ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी इंजीनियरिंग कंपनियां फिर से चर्चा में हैं। वजह है, उन्हें ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर से मिल रहे मोटे ऑर्डर।
2008 के आखिर के महीनों की खामोशी के बाद अब घरेलू और विदेशी बाजार से उन्हें मोटे ऑर्डर मिल रहे हैं।
कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन (केपीटीएल) घरेलू ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन बाजार के बड़े खिलाड़ियों में से भी एक है। इसका घरेलू बाजार के 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा है।
इसलिए आने वाले महीनों में उनके मुनाफे भी काफी ऊंचे स्तर पर रहने की उम्मीद है। ऐसी ही एक कंपनी है, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन (केपीटीएल)। कंपनी का ज्यादातर कारोबार स्थिर कीमतों के आधार पर आता है। कंपनी को अभी हाल ही में दो बड़े ऑर्डर मिले हैं।
इनमें से एक तो मार्च के पहले पखवारे मिला था, जो 760 करोड़ रुपये का है। दूसरा 25 करोड़ डॉलर (करीब 1250 करोड़ रुपये) का ऑर्डर उसे कुवैत सरकार से मिला है। यह किसी भारतीय कंपनी को विदेशी मुल्क की सरकार से मिला अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है।
यह कंपनी ट्रांसमिशन लाइन्स के डिजाइन, फैबरिकेशन, कंस्ट्रक्शन और उन्हें स्थापित करती है। साथ ही, यह सब स्टेशन को भी बनाती है।
कंपनी घरेलू ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन बाजार के बड़े खिलाड़ियों में से भी एक है। इसका घरेलू बाजार के 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा है। इसलिए इस सेक्टर के मौकों का फायदा इसे जरूर होगा।
मौके हैं मौजूद
आमतौर पर घरेलू बाजार में इस सेक्टर से जुड़े ऑर्डर पावरग्रिड कॉर्पोरेशन की तरफ से आते हैं। पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ने 11वीं योजना के तहत 55 हजार करोड़ रुपये के पूंजी विस्तार की योजना बनाई है। मतलब, हर साल करीब 10-11 हजार करोड़ रुपये का पूंजी विस्तार करेगी।
इस वित्त वर्ष में कंपनी ने 8,500 करोड़ रुपये का पूंजी विस्तार किया है, जो अगले वित्त वर्ष तक बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। इसके अलावा, कई राज्य सरकारें और केंद्र सरकार की ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी योजनाओं की वजह से भी काफी खर्च किया जाएगा।
इससे इस सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों को काफी फायदा होगा। वैसे, फायदा तो उन्हें प्राइवेट कंपनियों द्वारा लगाए जा रहे बिजली संयंत्रों से भी होगा।
तेज है रफ्तार
ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन कारोबार में बढ़ते निवेश का मतलब है कि इस सेक्टर की तरफ लोगों का ध्यान तेजी से जा रहा है। इससे इस सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों की कमाई और मुनाफे के तरफ भी लोगों का ध्यान जाएगा।
केपीटीएल के पास इस वक्त पांच हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। यह इसके पिछले वित्त वर्ष की कमाई से करीब 2.8 गुना ज्यादा है। बढ़ती मांग से निपटने के लिए कंपनी अब अपनी टावर निर्माण क्षमता में भी इजाफा कर रही है।
2001 में इसकी टावर निर्माण क्षमता 54 हजार टन की थी, जबकि सितंबर, 2008 तक यह दोगुनी होकर 1.08 लाख टन हो चुकी थी। इसका फायदा भी कंपनी को आने वाले वक्त में मिलेगा।
अंतरराष्ट्रीय कारोबार
कंपनी अंतरराष्ट्रीय बाजार को लेकर भी काफी आक्रामक है। वह विदेशों में टावर की सप्लाई कर रही है। ईपीसी प्रोजेक्टों को भी हासिल कर रही है। यह पिछले आठ सालों में 28 मुल्कों में परियोजनाओं को पूरा कर चुकी है, जिमसें 80 हजार टन टावर का इस्तेमाल किया गया है।