आदि शामिल थे।’
इसका बेस इश्यू 5,000 करोड़ रुपये और ग्रीन शू ऑप्शन 2,500 करोड़ रुपये था। टियर-2 बॉन्ड बैंकों द्वारा जारी डेट इंस्ट्रूमेंट का एक प्रकार होता है, जो बेसल-3 मानकों के तहत पूंजी का आधार मजबूत करने की कवायद होती है। यह बैंक की टियर-2 पूंजी का हिस्सा हैं, जिसे पूरक पूंजी माना जाता है, क्योंकि यह इक्विटी या परपेचुअल बॉन्ड जैसे टियर-1 पूंजी की तुलना में कम सुरक्षित है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि व्यापक भागीदारी और बोलियों की विषमता ने देश के सबसे बड़े बैंक में निवेशकों के भरोसे को पुष्ट किया है। प्रतिक्रिया के आधार पर बैंक ने 6.93 प्रतिशत सालाना कूपन दर पर 7,500 करोड़ रुपये स्वीकार करने का फैसला किया है, जिसकी अवधि 10 साल और कॉल ऑप्शन 5 साल बाद है।
देश के निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने जून में 7.45 प्रतिशत कूपन दर पर 1,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसका बेस इश्यू 500 करोड़ रुपये और ग्रीन शू ऑप्शन 500 करोड़ रुपये था। टियर-2 बॉन्डों की मेच्योरिटी 15 साल और कॉल ऑप्शन 10 साल बाद का रखा गया था।
वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत से ही उल्लेखनीय रूप से बैंक घरेलू ऋण पूंजी बाजार में अनुपस्थित रहे हैं। इसकी वजह से अब तक कुल मिलाकर कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार की गतिविधियों पर बुरा असर पड़ा है। बहरहाल बहुत कम दर पर स्टेट बैंक ने 7,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिससे उम्मीद है कि अन्य बैंक भी बॉन्ड लाने पर विचारकरेंगे और टियर-2 बॉन्डों में संभावना तलाशेंगे।
उन्होंने कहा कि इससे कुल मिलकार बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाने की गतिविधियों को बल मिल सकता है और मौजूदा तिमाही में इसमें तेजी आ सकती है।
भारतीय कंपनियों ने 2025-26 की पहली छमाही के दौरान घरेलू ऋण बाजार में बॉन्ड के माध्यम से 5.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। पहली तिमाही में धन जुटाने में तेजी थी और कम यील्ड के बीच 3.44 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए। वैश्विक और घरेलू वजहों से यील्ड सख्त होने के कारण दूसरी तिमाही में में गतिविधि धीमी हो गई, जिसमें 2.03 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए।