नए वित्त वर्ष में प्रवेश करने के साथ ही किसी व्यक्ति के सामने अनेक सवाल खड़े दिख रहे हैं।
पिछले साल शेयर बाजार के धराशायी होने के बाद सभी निवेशकों के मन में यही उलझन है कि क्या शेयरों में निवेश करना सुरक्षित रह गया है? वास्तव में, रियल एस्टेट या फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में निवेश करने वाले निवेशक इस साल दोगुनी सतर्कता दिखा रहे हैं।
पिछले चार सप्ताहों में शेयर बाजार के रुख को देख कर उनकी अनिश्चितताएं और बढ़ रही हैं। बाजार की चाल ने सबको हतप्रभ कर दिया है। अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञों की तुलना में भविष्यवक्ता यादा विश्वसनीय लगने लगे हैं। बीएसई सेंसेक्स चार सप्ताह में 10,348.83 के स्तर पर बंद हुआ है।
हालांकि, यह देखते हुए कि कंपनियों के परिणाम अब जल्दी ही आने शुरू हो जाएंगे और उसके बाद आम चुनाव होंगे, कोई भी व्यक्ति ठीक-ठीक इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता कि अगले दो महीनों में बाजार किस दिशा में जा सकता है।
आश्चर्य की बात नहीं है कि हाल के दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशक खरीदारी के मूड में नजर आए हैं जबकि म्युचुअल फंड कंपनियां नकदी लेकर बैठी हुई हैं। धनाढय व्यक्ति भी बाजार में यादा पैसा लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। स्पष्ट है कि इक्विटी में निवेश करने वालों के लिए यह वक्त यादा आकर्षक नजर नहीं आ रहा।
वर्तमान समय में रियल एस्टेट क्षेत्र में भी खरीदारी का दौर शुरू नहीं हुआ है। अधिकांश लोगों का मानना है कि खरीदारी के लिए अभी कीमतों में कुछ और कमी होनी चाहिए। बैंक भी, जो पहले खुले दिल से आवास और व्यक्तिगत ऋण देना चाहते थे, अब काफी सतर्क हो गए हैं।
वास्तव में, एक तरफ जहां आवास ऋण की दरें घटाई गई हैं वहीं बैंक घर के मूल्य का 70 से 75 प्रतिशत से अधिक ऋण देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। भारतीय निवेशकों का पसंदीदा परिसंपत्ति वर्ग सोने के भाव भी 15,700 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गए थे और अब इसकी कीमतें वापस 14,700 के स्तर पर आ गई हैं।
कीमतें बढने से सोने के खरीदार भी घट गए। भारत जो हमेशा सोने का सबसे बड़ा आयातक था, पिछले दो महीने में निर्यातक बन गया। अंतत: ऋण की बात करें तो बॉन्ड के लाभ भी घटे हैं और इस कारण कीमतें या तो घटी हैं या अस्थिर हुई हैं।
दूसरे शब्दों में, एक निवेशक के नजरिये से विभिन्न परिसंपत्ति वर्ग में कोई भी वर्ग ऐसा नहीं बचा है जो सुरक्षित होने के साथ-साथ स्थिर प्रतिफल दे सके। निश्चय ही सावधि जमाएं एक सुरक्षित विकल्प बची हैं लेकिन इनसे मिलने वाले प्रतिफल पर आयकर चुकाना पड़ सकता है।
ऐसी परिस्थिति में यह महत्वपूर्ण है कि स्थितियों का सावधानीपूर्वक जायजा लिया जाए और तब सही निवेश की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाए जाएं। सबसे पहले किसी निवेशक को अपने वित्तीय लक्ष्य को समझना चाहिए। फिर सबसे महत्वपूर्ण चरण आता है जिसके तहत आप इस लक्ष्य के लिए फंडों का आवंटन करते हैं। व्यक्ति के अनुसार यह क्रिया बदलती है लेकिन कुछ दिशानिर्देश जो इन परिसंपत्ति वर्गों के परिदृश्यों पर आधारित हैं, सभी पर लागू होते हैं।
शेयर: यद्यपि इक्विटी बाजार में अभी नई तेजी दिखाई दे रही है लेकिन एक बात याद रखें कि आप बाजार में निवेश करने के सही सही समय का निर्धारण नहीं कर सकते। सबसे अच्छी नीति है कि आप रुक-रुक कर निवेश करें।
मतलब, जब कभी बाजार में गिरावट नजर आए तो कुछ पैसे लगा दें। बाजार में मंदी के समय निवेश की जाने वाली राशि का 5 से 10 प्रतिशत अच्छे ब्लू चिप शेयरों में लगाएं। इससे सस्ते में आप एक अच्छा पोर्टफोलियो बना पाएंगे।
हां, कुछ ऐसे दिन भी देखने को मिलेंगे जब बाजार में कोई आस नहीं दिखेगी। लेकिन, परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इससे आप सही निर्णय लेने में असमर्थ हो जाएंगे। अगर आप सीधे तौर पर इक्विटी में निवेश करते हैं तो अपना जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखें। क्योंकि, बुरे वक्त में बढ़िया से बढ़िया ब्लू चिप फंड में भी भारी गिरावट आ सकती है।
इसके अतिरिक्त अगर आप म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करते हैं तो अपनी योजनाबध्द निवेश योजना को जारी रखें या फिर एक नए सिप की शुरुआत करें। याद रखें कि सिप के माध्यम से निवेश करने में बाजार में गिरावट आने तक का इंतजार नहीं करना चाहिए।
सबसे महत्वपूर्ण बात कि खराब फंडामेंटल वाले शेयरों को छांटने का यह सबसे उपयुक्त समय है, भले ही थोड़ा घाटा उठाना पड़े। अच्छे शेयर भाव वाली कंपनियों में उस धन का पुनर्निवेश करें। इसके अतिरिक्त खराब प्रदर्शन करने वाले फंडों से पैसे निकाल कर उसे लार्ज कैप वाले फंडों में लगाएं।
सोना: ऐसे समय में जब डॉलर कमजोर है, सोना चमकेगा और वर्तमान स्तर से कहीं ऊंचा जा सकता है। हालांकि, अगर आपने इसकी खरीदारी पहले कर रखी है तो अभी आंशिक रूप से बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं। यद्यपि, सोने की कीमतें 17,500 रुपये के स्तर तक जाने की संभावना है।
सोने की खरीदारी करने का सबसे सही वक्त तब है जब इसकी कीमतें लगभग 11,000 से 12,000 रुपये के बीच होती है। सोने के निवेशकों को यह मान कर चलना चाहिए कि यह परिसंपत्ति वर्ग काफी अस्थिर भी साबित हो सकता है।
रियल एस्टेट: आपने भी देखा होगा कि कुछ बिल्डर आजकल अखबार के विज्ञापनों के माध्यम से आकर्षक छूट की पेशकश कर रहे हैं। लेकिन वास्तविकता यह है अभी खरीद फरोख्त काफी कम हो रही है।
बैंक भी आकर्षक ब्याज दरों की पेशकश कर रहे हैं हालांकि उन्होंने ब्याज दरों में ज्यादा कटौती नहीं की है। ब्याज दरें आने वाले कुछ महीनों में और घट सकती हैं और कुछ दिनों तक धैर्य रखना फायदेमंद साबित हो सकता है।
ऋण: अल्पावधि के लिए आप अपने पैसे सावधि जमाओं में लगा सकते हैं। यह उनके लिए ज्यादा फायदे का सौदा है जो कम आयकर वर्ग में आते हैं। अगर आप उच्च कर वर्ग में आते हैं तो फ्लोटिंग रेट और शॉर्ट टर्म इनकम फंडों का चुनाव कर सकते हैं।
अगर आप 8 से 12 महीनों के लिए निवेश करना चाहते हैं तो दीर्घावधि के बॉन्ड फंडों को चुन सकते हैं। सरकार की उधारी योजना को लेकर बॉन्ड बाजार में हालांकि काफी अस्थिरता रही है लेकिन आपके पोर्ट फोलियो का एक हिस्सा इससे अल्पावधि में बेहतर प्रतिफल अर्जित कर सकता है।
लेखक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार हैं।
