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छोटी उम्र के बड़े-बड़े ख्वाब, टूट न जाएं कहीं

Last Updated- December 07, 2022 | 7:01 AM IST

अनूप शर्मा ने 22 वर्ष की उम्र में बतौर मार्केटिंग एक्जीक्युटिव एक कूरियर कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। अनूप के ख्वाब उसकी आमदनी से काफी महंगे-महंगे थे।


हाई एंड मोबाइल, बाइक और महंगे ब्रांडेड कंपड़े, वह यह सब पहले ही दिन खरीदन लेना चाहता था जिस दिन उसे उसका पहला वेतन 12 हजार रुपये मिला। माता-पिता की नसीहत कि अपने पैसे बचाओ के बावजूद दो साल के भीतर ही शर्मा को 20 हजार रुपये अपने दोस्तों और 30 हजार रुपये क्रेडिट कार्ड के चुकाने थे।

अनूप ने कहा, ‘अपने क्रेडिट कार्ड का भुगतान करने के लिए मुझे एक पर्सनल लोन लेना पड़ा, क्योंकि मेरे पापा ने मुझे मदद देने से मना कर दिया था।’ उन्हें बचत न कर पाने का कोई अफसोस नहीं है, लेकिन हां, उन्हें इस बात का दुख है कि वह अपने पिता की परिवार में किसी भी तरह की वित्तीय मदद नहीं कर पाए, जबकि उसके पापा मार्च में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

यह उसके पिता विनोद शर्मा के लिए यह काफी मुश्किलातों भरा समय था, जो अपने सेवानिवृत्त होने से पहले अपने बेटे को वित्तीय मामले में आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। विनोद शर्मा का कहना है, ‘कुछ भी काम नहीं कर सका। वह हमारी हर सलाह फिर चाहे वह बचत की हो या फिर घर के खर्च में हाथ बंटाने का हो उसकी अनदेखी करता रहा। ऐसा नहीं था उसका घर पर पैसा देना जरूरी था, लेकिन हम सिर्फ यह चाहते थे कि उसमें सही आदतें पैदा हों।’

शर्मा परिवार ही एकलौता ऐसा मामला नहीं हैं। अपने कैरियर की शुरूआत में तेजी से युवा कर्जे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। अब आप इसे दोस्तों की ओर से बना दबाव कहें या फिर सीधे-सीधे शब्दों में नई-नई मिली पैसों की आजादी जिसे वे संभाल पाने में सक्षम नहीं हैं। बेशक आज भारतीय मध्यम वर्ग के परिवारों की मालिया हालत पेहले से काफी बेहतर हो चुकी है और अब उन्हें घर चलाने के लिए अपने बच्चों के पैसों की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन ऐसे में बच्चों के बहुत तेजी से आगे बढ़ने का डर बना हुआ है।

एक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार विश्राम मोदक का कहना है, ‘ये बच्चे महंगे मोबाइल और लैपटॉप खरीदने की चाह को पूरा करने के लिए बेतरतीब तरीके से खर्च करते हैं।’ ऐसे में बच्चों को बचत के फायदे समझाना और भी मुश्किल है जब वे हमउम्र दोस्तों को भी ऐसा करते देखते हैं। मोदक का कहना है, ‘अक्सर ऐसे में बड़ों को उनके वित्तीय पचड़ों में से निकालने के लिए आगे आना पड़ता है।’

खर्च और परिवार की भावनाओं का रखें ध्यान अधिकतर युवा अक्सर अपने माता-पिता के सपनों को दर-किनार कर देते हैं क्योंकि परिवार की हालत काफी बढ़िया है। ट्रांसेंड इंडिया के निदेशक कार्तिक झावेरी का कहना है, ‘घर के छोटे-छोटे खर्च जैसे कि टेलीफोन या बिजली का बिल भरने से माता-पिता को कितनी कितनी खुशी मिलेगी वे यह समझ ही नहीं पाते।’

एक संग्रहालय में संरक्षण सहायक के पद पर नौकरी कर रही बलजीत कौर का मासिक वेतन 20 हजार रुपये है, लेकिन जब उनसे यह सवाल किया गया कि आखिर वे बचत क्यों नहीं करती तो उसके पास  कोई जवाब नहीं था। उसने कहा, ‘अगर मैं घर के खर्च में लगातार मदद नहीं करती तो कम से कम किसी से पैसे मांगती तो नहीं हूं।’

माता-पिता की देख-रेख में

माता-पिता का हस्तक्षेप हमेशा बच्चों को बचत करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए अमिताभ मिश्रा के पिता ने अपने बेटे को शुरू के दो वर्षों में उसे पूरी कमाई घर पर देने को कहा। वे अपने बेटे को रोजमर्रा के खर्च के हिसाब से कुछ पैसे दे देते थे, जबकि वह एक ऑटो सेल्स अधिकारी की तरह काम कर रहा था।  अमिताभ का कहना है, ‘मैं जब भी अतिरिक्त पैसे मांगता वे मुझसे सवाल करते। लेकिन उन्होंने कभी मुझे महंगी चीज खरीदने से मना नहीं किया अगर मुझे वह चाहिए होती तो। इससे मुझे अपने खर्च को अच्छे से संभालने में मदद भी मिली।’

यदुवंश तिवारी सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर योगेश तिवारी के पिता हैं। वे हमेशा अपने बेटे को उसकी पढ़ाई के दौरान काम करने के लिए प्रेरित करते रहे ताकि वह अपने पैसे को संभालने की कला सीख जाए। जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, योगेश कंप्यूटरों को रिपेयर करता। योगेश का कहना है, ‘बेशक उन्होंने मुझे कभी भी पैसों के लिए मना नहीं किया, लेकिन उन्होंने हर बार इस बात का ख्याल रखा कि मैं अपने पार्ट टाइम काम से अपने खर्च पूरे करूं।’

आज 23 वर्ष की उम्र में योगेश 35 हजार रुपये अपनी नौकरी और पार्ट टाइम कंप्यूटर कारोबार से कमा रहा है और वह गर्व से कहता है कि उसके पिता को अपनी पेंशन के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।

अपनी मंजिल खुद चुनें

यह मुनासिब नहीं है कि सभी युवओं को पैसे बचाने के लिए इसी तरह की परिस्थितियों से गुजरना होगा। संपत्ति प्रबंधन सेवाएं देने वाली फर्म एंजेल ब्रोकिंग के निदेशक हितुंगशु देबनाथ का कहना है, ‘जब कोई पहली बार कमाना शुरू करता है, समय के साथ-साथ उसे अपने पैसे को संभालाना आ जाता है और वह अपने खुद की गलतियों से भी सीखता है।’ जिब आप नौकरी शुरू करें तब एक नियम बना लें कि आपको अपनी कमाई का 10 प्रतिशत तक तो बचाना ही है। 6 महीने के बाद बचत के इस हिस्से को बढ़ा लें। झावेरी का कहना है, ’25 प्रतिशत की बचत आदर्श मानी जाती है।’

देबनाथ की सलाह है कि किसी को भी कर मुक्त बचत के लिए भविष्य निधि से शुरुआत करनी चाहिए। बीमा भी एक बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि कम आयु में प्रीमियम कम होता है। सुव्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी ) के तहत अगर म्युचुअल फंडमें निवेश किया जाए तो वह आपके लंबे समय के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। अगर आपने को कर्ज ले रखा हो तो उसे अपनी कमाई का सिर्फ 15 फीसदी तक ही रखें। सबसे पहले के्रडिट कार्ड का कर्ज चुका दें, उसके बाद निजी कर्ज और फिर ऑटो कर्ज।

अपने पैसे में से एक हिस्सा अपने माता-पिता के लिए भी जरूर रखें ताकि आप उन्हें बता सकें कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं। शुरुआत में कोई भी छोटी-छोटी जिम्मेदारियां जैसे कि बिजली या टेलीफोन का हर बार बिल भरना, उठा सकता है। अगर आपके माता-पिता सेवानिवृत हो चुके हैं, तो आप वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में निवेश कर सकते हैं और उनके लिए एक अदद स्वास्थ्य बीमा ले सकते हैं। बेशक आप अपनी इस नई आजादी का मजा उठा सकते हैं, लेकिन अपनी कुछ जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए।

बलजीत कौर और लेखा-जोखा

हाथ में आने वाला वेतन : 20 हजार रुपये
घर में योगदान : जरूरत के अनुसार
मासिक खर्च : 12 हजार रुपये
बचत : बैंक में 30 हजार रुपये
जल्दी से पाना चाहती हैं : एक लैपटॉप और विदेश में आगे पढ़ने के लिए पैसे बचाना

First Published - June 23, 2008 | 12:41 AM IST

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