भारतीय जीवन बीमा निगम ने इस साल ग्रामीण इलाकों में चालीस लाख पॉलिसियों को बेचने का लक्ष्य रखा है।
पिछले साल एलआईसी ने कुल पांच करोड़ पॉलिसियां बेंची थी जिसमें से 1.1 करोड़ पॉलिसियां उसने ग्रामीण इलाकों में बेंची थी। एलआईसी के चेयरमैन टी एस विजयन ने इस्कॉच समिट के दौरान कहा कि दो साल पहले बीमा कंपनियों ने एनजीओ,माइक्रोफाइनेंस संगठनों, सहकारी सोसाइटीज और ग्रामीण बैंकों केजरिए आठ लाख पॉलिसियां बेंची थी।
उन्होंने कहा कि जबकि अब एलआईसी तकनीकी स्तर पर भी मजबूत है और हमनें नऐ डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर काम करना शुरु कर दिया है। इन बातों को देखते हुए हमनें इस वित्तीय वर्ष में चालीस लाख पॉलिसियों को बेचने का लक्ष्य रखा है। गौरतलब है कि शहरी भारत में जहां हर दूसरा पेड वर्कर बीमित है वहीं ग्रामीण इलाकों में महज 27 फीसदी लोगों की पहुंच ही बीमा पॉलिसियों तक है।
विजयन ने कहा कि बीमा कंपनियों के लिए मुख्य चुनौती है कि ग्रामीण इलाकों में वे अपनी पहुंच को मजबूत बनाएं। विजयन ने यह भी कहा कि जिस प्रकार आरबीआई ने माइक्रो क्रेडिट बैंकों और नाबार्ड के लिए टेक्नोलॉजी इन्फ्यूजन फंड का प्रावधान किया है वैसा ही प्रावधान बीमा क्षेत्र में भी करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एलआईसी के पूर्व चेयरमैन की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने हाल में ही सिफारिश की है कि रिटेल इश्योरेंस उत्पादों को बेचने के लिए नए बिक्री चैनल बनाए जाएं जिनमें पर्याप्त सुरक्षा भी उपलब्ध हो। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस कमेटी ने अपनी सिफारिशों में माइक्रोइंश्योरेंस एजेंसी के दायरे में विस्तार कर कियोस्क और ग्रामीण वितरण चैनलों को शामिल करने के लिए भी कहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण कियोस्क सेवाएं देने के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। गौरतलब है कि आज के दौर में बैंक भी माइक्रो-फाइनेंनसिंग की ओर ध्यान दे रहे हैं।