सुप्रीम कोर्ट के 42 फीसदी से अधिक ब्याज दर लेने वाली क्रेडिट कार्ड कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किए जाने से अब क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं ने राहत की सांस ली होगी भले ही थोड़े समय के लिए।
क्रेडिट कार्ड कंपनियों ने इस ब्याज दर के पक्ष में कई दलीलें पेश की हैं। इनमें कूरियर की लागत, विपणन की लागत,रिवार्ड की लागत, लॉयल्टी कार्यक्रम और कई अन्य हैं। 42 फीसदी से अधिक की ब्याज दर हमें 60 से 70 के दशक की मुंबइया फिल्मों की याद दिलाती है, जहां गांव का सूदखोर महाजन किसान से भारी ब्याज लेता था जिसे चुकाने में नाकाम रहा किसान कर्ज के जाल में फस जाता था।
क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता के मामले में स्थिति बिलकुल वैसी ही है क्योंकि अधिकांश कार्ड धारक गैर जिम्मेदारी से उसका उपयोग करते हैं। इनमें से कुछ कार्ड धारक ही हैं जो कार्ड के स्टेटमेंट को ठीक तरह से पढ़ने की जहमत उठाते हैं, जबकि ऐसा करने से उन्हें उन सभी शुल्कों के बारे में जानकारी मिल सकती है जो कार्ड कंपनी उन पर लगाती है। इनमें नया पिन नंबर लेने और डुप्लिकेट स्टेटमेंट्स देने पर भी शुल्क लगाया जाता है।
ये हैं कुछ नियमित कॉस्ट
ब्याज कॉस्ट: सबसे बड़ी कॉस्ट है ब्याज कॉस्ट।
विलंब भुगतान पर शुल्क: 10,000 रुपये से कम के बकाया पर क्रेडिट कार्ड कंपनियां 350 रुपये प्रतिमाह शुल्क वसूलती हैं। 10,000 रुपये से 20,000 रुपये तक के बकाया के बीच में यह शुल्क 500 रुपये हो जाता है इससे अधिक की राशि पर यह बढ़कर 600 रुपये हो जाता है।
ओवर ड्रॉफ्ट लिमिट: अगर कोई ग्राहक अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ाता है तो उसे शुल्क देना होता है। यह अलग-अलग कार्डदाता कंपनियों का अलग-अलग है।
ओवरडयू: वह ओवर डयू एकांउट और पेमेंट लेने के लिए कार्यकारी भेजने पर भी शुल्क लेता है, जो 75 रुपये होता है।
कैश एडवांस: अगर कोई कार्डधारक एटीएम से पैसा निकालता है तो उसे इस कुल राशि का 3 फीसदी या फिर 300 रुपये का शुल्क लगता है। अगर कार्डधारक किसी बैंक शाखा से पैसा निकालता है तो उस पर 500 रुपये का शुल्क लगता है।
ज्वाइनिंग और सालाना फीस: क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्धा के चलते अधिकांश बैंकों के कार्डों की ज्वाइनिंग बिलकुल मुफ्त है। बाद में कार्डधारक को सालाना शुल्क देना होता है।
डुप्लिकेट स्टेटमेंट फीस: स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे कार्ड जारी करने वाले बैंक डुप्लिकेट स्टैटमेंट पर 25 रुपये शुल्क लेते हैं। यह उस स्थिति में है जब कोई ग्राहक तीन माह से अधिक पुरान स्टेटमेंट मांगता है। एसबीआई क्रेडिट कार्ड इसके लिए 100 रुपये शुल्क लेता है। (वास्तव में एसबीआई कार्ड तो डुप्लिकेट ई-स्टेटमेंट के लिए भी शुल्क लेता है।)
विदेशी मुद्रा में लेनदेन: वीजामास्टर के अनुसार विदेशों में किसी लेनदेन को भारतीय रुपये में परिवर्तित कर शुल्क लगाया जाता है। इस लेनदेन पर 2.5 फीसदी शुल्क के साथ बैंक वीजामास्टर को रिइंबर्स करने यानी अदायगी करने के लिए एक फीसदी शुल्क अलग से लेते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य शुल्कों में चैक के बिना भुगतान वापस होने पर लगने वाला चार्ज, पिन रिप्लेसमेंट, कार्ड रिप्लेसमेंट और आउटस्टेशन टेलीड्रॉफ्ट पर लगने वाला शुल्क प्रमुख हैं।
इसके साथ कार्ड धारक को कुल लेनदेन पर 12.36 फीसदी सेवाशुल्क भी देना होता है। उस स्थिति में जहां पर ग्राहक जो अपने देय को अगले महीने देने की बात कह देता है यानी रोलओवर के लिए राजी होता है, उसे भी ब्याज की गणना के दौरान यह सारा शुल्क देना पड़ सकता है।
देखें कि किस तरह से क्रेडिट कार्ड कंपनियां हस्यास्पद ढंग से ब्याज लेती हैं। एक व्यक्ति को अपनी बकाया राशि पर न्यूनतम 5 फीसदी दर से ब्याज और रोलओवर क्रेडिट अगले माह भुगतान करने को कहा गया। लेकिन अगर कार्ड धारक अपने बिल का एक हिस्सा पहले ही चुका देता है तो वह यह न समझे कि उसने अपना बकाया चुका दिया है।
कार्ड कंपनियां उस स्थिति में भी उसके द्वारा किए गए हर ट्रांजेक्शन पर ब्याज लेंगी जब तक वह अपना बकाया चुका नहीं देता। (देखें टेबल) 29 जून को अगर कार्डधारक का बकाया बिल पूरी तरह शून्य है। बिलिंग का चक्र हर माह की 1 से 29 तारीख तक होता है। इसका बिल स्टेटमेंट सामान्यत: 30 जुलाई को बनेगा। उसका भुगतान 21 अगस्त तक होना चाहिए।
इसका अर्थ यह भी है कि अगर कोई कार्ड धारक अपने बकाया बिल का पूरा भुगतान हर माह नहीं करता तो उसके लिए कोई ग्रेस पीरियड नहीं होगा। इसी तरह कैश एडवांस भी कार्ड धारक को इस ग्रेस पीरियड में परेशान करते रहेंगे। वास्तव में अगर कोई क्र्रेडिट कार्ड धारक अपने इस कार्ड से पैसा निकालता है तो उस पर उस दिन से जब तक यह राशि चुकाई जाएगी उस तारीख तक ब्याज दर लगाई जाती है।
कार्ड का उपयोग समझदारी से न किया जाए, तो यह आपके लिए आर्थिक परेशानी का सबब बन सकता है। इससे बचने के लिए सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप भुगतान का सुविधाजनक तरीका अपनाएं और सीमित खरीदारी करें। ऐसा करने से आपका कोई भी बकाया कैरी फारवर्ड नहीं होगा न ही आपको कोई ब्याज शुल्क देना होगा। क्या यह ठीक नहीं है। यह वजन कम करने के किसी बेहतरीन उपाय की ही तरह है, जिसे कुछ लोग ही अपनाते हैं।
नगदी का संकट
लेन-देन कुल लेन-देन
रुपए में
1/7/2008 शापिंग 50000
5/7/2008 शापिंग 40000
5/7/2008 डिनर 10000
21/8/2008 भुगतान किया गया 40000
25/8/2008 ग्रॉसरीज 4000
26/8/2008 पेट्रोल 2000