अधिकांश बडी बीमा कंपनियां अगले साल शेयर बाजार में सूचीबध्द होने की योजना बना रही हैं।
ऐसे में इरडा (बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण) इन कंपनियों का वैल्यूएशन तय करने और सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की कीमत को निर्धारित करने के लिए एक समिति बना रही है। इरडा के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि समिति चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करेगी।
पहला तो इन कंपनियों के सरप्लस को वैल्यू करने का तरीका तैयार किया जाएगा। दूसरा होगा एक्विजिशन कॉस्ट जो कमीशन खर्चे और उत्पाद पर होने वाले प्रारंभिक खर्च पर आधारित होगा। तीसरा, आईपीओ में प्रारंभिक खर्चों, निवेश की गई आय, फ्यूचर मोरटैलिटी रिस्क, क्लेम रेशियो, इंश्योरेंस कंपनी के अनुभव, सरप्लस और घाटे का भी ध्यान रखा जाएगा।
इरडा के एक्चुरी सदस्य आर कन्णन ने कहा कि सरप्लस के वैल्युएशन से निवेशकों को यह जानने में मदद मिलेगी कि उसे एक प्रति शेयर आय के लिए कितना प्रीमियम अदा करना चाहिए। यह समिति 15 से 20 दिनों में तैयार हो जाएगी और इसमें एक्चुरियल सोसायटी, चार्टेड एकाउंटेंट, इरडा सदस्य और बीमा कंपनियों के कार्यकारी शामिल होंगे।
नियमों के अनुसार एक बीमा कंपनी को दस साल के परिचालन के भीतर सूचीबध्द होना होता है। एसबीआई लाइफ और एचडीएफसी ने अगले साल अपने सूचीबध्द होने की घोषणा कर दी है। सबसे बड़ी निजी बीमा कंपनी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के 2010-11 में सूचीबध्द होने की संभावना है।
बीमा कारोबार में कई सालों से कॉन्ट्रैक्ट स्पैनिंग होती है। यह इस मामले में अलग है कि इसमें बिक्री के स्तर पर लागत निश्चित नहीं होती है और इनका सिर्फ सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। एक दर्जन से भी ज्यादा बीमा कंपनियों में एसबीआई लाइफ ही लाभ प्राप्त करने में सफल रही है।
इस कारोबार में ऊंची पूंजी,अच्छी ग्रोथ रेट के साथ पूंजी की भी आवश्यकता होती है जिसका निवेश किया जा सके। लेकिन जब सरकार बीमा के प्रावधानों में फेरबदल का विचार कर रही है और इसमें सूचीबध्द होने की अवधि को बढ़ाना भी शामिल है। इसके बाद कई कंपनियां सूचीबध्द होने को योजना को रद्द कर सकती हैं।