देश के कुछ हिस्सों में खराब हो रही हवा का फायदा आने वाले महीनों में बीमा कंपनियों को मिल सकता है। जनरल इंश्योरेंस (साधारण बीमा) कंपनियों को हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) में गिरावट से स्वास्थ्य बीमा कराने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। वैश्विक महामारी कोविड के बाद लोगों में जागरूकता बढ़ने से स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में मजबूत वृद्धि देखी गई है।
वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र 24.4 फीसदी बढ़कर 54,713.52 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले साल की इसी अवधि में 43,981.54 करोड़ रुपये था। इससे पूरे गैर-जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि हुई।
ग्रुप हेल्थ प्रीमियम की बढ़ी कीमतों ने इसमें योगदान दिया। वैश्विक महामारी कोविड के बाद लोगों में स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इस कारण स्वास्थ्य बीमा उद्योग वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के 24,864.01 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में 120 फीसदी बढ़ गया।
स्वास्थ्य बीमा खंड में ग्रुप हेल्थ श्रेणी का प्रीमियम वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में 27 फीसदी बढ़कर 29,537.57 करोड़ रुपये हो गया जो पिछले साल की इसी अवधि में 23,316.04 करोड़ रुपये था। इस अवधि के दौरान रिटेल हेल्थ प्रीमियम भी 18.39 फीसदी बढ़कर 18,784.82 करोड़ रुपये हो गया, जो 15,867.31 करोड़ रुपये था।
पॉलिसी बाजार डॉट कॉम में हेल्थ इंश्योरेंस के बिजनेस हेड सिद्धार्थ सिंघल कहते हैं, ‘हवा की खराब होती गुणवत्ता न केवल फेफड़ों पर असर करेगी और सांस संबंधी समस्याएं पैदा करेगी बल्कि दीर्घ काल में समस्याएं भी पैदा करेंगी। हम बहुत से ऐसे ग्राहक देख रहे हैं जो अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और स्वास्थ्य बीमा खरीद रहे हैं।’
देश के अधिकतर बड़े शहर हवा की खराब गुणवत्ता से जूझ रहे हैं। उनमें से अधिकांश शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब, मध्यम और गंभीर स्तर के आसपास है। जहां दिल्ली-एनसीआर में स्थिति गंभीर है, वहीं मुंबई जैसे कुछ अन्य महानगरों में भी वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी जा रही है।