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दौर है संकट का, कारोबार में चलिए जरा संभलकर

Last Updated- December 10, 2022 | 1:06 AM IST

इन दिनों मंदी, गिरावट, बजट की कमी और खर्च में कटौती इन चारों शब्दों पर जमकर बहस हो रही है। कठिन कारोबारी माहौल के कारण कंपनियों को अपने खर्चे में कटौती करनी पड़ी है।
दो दिन पहले ही सिटीग्रुप के प्रमुख विक्रम पंडित ने घोषणा की थी कि जब तक बैंक फिर से मुनाफे की स्थिति में नहीं आ जाता, तब तक वे तक एक डॉलर का वेतन लेंगे और किसी भी तरह का बोनस भी नहीं लेंगे।
यही हाल कमोबेश अन्य कंपनियों का है जहां पर भारी संख्या में छंटनी और वेतन में कटौती की जा रही है। छोटे कारोबारी और स्वरोजगार में लगे पेशेवर (एसबीएसईपी) की हालत तो मंदी के इस दौर में और ज्यादा खस्ता हो गई है।
 इनमें से कई की बिक्री में काफी गिरावट आई है जबकि खर्च में बहुत ज्यादा तेजी आई है और इसके उलट नकदी की स्थिति काफी कमजोर है। इस खस्ता हालत में पूंजी के स्रोत के रूप में एक मात्र सहारा बैंक भी कर्ज देने में काफी परहेज कर रहे हैं, यहां तक कि वे कर्ज देना ही नहीं चाह रहे हैं।
सच्चाई यह है कि एसबीएसईपी ने कभी भी ऐसे बुरे दिनों की कल्पना नहीं की होगी जबकि जो नौजवान हैं, उन्होंने भी इस तरह की आर्थिक अनिश्चितता की बात नहीं सोची होगी। मौजूदा हालत में संकट और ज्यादा गहरा सकता है क्योंकि एसबीएसईपी कारोबार और पसर्नल फाइनैंस में काफी कम अंतर रखते दिख दे रहे हैं।
ऐसी हालत के कारण उनको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उन पर अपने कारोबार और परिवार को चलाने की दोहरी जिम्मेदारी है। मंदी के समय में एसबीएसईपी अपने कारोबार की डूबती नैया को पार लगाने के लिए व्यक्तिगत निवेश और संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसा प्राय: देखा गया है कि कई उद्यमी अपने कारोबार से भावनात्मक रूप से जुड़े होने के कारण कोई फैसला करते हैं क्योंकि अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए जोखिम लेना ही पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप इनको ऊंची ब्याज दरों वाले व्यक्तिगत ऋण या अपनी अचल संपत्ति तक को गिरवी रखना पड़ता है।
हालांकि मुश्किलों का अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, उम्मीद की किरण किसी न किसी रूप में दिखाई पड़ ही जाती है। ऐसी कुछ बातें हैं जिन पर अमल करके एसबीएसईपी इस अनिश्चितता की स्थिति में भी चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकते हैं।
अपनी स्थिति का जायजा आप निम्लिखित कुछ प्रश्नों को स्वयं से पूछकर ले सकते हैं-
मौजूदा समय में नकदी की क्या स्थिति है?
हालात और बिगड़ने की स्थिति में कहां तक सुरक्षित रहा जा सकता है?
अगले 12 से 24 महीनों में नकदी के प्रवाह की क्या संभावनाएं हैं?
सही मायनों में देखा जाए तो इस बुरे दौर में नकदी पास में होना काफी महत्वपूर्ण है। कम से कम अगले 12 महीनों केदौरान बिना कर्ज लिए अपने कारोबार को चलाने के लिए आपकेपास पर्याप्त पूंजी होनी चाहिए।
नकदी जुटाने के लिए अपने पास पहले से जमा सामान  को हटाना जरूरी है और अगर इसकेलिए कीमतों पर छूट भी देनी पड़े तो और इससे अगर मार्जिन पर असर भी पड़े तो भी ऐसा करने से बिल्कुल हिचकना नहीं चाहिए।
कीमतों और अपनी गुणवत्ता दोनों में आगे रहना आपकेलिए काफी मददगार साबित हो सकता है। कारोबार पर जिनका स्वामित्व होता है, ऐसा देखा गया है कि वह संगठन में अपनी हिस्सेदारी को बेचने से काफी परहेज करते हैं। अपनी हिस्सेदारी को बेच कर पूंजी जुटाना कर्ज लेकर कारोबार करने से कहीं बेहतर विकल्प हो सकता है।
जोखिम का आकलन

किसी भी बुरी स्थिति से निपटने से पहले एहतियात बरतें। उदाहरण के लिए अगर बिक्री में गिरावट आती है तो ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को निकालना आवश्यक तौर पर समस्या का समाधान कर देगा, यह जरूरी नहीं है।
अगर आपके पास नकदी की स्थिति अच्छी है तो इसमें बढ़ोतरी करें क्योंकि यह आपको विभिन्न अवसरों का फायदा उठा पाने में काफी मदद कर सकता है। हालांकि यह कारोबार के प्रकार और परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
कहने का मतलब यह हुआ कि आपको आनेवाले संकट का पहले से अनुमान लगा लेने की क्षमता विकसित करनी चाहिए और उसी हिसाब से तुरंत कदम उठाना चाहिए।
खर्चों में करें कटौती

किसी भी तरह के खर्च से पहले इस बात का मूल्यांकन करें कि इससे कारोबार में बढ़ोतरी और नकदी का प्रवाह बढ़ सकता है। कठिन समय में अपने अस्तित्व को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
ऐसे में कोई भी ऐसा अनावश्यक खर्च करने से पहले इंतजार करें या फिर इसको टालने की कोशिश करें जिससे कारोबार में किसी तरह की तेजी नहीं आ सकती या फिर नकदी का प्रवाह नहीं हो सकता है। यहां तक कि किसी महत्वपूर्ण कारोबारी निवेश से पहले अपनी वित्तीय स्थिति का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना बहुत जरूरी है।
कर्ज से करे परहेज

आर्थिक संकट की हालत में नकदी की स्थिति हमेशा पतली होती है और अगर 2008 चाैंकाने वाला रहा तो 2009 इससे भी ज्यादा बुरा हो सकता है। हद से अधिक निराशावादी होने से भी बचें।
इससे कहीं बेहतर इस बात को सुनिश्चित करना है कि वेतन, किराया और अन्य आवश्यक खर्चों से निपटने के लिए आपकेपास पर्याप्त पैसा है। एक बात जो काफी महत्वपूर्ण है वह ये कि ऊंची ब्याज दरों और लघु अवधि के ऋण से परहेज करें। 

सामान्य तौर पर देखा गया है कि ऐसा करना तब तक फायदेमंद नहीं होता जब तक कि आपको भरोसा नहीं हो कि आनेवाले कुछ महीनों में मुनाफा हो सकता है।
निजी संसाधन रखें अलग

एसबीएसईपी का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि न सिर्फ इनके कारोबार में गिरावट आ सकती है बल्कि इनसेसंपूर्ण व्यक्तिगत बचत और संसाधनों के समाप्त होने का भी खतरा बना रहता है।
अगर आपके कारोबार में निरंतर गिरावट आ रही है और यह बुरी तरह से संकट में फंस चुका है तो ऐसी स्थिति में आपको इस बारे में तुरंत फैसला करना चाहिए कि क्या इसका अपने व्यक्गित संसाधनों से भुगतान करना चाहिए या फिर घाटे को कम करना चाहिए। ज्यादातर कारोबारी ऐसा फैसला कर पाने का सामर्थ्य नहीं रखते हैं क्योंकि कारोबार से उनका भावनात्मक जुड़ाव होता है।
अधिक आशावादी होने के कारण ज्यातदार कारोबारी तर्कसंगत फैसला नहीं कर पाते हैं। हालांकि इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि संकट में भी अवसरों के बीज होते हैं, और आप इन पर अमल करके महत्वपूर्ण निवेश कर सकते हैं तो इससे आपको आनेवाले समय में जबरदस्त लाभ पहुंच सकता है।
हालांकि अंत में कारोबार संबंधी एक पुरानी कहावत को जरूर याद रखना चाहिए वो यह कि अपने खर्च को कम रखें, नकदी का प्रवाह बेहतर बनाएं और कारोबार को चलाने केलिए आपके पास पर्याप्त पूंजी रखें।

First Published - February 15, 2009 | 10:09 PM IST

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