50 अरब डॉलर के परिसंपत्ति वाले प्रूडेंशियल एशियन फंड का प्रबंधन करने के बाद अजय श्रीनिवासन ने आदित्य बिड़ला ग्रुप के वित्तीय सेवा प्रभाग में बतौर प्रमुख कार्यकारी निदेशक पदभार संभाला है।
पद संभालने के बाद से बिड़ला सनलाइफ म्युचुअल फंड और बीमा कारोबार दोनों विकास की पटरी पर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह एएमसी देश के पांच सबसे बड़े फंड हाउसों में शुमार हो चुकी है। फिलहाल यह कंपनी अपने वैल्थ मैनेजमेंट और एनबीएफसी पर ज्यादा ध्यान दे रही है। वंदना को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने ग्रुप समेत पूरी इंडस्ट्री केबारे में बातचीत की:-
आज के दौर में वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों पर आपकी क्या राय है?
अगर एक शब्द में कहा जाए तो बहुत ही ज्यादा। इस वक्त कुछ अहम बातें हैं। सेविंग्स और इनकम दो ऐसे अहम पहलू हैं जो वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा उत्पादों का दवाब भी एक पहलू हैं जो एक अंतर पैदा करता है। भारत के संदर्भ में सबसे सकारात्मक बात है कि यहां आबादी और मजबूत होती अर्थव्यवस्था दोनों का जबरदस्त संगम है,और दुनिया के सबसे विकसित देशों की कतार में शामिल हो रहा है।
इसके बावजूद लोंगों के पास पैसे जमा क रने के विकल्पों के बारे में कम ही जानकारी है। आज भी ज्यादातर घरेलू जायदाद बैंक में जमा पडे हैं,जबकि अब ऐसे एसेटों की भरमार हैं,जिसमें लांग टर्म से लेकर अन्य विभिन्न प्रकार के सेविंग्स किए जा सकते हैं।
जहां तक फाइनेंनसियल सर्विसेज उत्पादों की बात करें तो यह लोंगों की बढ़ती आय परा निर्भर है,कि जैसे-जैसे लोगों की आय में इजाफा होगा,इन उत्पादों में लोंगों की हिस्सेदारी बढ़ती जाएगी। यहां एक एस कर्व यानी उतार चढ़ाव के दौर में है,और इस वक्त हम इस कर्व के प्रारंभिक स्थान पर हैं।
वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो बाजार ने खुद को करेक्ट किया है,इसे ध्यान में रखते हुए उभरते हुए बाजारों के बारे में आपका क्या ख्याल है,खासकर, भारत जैसे उभरते हुए बाजार की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि यह अभी भी दूसरे बाजारों के मुकाबले सस्ता नही है?
अमेरिका इस वक्त वहीं हैं जहां शुरूआती समस्याएं शुरू होती हैं। मेरे लिहाज से भारत की वैल्यूएशन एक लांग-टर्म एवरेज के मद्देनजर की जाती है। भारत निश्चित तौर पर कभी कभी खासा खर्चीला प्रतीत होता है,खासकर शुद्ध कीमत और आय को देखते हुए कहा जाए तो। लेकिन इन सबके बीच जो चीज नजरअंदाज की जाती है,वो है गुणवत्ता वाला पहलू जो भारत में काफी तेजी से विकसित तो हो रहा है,साथ ही यह दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता भी पड़ता है।
इसके अलावा यहां निवेश की गई पूंजी पर सबसे बेहतर रिटर्न मिलता है। नतीजन, भारतीय कंपनियों ने निवेश की उत्पादकता का जो स्तर प्राप्त किया है वो दूसरे बाजारों के मुकाबले खासा प्रभावी है। तीसरी बात की यहां अवसर अन्य देशों या बाजारों से कहीं ज्यादा है, यहां निवेश करने के विकल्प भी औरों के मुकाबले कहीं बेहतर हैं।
आईटी,इंफ्रास्ट्रक्चर,कंज्यूमर डयूरेबल्स से लेकर तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जो निवेश और कारोबार के लिहाज से खाली पड़े हैं। यह वो चीज है जो भारत को दूसरों से अलग करती है। इस लिहाज से भारत देशी और विदेशी दोनों प्रकार के निवेशकों के लिए सबसे मुफीद जगह है।
आदित्य बिरला कंपनी बाजार में कु छ समय तक बुरे हाल में था,लेकिन फिर इस पर काबू पा लिया गया,यह कैसे संभव हो सका और आगामी भविष्य की योजनाएं क्या-क्या हैं?
इस बारे में मुझे एक बात बताने दीजिए कि 2007-08 में क्या हुआ था। हम अपने दो बड़ेकारेबार जीवन बीमा और म्युचुअल फंड कारोबार को गति प्रदान करने में लगे हुए थे। पिछले साल जीवन बीमा कारोबार में 130 फीसदी का इजाफा हुआ,जो बाजार में सबसे तेज गति से इजाफा करने वाली कंपनियों के बीच है।
हमने साल की शुरूआत 5.2 फीसदी के बाजार हिस्सेदारी के साथ की थी,जो साल खत्म होने के वक्त 6.6 फीसदी हो गया। सिर्फ अकेले मार्च की बात करें तो हम चौथे स्थान पर थे। एसेट प्रबंधन कारोबार भी पीछे नही था,और हमने इसमें 1.1 फीसदी बाजार हिस्सेदारी पाने में सफल रहे। मेरी समझ से दोनों कारोबार को गति प्रदान करने में उत्पाद वितरण और लोगों का खासा अहम स्थान है।
लिहाजा, इन सब जरूरतों के लिए एक ब्रांड और तकनीक की दरकार होती है। एएमसी कारोबार में हमने चार एनएफओ जारी किए थे,जिनसे हमने 3000 करोड़ रूपये जुटाये। इन सबके अलावा हम वितरण को मजबूत करने के लिए निवेश कर रहे हैं, साथ ही इस बात को भी निश्चित करने की कोशिश जारी है कि हमारे उत्पाद इनोवेटिव तो हों ही,ये हमारे ग्राहकों की जरूरतों को भी पूरा करें।
भारत में आपके मुताबिक वित्तीय सेवा उत्पादों में कमी के क्या कारण हैं?
इसके लिए कोई सीधा जवाब नही है। इसके लिए कई कारक कार्य करते हैं। एक स्तर पर,यह उन उत्पादों की उपलब्धतता से संबंधित काम है,जिसे ग्राहक पूर्व में इस्तेमाल करते हों। लेकिन एक लंबे समय से ग्राहकों को गारंटीड रिटर्न की आदत पर चुकी है। लिहाजा, जरा सी भी जटिलता होनपे पर ग्राहक निवेश करने से कतराते हैं। इसके अलावा ग्राहक जिस भाषा या जिस तरीके से समझ पाते हैं वह भी एक मसला है कि काम सही से अंजाम पर नही पहुंच पाता है।