जीवन बीमा के भुगतानों पर स्रोत पर कर (टीडीएस) घटाए जाने को लेकर उद्योग जगत की मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ कारोबारियों का अनुमान है कि इस कटौती से पॉलिसियों की बिक्री बढ़ सकती है, वहीं अन्य इसके असर को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में हैं।
केंद्रीय बजट 2024-25 में जीवन बीमा संबंधी भुगतान पर टीडीएस 5 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव है, जो 1 अक्टूबर 2024 से लागू होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कमी से पॉलिसीधारकों को शुद्ध भुगतान बढ़ेगा और उनके पास ज्यादा नकदी आएगी। इसकी वजह से बीमा पॉलिसियों की बिक्री बढ़ सकती है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के मुताबिक टीडीएस दर में कटौती से जीवन बीमा पॉलिसियों का आकर्षण बढ़ेगा।
फ्यूचर जनराली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य अनुपालन अधिकारी मनीष पाहवा ने कहा, ‘जीवन बीमा कंपनियों के लिए यह बदलाव सकारात्मक है, क्योंकि इससे कुल मिलाकर ग्राहकों का अनुभव बेहतर होगा। ज्यादा शुद्ध भुगतान मुहैया कराकर बीमाकर्ता, ग्राहकों का भरोसा और संतुष्टि बढ़ा सकते हैं। यह दीर्घावधि संबंध बनाने में अहम है।’
उन्होंने कहा कि ग्राहकों का अनुभव बेहतर होने से वे अपनी पॉलिसियों को आगे बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी अपने बेहतर अनुभव साझा कर सकते हैं और कुल मिलाकर इससे इस सेक्टर की वृद्धि होगी।
साथ ही भुगतान का ढांचा पक्ष में होने से जीवन बीमा पॉलिसियों की मांग को प्रोत्साहन मिल सकता है और लोग इससे जीवन बीमा पॉलिसियां खरीदने के लिए ज्यादा प्रोत्साहित होंगे। कुछ जीवन बीमा कंपनियों का कहना है कि कर घटाया जाना पॉलिसीधारकों के लिए बेहतर है, लेकिन इसका कारोबार के परिचालन पर बहुत मामूली असर पड़ने की संभावना है।
एचडीएफसी लाइफ के कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी नीरज शाह ने कहा, ‘टीडीएस कटौती घटाए जाने से हम कारोबार में कोई बदलाव की संभावना नहीं देख रहे हैं, क्योंकि यह प्राथमिक रूप से परिचालन का मसला है।’ उन्होंने कहा कि इससे पॉलिसीधारकों या पॉलिसी के एवज में भुगतान पाने वालों को इस हिसाब से लाभ होगा कि अस्थाई रूप से उनके पास नकदी बढ़ जाएगी।