केंद्र और राज्य सरकारें कृषि पर विशेष जोर देती रही हैं और माइक्रो सिंचाई प्रणालियों जैसी कृषि प्रौद्योगिकियों के चलन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इन प्रणालियों के तहत जैन इरीगेशन सिस्टम्स के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता रहा है जिसकी मौजूदा समय में बाजार भागीदारी 50 प्रतिशत है।जैन इरीगेशन खाद्य प्रसंस्करण, पाइप और प्लास्टिक शीट जैसे तेजी से बढ़ते कारोबारों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।
कंपनी द्वारा 40 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को अगले कुछ वर्षों में बनाए रखने की संभावना है।यह वृद्धि निर्यात बाजारों में इसकी कोशिशों और पिछले 24 महीनों में किए गए अधिग्रहणों के सिलसिले की बदौलत जारी रहने की संभावना है।जैन इरीगेशन तकरीबन 30 प्रतिशत राजस्व माइक्रो सिंचाई प्रणालियों से हासिल करती है।
ये प्रणालियां विभिन्न सिंचाई गतिविधियों में अनुप्रयोग तलाशती हैं जिसके कारण पानी, बीज और उर्वरक आदि के प्रभावी इस्तेमाल में मदद मिलती है साथ ही फसल की गुणवत्ता में सुधार आता है। इन प्रणालियों को अपनाए जाने से पारपंरिक सिंचाई तरीकों की तुलना में 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
भारत में अधिकांश हिस्से जल संसाधनों की ठोस पहुंच से वंचित हैं। खेतीबाड़ी के 14 करोड़ हेक्टेयर इलाके में से केवल 50 प्रतिशत इलाका जल संसाधनों के दायरे मे है और केवल 17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर सिंचाई प्रणालियों के इस्तेमाल से खेती होती है।
भारत निर्माण कार्यक्रम के सिंचाई घटक के तहत सरकार ने अधिक से अधिक भूमि को कृषिगत क्षेत्र के दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार ने 2010 तक नई भूमि (एक करोड़ हेक्टेयर) के साथ-साथ मौजूदा सिंचाई भूमि (लगभग 42 लाख हेक्टेयर) को उपजाऊ बनाए जाने का लक्ष्य रखा है।
इन आधुनिक सिंचाई तकनीकों की बढ़ती लोकप्रियता की एक प्रमुख वजह यह भी है कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से इसके लिए सब्सिडी (लगभग 50 प्रतिशत) प्रदान की जाती है। जैन इरीगेशन ड्रिप इरीगेशन सिस्टम्स, स्प्रिंकलर इरीगेशन सिस्टम्स, वाल्व्स, वाटर फिल्टर्स, फर्टिगेशन उपकरण, प्लांट टिश्यू कल्चर प्रोडक्ट्स, नर्सरी प्लांट जैसे उत्पादों की रेंज मुहैया कराती है। कंपनी के घरेलू सिंचाई कारोबार में अगले 3-4 वर्षों के दौरान 45-50 प्रतिशत की बढ़ोतरी जारी रहने की संभावना है।
वैश्विक बढ़त
कंपनी ने कई विदेशी कंपनियों का भी अधिग्रहण किया है। इसकी इजरायल की नानडैन कंपनी में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।तिलहन, आलू और कपास के कारोबार से जुड़ी नानडैन विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी माइक्रो-इरीगेशन कंपनी है।
3 मार्च, 2008 को कंपनी ने स्विटजरलैंड की थॉमस मशीन्स कंपनी में 69.75 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी की। थॉमस मशीन्स ड्रिप इरीगेशन लाइंस जैसी मशीनों और उपकरणों की निर्माता कंपनी है।
इस अधिग्रहण से जैन इरीगेशन को अपनी क्षमता में इजाफा करने और नई ड्रिप लाइनों के लिए बाजार में अपनी गति बढ़ाने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विदेशों में अधिग्रहण से न सिर्फ तकनीकी क्षमता में सुधार हुआ है बल्कि इससे कंपनी को दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप जेसे तेजी से बढ़ते बाजारों में पहुंच बनाने में मदद भी मिली है।
पाइप सेगमेंट
सिंचाई प्रणालियों के अलावा जैन इरीगेशन प्लास्टिक पाइप और शीट के कारोबार में भी सक्रिय है। इस सेगमेंट का वित्तीय वर्ष 2007 में इसके कुल राजस्व 425 करोड़ रुपये में 33 प्रतिशत का योगदान रहा। कंपनी पीवीसी पाइप और शीट का निर्माण करती है और पूरे देश में 1500 डीलरों के अपने नेटवर्क के जरिये इनकी बिक्री करती है।
इन पाइप का इस्तेमाल पानी की आपूर्ति व सिंचाई व्यवस्था के लिए किया जाता है। पाइप सेगमेंट के तहत कंपनी टेलीकॉम और गैस कंपनियों के इस्तेमाल के लिए भी पाइप का निर्माण करती है। इस कारोबार में आगामी कुछ वर्षों में 50 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी की संभावना है।
खाद्य प्रसंस्करण
कंपनी कृषि क्षेत्र और खाद्य प्रसंस्करण सेगमेंट में अपनी मौजूदगी का भी लाभ उठा रही है। आज जैन इरीगेशन भारत में सबसे बड़ी खाद्य संवर्द्धन कंपनी है। वर्ष 2007 में इस क्षेत्र की कंपनी की कुल आमदनी में 14 प्रतिशत भागीदारी रही।