जबरदस्त बिजनेस मॉडल, मजबूत ग्राहक आधार और अपने उत्पादों तथा सेवा की वजह से आज जुबलिएंट ऑरगोनसिस इतनी तेजी से आगे बढ पा रही है। तेजी से बढ़ती बिक्री की वजह से ही कंपनी की कमाई आज दोगुनी होकर 3500 करोड़ रुपये हो चुकी है।
साथ ही, कंपनी का मुनाफा भी आज 283 करोड़ रुपये हो चुका है। कंपनी को आज कमाई की सबसे ज्यादा उम्मीद फार्मा और लाइफसाइंसेज उत्पाद व सेवाओं से ही है।
ऑउटसोर्सिंग की तेजी
कंपनी के सीआरएएमएस डिवीजन के तीन अहम हिस्से हैं। वे हैं एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रीडियेंट्स), कंटेंट मैन्युफैक्चरिंग और स्पेशलिटी फार्मास्युटिकल्स। कंपनी का मानना है कि ऑउटसोर्सिंग की रफ्तार अभी धीमी नहीं पड़ने वाली।
उसके मुताबिक छोटी और मझोली बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर लागत का दबाव अभी सबसे ज्यादा है। साथ ही, पश्चिमी मुल्कों की सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं की कीमतों को कम करने की कोशिश कर रही हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत चीन की वजह से आ रही है क्योंकि कंपनियां को वहां ओलंपिक की वजह से अपना बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ा था।
कंपनी का मानना है कि बैकलॉग जितना भी था, वह दिसंबर में ही खत्म हो गया। साथ ही, अलगे वित्त वर्ष से सब ठीक हो जाएगा।
मोटी कमाई
जहां इस क्षेत्र की दूसरी कंपनियों की कमाई में काफी कमी आई, तो वहीं जुबलिएंट पर इस मंदी का ज्यादा असर नहीं पड़ा है। कंपनी की कमाई बीती तिमाही में 54 फीसदी बढ़कर 614 करोड़ रुपये हो गई है।
दिसंबर, 2008 को खत्म हुए नौ महीनों में इसकी विकास की दर 61 फीसदी यानी 1,723 करोड़ रुपये रही है। सीआरएएमएस कारोबार, दवा की खोज और विकास के सेगमेंट में कंपनी के पास 93 करोड़ डॉलर का बैकलॉग है, जो कंपनी अगले पांच सालों में पूरा करेगी। इसी तीन सेगमेंट से कंपनी की कुल कमाई का 63 फीसदी हिस्सा आता है।
कर्जे का बोझ
कंपनी पर इस वक्त 3,923 करोड़ रुपये का सकल कर्ज है, जबकि कुल कर्ज 3,294 करोड़ रुपये का है। उसकी सहयोगी कंपनियों पर 1,300 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो अगले सात सालों में चुकाया जाएगा।
खुद जुबलियंट पर 800 करोड़ का कर्ज है, जो अगले पांच सालों में चुकाया जाएगा। साथ ही, एफसीसीबी के मद में भी कंपनी को अगले वित्त वर्ष 250 करोड़ रुपये चुकाने हैं, जबकि 1000 करोड़ रुपये उसे वित्त वर्ष 2011 में चुकाने हैं। इससे कंपनी के वित्तीय हालात पर काफी असर पड़ सकता है।
हालांकि, इसके बावजूद भी कंपनी को पूरा भरोसा है कि 600 करोड़ रुपये की अपनी नगदी और कमाई के अच्छे अवसर की वजह से वह अपने कर्जे को चुका पाएगी। कंपनी अब अपनी एफसीसीबी को छूट पर वापस खरीदने की भी कोशिश कर रही है।