भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक और सीईओ आर दुरईस्वामी ने भविष्य की योजनाओं सहित अन्य अहम विषयों पर मनोजित साहा, आतिरा वॉरियर और सुब्रत पांडा से बात की। प्रमुख अंशः
एलआईसी को लेकर आपकी क्या योजना है?
हम सभी मानकों पर विकास और बेहतर कारोबार करने पर ध्यान दे रहे हैं। कुछ तिमाहियों में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी ऊपर या नीचे रह सकती है लेकिन हम लगातार कारोबार बढ़ाने और अंशधारकों को फायदा पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अगले तीन वर्षों में हम वैश्विक स्तर पर एलआईसी को दिग्गज कंपनी के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 60 से 65 प्रतिशत के बीच है। क्या इसमें इजाफा हो सकता है?
हमारी कुल 64 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी में समूह बीमा की प्रमुख भूमिका है। समूह बीमा में उतार-चढ़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन एलआईसी राष्ट्र के लक्ष्यों में योगदान देने वाली प्रमुख कंपनी बनना चाहेगी जिनमें 2047 तक सभी के लिए बीमा सेवा उपलब्ध कराना भी शामिल है।
वित्त वर्ष 2026 के लिए क्या योजना हैं?
हमने नए कारोबारी प्रीमियम में एक अंक में वृद्धि दर्ज करनी शुरू कर दी है। लेकिन वर्तमान में हम पॉलिसियों की बिक्री को लेकर बहुत आक्रामक नहीं हैं। मगर हम चाहेंगे कि चालू वित्त वर्ष में हमारी पॉलिसियों की बिक्री में तेजी आए। वर्ष के अंत तक एलआईसी बीमा उद्योग की वृद्धि के साथ कदमताल करते हुए कारोबार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
आप पॉलिसियों की बिक्री में नरमी कैसे दूर करेंगे?
पॉलिसियों की बिक्री में कमी हमारे पोर्टफोलियो में संशोधन के कारण आई है। 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी इरडाई के निर्देश के बाद हमें ये बदलाव करने पड़े। हालांकि अब पॉलिसियों की बिक्री में आई कमी थम रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि अगस्त और सितंबर में यह सिलसिला पूरी तरह थम जाएगा और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हमारी बिक्री तेज हो जाएगी। हम पिछले साल की तुलना में पॉलिसियों की बिक्री में दो अंक की तेजी लाना चाहते हैं।
क्या एलआईसी भी निजी कंपनियों की तरह ज्यादा मार्जिन हासिल करना चाहती है?
एलआईसी ग्राहकों के हित और मार्जिन के बीच संतुलन स्थापित करने की हिमायती है। हमें समाज के सभी वर्गों के लोगों को बीमा सुविधा देनी होगी, इसलिए ग्राहकों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर हमारा ध्यान रहेगा।
सहभागी और गैर-सहभागी पॉलिसियों का अनुपात कितना रखना चाहते हैं?
समय के साथ गैर-सहभागी पॉलिसियों की हिस्सेदारी में कुछ और वृद्धि होगी। हम जान बूझकर गैर-सहभागी पॉलिसियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में हमने जितनी पॉलिसियां शुरू की हैं वे गैर-सहभागी हैं। जहां तक सहभागी और गैर-सहभागी पॉलिसियों के अनुपात का सवाल है तो हम इसे 40:60 के अनुपात में रखना चाहेंगे।
क्या आप एक बार समग्र लाइसेंस आने के बाद गैर-जीवन बीमा पॉलिसियां भी बाजार में उतारेंगे?
फिलहाल हम बीमा कानून संशोधन का इंतजार कर रहे हैं। संशोधन होने के बाद हमारे पास विकल्प मौजूद होंगे। मैं यह नहीं कह रहा कि एलआईसी तुरंत एक समग्र कंपनी में बदल जाएगी और स्वास्थ्य बीमा कारोबार में उतर जाएगी। कोई भी कदम उठाने से पहले हम बाजार का जायजा लेंगे।
बीमा कानून में संशोधन के बाद अनुमति मिली तो हम स्वास्थ्य बीमा कारोबार में उतरने पर विचार कर सकते हैं।
क्या किसी सरकारी सामान्य बीमा कंपनी का विलय विकल्प है?
नहीं, फिलहाल यह विकल्प नहीं है।
आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री के बाद कितनी हिस्सेदारी बनाए रखने की योजना हैं?
वर्तमान में आईडीबीआई बैंक में हमारी 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कई इकाइयों ने हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। हमें उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी और हम मौजूदा विनिवेश प्रक्रिया में उनके साथ भाग लेंगे। इसके बाद हम तुरंत और हिस्सेदारी बेचने की हमारी योजना नहीं है। हम इस दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे।
एलआईसी में हिस्सेदारी बिक्री पर क्या प्रगति है?
जो नियम निर्धारित किए गए हैं उनके अनुसार सरकार की हिस्सेदारी पहले कम होकर 90 प्रतिशत रह जाएगी और फिर इसे और घटाकर 75 प्रतिशत तक लाया जाएगा। एलआईसी की हिस्सेदारी बिक्री के लिए कुछ ढील पहले ही दी जा चुकी है। सरकार ने घोषणा की है कि वह 2027 तक अपनी हिस्सेदारी घटाकर 90 प्रतिशत तक ले आएगी। दीपम और वित्तीय सेवा विभाग एक साथ काम कर रहे हैं और एलआईसी भी उनके साथ सहयोग कर रही है।
एजेंसी और डिजिटल बदलाव को लेकर क्या प्रगति हुई है?
‘डाइव’और एजेंसी में बदलाव (जीवन समर्थ) दोनों तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। डाइव में हम हम शुरुआती पहल जल्द करेंगे। हमने एक मोबाइल ऐप भी शुरू कर दिया है। हमने अपने ग्राहकों को जोड़ने के अपने डिजिटल एप्लिकेशन में भी सुधार किया है। जल्द ही, हम अपने एजेंटों के लिए एक ऐप शुरू करेंगे। हमने इसका परीक्षण करना शुरू कर दिया है। एक बार इसका ठोस परीक्षण होने के बाद हम एजेंट ऐप शुरू कर देंगे।