बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) सीमा पार पुनर्बीमा (CBR) के पुनर्बीमा लेन देन के लिए जमानत पेश करने की योजना बना रहा है।
शुरुआती मसौदे में दिए गए प्रस्तावित दिशानिर्देश वित्त वर्ष 2025-26 और उसके बाद से भारत के सीडेंट्स या बीमाकर्ताओं द्वारा सीबीआर के साथ सभी पुनर्बीमा योजनाओं पर लागू होंगे।
पुनर्बीमाकर्ताओं को पूंजी प्रबंधन का मुख्य साधन माना जाता है, जो बीमा कंपनियों के जोखिम प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे देखते हुए जमानत बरकरार रखने से न सिर्फ पॉलिसीधारकों और बीमाकर्ताओं के हितों की रक्षा होगी बल्कि बाजार में भरोसा भी बढ़ेगा। इससे पुनर्बीमाकर्ता आकर्षित होंगे और बीमा क्षेत्र के तेज वृद्धि का माहौल बन सकेगा।
IRDAI ने कहा है, ‘इसके साथ ही सीमा पार पुनर्बीमाकर्ताओं (सीबीआर) को भी प्रीमियम का एक उल्लेखनीय हिस्सा भारत से मिल रहा है। भारत के पुनर्बीमा बाजार में उनकी हिस्सेदारी बढ़ रही है। अब ऐसा महसूस किया गया कि भारतीय सेडेंट्स के हितों का बचाव किया जाए, जिससे वे भारत में पॉलिसीधारकों के प्रति जवाबदेही पूरी कर सकें।’
वित्त वर्ष 2023 के लिए आईआरडीएआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सीबीआर पुनर्बीमा कारोबार में 283 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं और वे सरकारी बीमा कंपनी जीआईसी रे और फॉरेन रिइंश्योरेंस ब्रांचेज से मुकाबला कर रही हैं।