2025 की बार्कलेज प्राइवेट क्लाइंट्स हुरुन इंडिया मोस्ट वैल्युएबल फैमिली बिज़नेस लिस्ट में अंबानी परिवार लगातार दूसरे साल नंबर-1 पर रहा। उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की वैल्यू ₹28.2 लाख करोड़ है, जो भारत की GDP का लगभग 12वां हिस्सा है।
इस बार की लिस्ट में 100 नए परिवार शामिल हुए, जिससे कुल 300 परिवारों की वैल्यू ₹134 लाख करोड़ (लगभग $1.6 ट्रिलियन) हो गई। यह तुर्की और फिनलैंड की संयुक्त GDP से भी ज्यादा है। टॉप 10 परिवारों की कुल वैल्यू ₹40.4 लाख करोड़ है, जो पिछले साल से ₹4.6 लाख करोड़ ज्यादा है।
अंबानी के बाद दूसरे नंबर पर कुमार मंगलम बिड़ला परिवार है, जिसकी वैल्यू ₹6.5 लाख करोड़ है। तीसरे स्थान पर जिन्दल परिवार है, जिसकी वैल्यू ₹5.7 लाख करोड़ तक पहुंच गई। ये तीनों परिवार मिलकर GDP के लिहाज से फिलीपींस के बराबर हैं। लिस्ट में सबसे ज्यादा (227) दूसरे जनरेशन के बिज़नेस परिवार हैं। तीसरी पीढ़ी के 50 परिवार और चौथी पीढ़ी के 18 परिवार शामिल हैं। सबसे पुराना कारोबार वाडिया परिवार का है, जिसकी वैल्यू ₹1.58 लाख करोड़ है।
Barclays Private Bank के एशिया पैसिफिक हेड नितिन सिंह के मुताबिक, आने वाले पांच साल में भारत के बड़े कारोबारी परिवारों की करीब ₹130 लाख करोड़ की दौलत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलेगी। यह अब तक का सबसे बड़ा ट्रांसफर होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब 71 परिवार ऐसे हैं जो अपना अलग फैमिली ऑफिस चला रहे हैं, ताकि अपने पैसों और कारोबार को बेहतर तरीके से संभाल सकें और अगली पीढ़ी को आसानी से सौंप सकें।
नितिन सिंह ने बताया, “ये परिवार सिर्फ पैसा नहीं कमा रहे, बल्कि नए-नए उद्योग लगा रहे हैं, नौकरियां दे रहे हैं और देश के कॉरपोरेट टैक्स में 15% तक का योगदान कर रहे हैं।” पिछले साल, टॉप 300 परिवारों ने ₹1.8 लाख करोड़ टैक्स दिया और 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया। जो बहरीन की पूरी आबादी से भी ज्यादा है।
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टॉप 10 में आने के लिए अब कम से कम ₹2.2 लाख करोड़ की वैल्यू चाहिए। टॉप 50 की एंट्री वैल्यू ₹54,700 करोड़ और टॉप 200 की ₹4,600 करोड़ हो गई है। पूरी लिस्ट में शामिल होने के लिए कम से कम ₹1,100 करोड़ का बिज़नेस होना जरूरी है। अनिल गुप्ता परिवार ने इनहेरिटेंस के बाद शेयर प्राइस में 1,116 गुना बढ़त हासिल की, जबकि बिनू बंगुर (627 गुना) और धर्मपाल अग्रवाल (452 गुना) इसके बाद आते हैं।
इस लिस्ट में देश के 45 शहरों के कारोबारी परिवार शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा 48 कंपनियां इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट बनाने वाले सेक्टर की हैं। ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स वाला सेक्टर वैल्यू के मामले में सबसे आगे है — इस सेक्टर की हर कंपनी की औसत वैल्यू ₹52,320 करोड़ है। फार्मा (दवा) सेक्टर में 25 कंपनियां हैं, जिनकी औसत वैल्यू ₹41,000 करोड़ से ज्यादा है। लिस्ट में 74% कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं, यानी इनके शेयर आम लोग खरीद सकते हैं। 62 कंपनियों में प्रोफेशनल CEO (परिवार से बाहर के लोग) काम संभाल रहे हैं, जबकि 22 कंपनियों की कमान महिलाओं के हाथ में है। हल्दीराम भारत की सबसे कीमती अनलिस्टेड कंपनी है, जिसकी वैल्यू ₹85,800 करोड़ है।
Hurun India के फाउंडर अनस रहमान जुनैद ने कहा कि अब बड़े विदेशी निवेशक भारतीय पारिवारिक कंपनियों का हिस्सा बन गए हैं। जैसे Temasek ने हल्दीराम में बहुत बड़ा निवेश किया और ADIA ने मेरिल में 200 मिलियन डॉलर लगाए। इन निवेशों से वे कंपनियों के कामकाज और उनके ग्रोथ के तरीकों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
बार्कलेज प्राइवेट क्लाइंट्स हुरुन इंडिया मोस्ट वैल्यूएबल फैमिली बिज़नेस लिस्ट 2025 में इस बार 100 नए परिवार जुड़े हैं, जिससे अब कुल 300 परिवार शामिल हो गए हैं। पिछले साल इन परिवारों ने औसतन हर दिन ₹7,100 करोड़ की कमाई की और इनकी कुल वैल्यू 1.6 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹134 लाख करोड़) तक पहुंच गई, जो तुर्की और फिनलैंड की संयुक्त GDP से भी ज्यादा है। लगातार दूसरे साल अंबानी परिवार ₹28.2 लाख करोड़ की वैल्यू के साथ पहले स्थान पर है, जो भारत की GDP का लगभग 1/12 है। दूसरे स्थान पर कुमार मंगलम बिड़ला परिवार ₹6.5 लाख करोड़ के साथ पहुंच गया है, जबकि जिंदल परिवार ₹5.7 लाख करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर है। पहली पीढ़ी के सबसे वैल्यूएबल बिज़नेस में अदाणी परिवार ₹14 लाख करोड़ के साथ पहले और पूनावाला परिवार ₹2.3 लाख करोड़ के साथ दूसरे नंबर पर है।
टॉप-10 में आने के लिए अब कम से कम ₹2.2 लाख करोड़ की वैल्यू चाहिए, जो पिछले साल से ₹18,700 करोड़ ज्यादा है, जबकि पूरी लिस्ट में शामिल होने के लिए मिनिमम ₹1,100 करोड़ जरूरी है। टॉप-50 की एंट्री वैल्यू ₹54,700 करोड़ और टॉप-200 की ₹4,600 करोड़ हो गई है। इस साल 161 परिवार अरबपति बन गए हैं, जो पिछले साल से 37 ज्यादा हैं। ये परिवार 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं और ₹1.8 लाख करोड़ टैक्स चुकाते हैं, जो भारत के कॉर्पोरेट टैक्स का 15% है।
सेक्टर की बात करें तो इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट सेक्टर में सबसे ज्यादा 48 कंपनियां हैं, जबकि ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स सेक्टर की औसत वैल्यू ₹52,320 करोड़ है, जो सबसे ऊंची है। फार्मा सेक्टर में 25 कंपनियां हैं, जिनकी औसत वैल्यू ₹41,000 करोड़ से अधिक है। लिस्ट में 74% कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं, जबकि हल्दीराम परिवार ₹85,800 करोड़ की वैल्यू के साथ लगातार दूसरे साल भारत की सबसे बड़ी अनलिस्टेड कंपनी बनी हुई है। इस साल महिला नेतृत्व वाली कंपनियों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है, जबकि 62 कंपनियों में प्रोफेशनल CEO काम कर रहे हैं।
ये परिवार 45 शहरों से आते हैं, जिनमें मुंबई से 91, NCR से 62 और कोलकाता से 25 परिवार शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि शेयर कीमत में सबसे ज्यादा बढ़त अनिल गुप्ता परिवार (1,116 गुना), बैनू बांगुर परिवार (627 गुना) और धर्मपाल अग्रवाल परिवार (452 गुना) ने हासिल की है। टॉप-10 परिवार कुल लिस्ट वैल्यू का लगभग आधा कंट्रोल करते हैं। वाडिया परिवार ₹1.58 लाख करोड़ की वैल्यू के साथ सबसे पुराना बिज़नेस है। मुथूट फाइनेंस, हल्दीराम और बिकानेरवाला के बोर्ड में सबसे ज्यादा 8 फैमिली मेंबर हैं। 93 साल के कनैयालाल मणेकलाल शेट, ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के प्रमुख, सबसे उम्रदराज सक्रिय बिज़नेस लीडर हैं।
हुरुन इंडिया के फाउंडर अनस रहमान जुनैद के मुताबिक, विदेशी निवेशक अब भारतीय पारिवारिक कंपनियों के बोर्डरूम में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। हल्दीराम में Temasek और मेरिल में ADIA का निवेश जैसे सौदे दिखाते हैं कि प्राइवेट इक्विटी भारतीय फैमिली बिज़नेस को बढ़ाने, प्रोफेशनल बनाने और नई पीढ़ी को तैयार करने में अहम योगदान दे रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि करीब 120 परिवारों का अरबों डॉलर का एक्सपोर्ट बिज़नेस, अमेरिका के 50% तक बढ़े टैरिफ से खतरे में है, इतिहास बताता है कि भारतीय पारिवारिक कंपनियां हर मुश्किल वक्त में सफल रही हैं और इस बार भी अपनी मजबूती और बदलने की क्षमता से हालात संभाल सकती हैं।