facebookmetapixel
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!Editorial: आरबीआई बॉन्ड यील्ड को लेकर सतर्कनिर्यातकों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने ₹45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरीसीतारमण का आठवां बजट राजकोषीय अनुशासन से समझौता नहीं कर सकताटाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल कंपनी की बीएसई पर हुई लिस्टिंग, न्यू एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकसग्लोबल एआई और सेमीकंडक्टर शेयरों में बुलबुले का खतरा, निवेशकों की नजर अब भारत परसेबी की चेतावनी का असर: डिजिटल गोल्ड बेचने वाले प्लेटफॉर्मों से निवेशकों की बड़ी निकासी, 3 गुना बढ़ी रिडेम्पशन रेटप्रदूषण से बचाव के लिए नए दिशानिर्देश, राज्यों में चेस्ट क्लीनिक स्थापित करने के निर्देश

बीमा कंपनियों पर और नियंत्रण हो: आईआरडीए

Last Updated- December 07, 2022 | 7:44 PM IST

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने सरकार से कहा है कि वह बीमा कानून के तहत आने वाले कुछ मुद्दों को उसके दायरे में लाए जिससे कि बीमा कंपनियों पर नियंत्रण और लचीला हो सके।


अगर सरकार आईआरडीए की इस मांग को मान लेती है तब उस स्थिति में नियामक बिना संसद की मंजूरी के नियमों में फेरबदल कर पाने में सक्षम होगी। सरकार फिलहाल बीमा नियमों में कुछ संशोधन करने पर विचार कर रही है जिससे कि बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत तक करना भी शामिल है।

प्रक्रियाओं के पूरा हो जाने केबाद जैसे ही मंत्री परिषद इस प्रस्तावित संशोधन को अपनी मंजूरी प्रदान करती है वैसे ही सरकार इस संबंध में विधेयक लाएगी। इससे पहले विदेशी पूंजी निवेश की सीमा को बीमा कानून 1938 में डालने के बदले नियामक को सौंपने की बात कही गई थी लेकिन आईआरडीए का प्रस्ताव सॉल्वेन्सी जरूरतों और बिचौलियों को मिलनेवाले कमीशन तक ही सीमित है।

आईआरडीए के अध्यक्ष

जे हरिनारायण ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए अपने साक्षात्कार में बताया कि मूल रूप से कई ऐसी जरूरी बाते हैं जो कि बीमा कानून में शामिल हैं और इसी लिए हमने आईआरडीए को मजबूत करने की बात क ही है ताकि हम कुछ निश्चित पहलुओं को लेकर नियम बना सके।

नारायण ने कहा कि कल अगर किसी बात में ज्यादा लचीलापन चाहते हैं तो उस स्थिति में बीमा कानून में बदलाव लाने की अपेक्षा नियमों में बदलाव या संशोधन करना ज्यादा आसान होगा। हां यह बात निश्चित है कि जितने भी नियमावली हैं उसे संसद में रखा जाता है।

बीमा नियामक ने कहा कि विदेशी निवेश की सीमा में बढ़ोतरी करना नीतिगत मामला है न कि नियम संबंधी कोई मुद्दा। नारायण ने बताया  कि विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाए जाने के बारे में उनकी कोई खास राय नहीं है और आईआरडीए वही करेगी जो संसद तय करेगी।

मालूम हो कि संसद द्वारा बीमा क्षेत्र को निजी प्रतिस्पर्धा के लिए खोलने के आदेश के बाद वर्ष 1999 में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत तय करने के संबंध में एक उपखंड जोडा गया था। मौजूदा समय में इंश्योरर्स केलिए 150 प्रतिशत का सॉल्वेन्सी मार्जिन रखना अनिवार्य है जिसका यह मतलब है कि उनके लिए 100 रुपये की पॉलिसी बेचने के लिए उनके पास 150 रुपये का कैपिटल बेस की आवश्यकता होगी।

First Published - September 3, 2008 | 10:50 PM IST

संबंधित पोस्ट