भारत में निजी क्षेत्र के बैंकों के नए ऋण महंगे हो गए हैं। सितंबर 2024 में इस तरह के ऋण पर भारित औसत उधारी दर (डब्ल्यूएएलआर) 14 आधार अंक बढ़कर 10.33 प्रतिशत हो गई है, जो अगस्त 2024 में 10.19 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरों में कुल मिलाकर 4 आधार अंक की कमी आई है और यह घटकर सितंबर में 9.37 प्रतिशत हो गया है, जो इससे पिछले महीने में 9.41 प्रतिशत था।
विदेशी बैंकों के नए ऋण पर भी डब्ल्यूएएलआर में वृद्धि हुई है। अगस्त 2024 के 9.35 प्रतिशत से बढ़कर यह सितंबर में 9.41 प्रतिशत हो गया है। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाताओं की डब्ल्यूएएलआर दरें अगस्त 2024 के 8.60 प्रतिशत से घटकर सितंबर में 8.57 प्रतिशत हो गई हैं।
बकाया ऋण पर डब्ल्यूएएलआर ऋण दरें करीब स्थिर रहीं, जो अगस्त में 9.91 प्रतिशत से 1 आधार अंक घटकर सितंबर में 9.90 प्रतिशत हो गईं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक साल की औसत सीमांत लागत पर आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह अक्टूबर में 8.95 प्रतिशत रही, जो सितंबर 2024 में भी इसी स्तर पर थी।
जमा दरों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि रुपये में नए जमा पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) सितंबर में 6.54 प्रतिशत रही है, जो अगस्त 2024 में 6.46 प्रतिशत थी। सरकारी बैंकों की बकाया रुपया सावधि जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर भी सितंबर में बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 6.93 प्रतिशत थी।
बहरहाल केयर रेटिंग्स ने कहा कि सरकारी बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (एनआईएम) सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही में 2.62 प्रतिशत पर करीब स्थिर रही है, जो जून तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही) में 2.63 प्रतिशत थी।