नए वित्त वर्ष के पहले ही दिन यानी 1 अप्रैल को आम आदमी को तगड़ा झटका लगा, जब सरकार ने लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज में भारीभरकम कटौती कर दी। अभी तक बुढ़ापे के लिए रकम बचाने का अच्छा साधन माने जा रहे लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) को भी नहीं बख्शा गया और उस पर मिलने वाले ब्याज की दर भी 7.1 फीसदी से घटाकर केवल 6.4 फीसदी कर दी गई। हालांकि इसके राजनीतिक असर को भांपकर अगले ही दिन वित्त मंत्री ने कटौती का फैसला वापस लेने का ऐलान कर दिया मगर निवेशकों की जान इससे सांसत में आ गई। ज्यादातर लोग यही मान रहे हैं कि दर कटौती का फैसला कुछ अरसे के लिए ही वापस लिया गया है और जल्द ही सरकार दरों में तगड़ी कटौती कर देगी।
बेहतर दरों को चुनें
इक्विरस वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य कार्याधिकारी अंकुर माहेश्वरी कहते हैं कि ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर ही बनाए रखने का या उनमें कटौती करने का सरकार का इरादा अब जाहिर हो ही चुका है। ऐसे में उन योजनाओं में निवेशक करना सबसे अधिक समझदारी होगी, जिनमें सबसे बेहतरीन ब्याज हासिल हो रहा है। पैसा कहां लगाना है, इसका फैसला यही देखकर करना चाहिए कि इस समय ब्याज दर क्या चल रही है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन की सलाह है, ‘तीन या छह महीने बाद दरें क्या हो सकती हैं, इसका अंदाजा लगाकर निवेश का फैसला बिल्कुल नहीं करें। अगर इस समय कोई योजना आकर्षक नजर आ रही है तो उसमें निवेश कर दीजिए।’ धवन कहते हैं कि लघु बचत दरें इस समय बाजार की दरों से अधिक हैं, लेकिन भारत और दुनिया भर में दरें मजबूत होती आ रही हैं। इसलिए यह अनुमान लगाना नामुमकिन है कि दरों में कटौती कब होगी और कितनी होगी।
वास्तविक प्रतिफल
विशेषज्ञों का कहना है कि बेशक ब्याज दरें कतर दी जाएं, लेकिन अगर निवेशक कटौती होने के बाद भी प्रतिफल की नॉमिनल दर के बजाय वास्तविक दर पर गौर करें तो उन्हें महसूस होगा कि ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है। अक्टूबर से मार्च के बीच उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई का औसत 3.9 फीसदी रहा है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार कंपनी प्लूटस कैपिटल में मैनेजिंग पार्टनर अंकुर कपूर ने कहा, ‘छह फीसदी से अधिक दर रही तो वह आकर्षक ही होगी और निवेशकों को कुछ योजनाओं में निवेश बरकरार रखने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। यह मामला वैसा ही है, जैसे 10 फीसदी महंगाई दर के दौर में 12 फीसदी प्रतिफल हासिल हो रहा है।’ लेकिन निवेशकों को पूरी तरह स्थिर आय पोर्टफोलियो छोड़कर कुछ विविधता लाने की जरूरत होगी। कपूर कहते हैं, ‘परिसंपत्ति आवंटन ऐसा करें, जिसमें लंबे समय तक पैसा फंसाने में आपको कोई दिक्कत नहीं हो।’
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना
बुजुर्गों के लिए चलने वाली इस योजना में भी 7.4 फीसदी प्रतिफल मिलता है, जो खासा आकर्षक है। अगर आप भी वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं तो इसमें पांच साल के लिए निवेश कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट का लाभ मिलता है। लेकिन इस पर जो भी ब्याज उन्हें दिया जाता है, उस पर आयकर देना पड़ता है। इस योजना में ब्याज हर तीन महीने पर मिलता है। सेवानिवृत्त लोगों के लिहाज से यह बहुत राहत की बात है क्योंकि उन्हें नियमित रूप से नकदी की जरूरत पड़ती ही रहती है। इस योजना में कोई भी व्यक्ति 15 लाख रुपये तक लगा सकता है। पति-पत्नी दोनों मिलकर 30 लाख रुपये तक इसमें निवेश कर सकते हैं। इक्विरस के माहेश्वरी की सलाह है, ‘जिन बुजुर्गों के पास आपात स्थिति के लिए पर्याप्त रकम मौजूद है, उन्हें इस योजना का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए यानी अधिकतम सीमा तक निवेश करना चाहिए।’ बेहतर प्रतिफल वाली लघु बचत योजनाओं में इसके बाद किसान विकास पत्र का नाम आता है। इसमें 6.9 फीसदी ब्याज मिलता है मगर उस पर कर वसूला जाता है। इसके साथ एक समस्या यह भी है कि पूरे 124 महीने के लिए रकम फंसनी पड़ती है। उसके बाद राष्ट्रीय बचत पत्र में 6.8 फीसदी ब्याज मिलता है, जिस पर कर देना पड़ता है। इसमें एक फायदा यह है कि किसी भी साल में मिला ब्याज इसी योजना में दोबारा निवेश कर दिया जाता है और उस पर अगले साल धारा 80 सी का फायदा भी मिलता है। अन्य सरकारी योजनाओं में आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड 2020 के बारे में विचार किया जा सकता है। इसमें 7.15 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है, जिस पर कर देना पड़ता है। इसमें सात साल के लिए निवेश करना होता है। इस बॉन्ड के प्रतिफल को राष्ट्रीय बचत पत्र से जोड़ दिया गया है। बचत पत्र पर जो भी ब्याज मिलता है, उससे 35 आधार अंक अधिक ब्याज इस बॉन्ड पर दिया जाता है। वरिष्ठ नागरिक प्रधानमंत्री वय वंदना योजना पर भी विचार कर सकते हैं। इस पर फिलहाल 7.4 फीसदी की दर से प्रतिफल हासिल हो रहा है, जिस पर कर तो देना ही पड़ता है।
तरलता पर करें विचार
आज के दौर में तरलता बहुत अहम पहलू है। लेकिन उससे भी पहले सभी योजनाओं की तुलना इस आधार पर करें कि कर कटौती के बाद उनसे कितना प्रतिफल हासिल होता है। फिलहाल पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना का प्रतिफल ही कर मुक्त है यानी उनके प्रतिफल पर किसी तरह का कर नहीं वसूला जाता। प्रतिफल देखने के बाद अगला पैमाना तरलता होना चाहिए। अधिक प्रतिफल देने वाली कई योजनाओं में निवेश भी लंबे समय के लिए करना पड़ता है यानी आपका पैसा काफी समय के लिए फंस जाता है। इसलिए निवेश से पहले विचार कीजिए कि इतने लंबे समय के लिए नकदी फंसाने में आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी। ध्यान देने वाली एक और बात यह भी है कि सभी योजनाएं हर किसी के लिए नहीं होतीं और सबसे बेहतर प्रतिफल देने वाली योजनाओं में से भी कुछ ऐसी ही हैं। मिसाल के तौर पर सुकन्या समृद्घि योजना या वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में हर कोई निवेश नहीं कर सकता। सुकन्या समृद्घि केवल उन लोगों के लिए है, जिनकी 10 साल से कम उम्र की बेटी है। इसी तरह वरिष्ठ नागरिक बचत योजना केवल बुजुर्गों के लिए है। लघु बचत योजनाओं में भी आप हर किसी में मौजूदा दर पर लंबे अरसे के लिए निवेश नहीं कर सकते। कुछ योजनाएं ही आपको यह सुविधा देती हैं। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी), किसान विकास पत्र (केवीपी) और सावधि जमा में ही आपको ब्याज दर लॉक करने की सहूलियत हासिल हो पाती है। बाकी योजनाओं में ब्याज दरें समय-समय पर बदली जाती हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना
इस समय लघु बचत योजनाओं में से सबसे अधिक ब्याज दर सुकन्या समृद्घि की ही है। इसमें 7.6 फीसदी सालाना प्रतिफल मिलता है, जिस पर निकासी के वक्त कर भी नहीं कटता है। मगर इस दर में भी बदलाव हो सकता है। बेटी के लिए खोले जाने वाले इस खाते में सालाना 1.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश नहीं किया जा सकता। लेकिन इसमें निकासी की शर्तें खासी सख्त हैं। पहली निकासी बेटी की उम्र 18 साल होने या कक्षा 10 उत्तीर्ण करने के बाद ही की जा सकती है। जिस वित्त वर्ष में निकासी की जा रही है, उससे पिछले वित्त वर्ष के अंत में मौजूद रकम की 50 फीसदी तक निकाली जा सकती है। अगर खाते से समूची रकम निकालनी है तो 21 साल तक इंतजार करना होगा यानी खाता खोलने के 21 साल बाद ही पूरी निकासी की जा सकती है। यदि आपने खाता उस समय खोला, जब आपकी बेटी की उम्र 5 साल थी तो उसकी उम्र 26 साल होने पर ही आप पूरी रकम निकाल सकते हैं। हां, अगर उसकी शादी पहले ही हो जाती है तो शादी के समय आप खाता खाली कर सकते हैं। मगर शादी 18 साल की उम्र के बाद ही होनी चाहिए।
कटौती के आसार
आम आदमी ही नहीं ज्यादातर विशेषज्ञों को भी यही लग रहा है कि लघु बचत योजनाओं में बाजार से अधिक प्रतिफल दर को आने वाले दिनों में कतर दिया जाएगा। इक्विरस के माहेश्वरी कहते हैं, ‘सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था के भीतर ब्याज दरें कम ही रहें। दरों में अब हर तिमाही बदलाव होता है, इसलिए मौजूदा दरें केवल तीन महीने के लिए हैं। हो सकता है कि यह मियाद खत्म होने के बाद या उसके भी कुछ समय बाद एक बार फिर दरों में कटौती की सोची जाए।’ कुछ साल पहले श्यामला गोपीनाथ समिति ने लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरें तय करने के लिए एक खाका तैयार किया था। उसके मुताबिक एक जैसी परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर औसत प्रतिफल का आकलन पिछले साल के आधार पर होना चाहिए। उसके बाद 25 आधार अंक बढ़ाकर ब्याज दर तय कर देनी चाहिए। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, ‘लघु बचत दरों को बाजार दरों के समान बनाने की व्यवस्था पहले से मौजूद है।’
पीपीएफ
कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक योगदान होने पर मिलने वाले ब्याज को कर योग्य बनाने का इस बार के बजट का प्रावधान पीपीएफ के आकर्षण को कई गुना बढ़ा गया है। लैडरअप वेल्थ के प्रबंध निदेशक राघवेंद्र नाथ ने कहा, ‘7.1 फीसदी की ब्याज दर और किसी तरह का कर नहीं देना है, जिसकी वजह से यह काफी आकर्षक योजना बन जाती है। इतना ही नहीं, इसमें आपके निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कटौती का फायदा भी मिलता है।’ पीपीएफ में पेच एक ही है और वह है ब्याज दर में बदलाव की संभावना। इसमें सरकार किसी भी तिमाही में कटौती कर सकती है। इसके अलावा आप एक साल में 1.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश भी इसमें नहीं कर सकते। दो वयस्कों और दो अवयस्कों वाला परिवार इसमें सालाना 3 लाख रुपये तक का निवेश कर सकता है। अवयस्कों के खातों में जो भी योगदान किया जाता है, उसे वयस्कों के योगदान में जोड़ दिया जाता है। ध्यान रहे कि आपको इसमें पूरे 15 साल के लिए निवेश करना पड़ता है। हालांकि छह साल के बाद इसमें से 50 फीसदी तक रकम की निकासी की जा सकती है।
