मुंबई स्थित प्लेथिको फार्मास्युटिकल्स विदेश में अपनी मौजूदगी के जरिए राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कंपनी का मुख्य जोर हेल्थकेयर उत्पादों पर है।
इसके अतिरिक्त कंपनी अपने उत्पादों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिये नई विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की योजना बना रही है। कंपनी का कंज्यूमर हेल्थकेयर, हर्बल और न्यूट्राक्यूटिकल उत्पादों की इकाइयों पर मुख्य ध्यान है।
गौरतलब है कि हर्बल और कंज्यूमर उत्पादों के सत्यापन में जेनेरिक दवाइयों की भांति लंबे पेटेंट मंजूरी प्रोसेस से नहीं गुजरना पड़ता है। प्लेथिको ने जनवरी में हर्बल उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञ अमेरिकी कंपनी को खरीदा है ताकि नियंत्रित अमेरिकी बाजार में वह अपनी उपस्थित बढ़ा सके। कंपनी दुबई में विनिर्माण ईकाई स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
नैट्रोल का अधिग्रहण
प्लेथिको की अभी तक कम नियंत्रित बाजारों जैसे पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए राष्ट्रों और अफ्रीका के देशों में उपस्थिति थी। कंपनी ने नियंत्रित बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये अमेरिका स्थित नैट्रोल का 325 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया।
नैट्रोल एक न्यूट्रिशनल उत्पाद बनाने वाली ब्रांडेड कंपनी है और इस अधिग्रहण के बाद कंपनी को अमेरिकी बाजार के अलावा बिट्रेन और हांगकांग के बाजार में भी अपनी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी। अधिग्रहण के पश्चात कंपनी के राजस्व में अमेरिका से प्राप्त राजस्व का योगदान कुल राजस्व का 45 फीसदी तक हो जाएगा।
कंपनी की दिसंबर 2007 से पिछले 15 महीनों की कमाई पर यदि गौर किया जाए तो कंपनी ने कुल 555 करोड़ का राजस्व इकट्ठा किया। कंपनी नैट्रोल ब्रांड भारत में बनाने और फिर उन्हें यहां के बाजार में उतारने की योजना बना रही है। और इसके अतिरिक्त इसे अन्य अर्धनियंत्रित बाजारों में भी पेश किया जाएगा।
इससे कंपनी को अपना लाभ बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी।कंपनी अगले कुछ महीनों में सर्दी और खांसी की दवा ट्रैविजिल और जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में काम आने वाली दवा माउंटेन हर्ब्ज का वितरण करने की सोच रही है। इसके लिए वह नेट्रोल के वितरण चैनल का उपयोग करेगी।
जड़ी-बूटियों की ओर रुझान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों पर यदि नजर दौड़ाई जाये तो हमें हर्बल उत्पादों की ओर बढ़ते रुझान का संकेत मिलता है। जल्द ही इन दवाओं का बाजार लगभग 2400 अरब रुपए के आसपास होगा और इसमें हर साल 7 फीसदी की बढ़त के आसार हैं।
इसमें यूरोप की हिस्सेदारी लगभग 920 अरब रु. की होगी और अमेरिकी बाजार का स्थान इसके बाद 550 रु. अरब के आसपास होगा। दुनिया में न्यूट्राक्युटिकल का बाजार बढ़ने की संभावना है। उम्मीद है कि 2010 तक इसकी बिक्री 7500 रु. अरब के पार पहुंच जाएगी। 2007 तक अमेरिका, यूरोप और जापान की इसके वैश्विक बाजार में लगभग 86 फीसदी की हिस्सेदारी है और बाजार पर उनका ही एकाधिकार है।
वैश्विक बाजार में लगातार जारी बढ़त और नैट्रोल के अधिग्रहण के बाद कंपनी को न्यूट्राक्युटिकल्स से अर्जित राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी और कंपनी का लक्ष्य राजस्व में इसकी हिस्सेदारी 2009 और 2010 तक बढ़ाकर 70 फीसदी तक पहुंचाना है। अबी यह हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत है।
कंपनी के हर्बल और न्यूट्राक्युटिकल्स के क्षेत्र में लगभग 45 उत्पाद है। इसमें कंपनी का लोकप्रिय ब्रांड टै्रविजिल भी शामिल है, जिसकी कंपनी की कुल बिक्री में 15 फीसदी की हिस्सेदारी है। भारत में न्यूट्राक्युटिकल्स का बाजार लगभग 160 करोड़ रु. का है और दो साल में इसके 1080 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने के के आसार हैं।
विदेश में प्रसार
प्लेथिको अपने वितरण चैनल पर कार्य करने और दवाओं के निर्माण के लिये दुबई में 100 करोड़ रु. के उत्पादन संयंत्र का निर्माण कर रही है। कंपनी ने संयंत्र की स्थापना का निर्णय आपूर्ति के जरिये राजस्व बढ़ाने के लिये किया है क्योंकि अभी तक कंपनी को क्षमता की कमी से जूझना पड़ता था।
कंपनी का मानना है कि इस नये संयंत्र की स्थापना के बाद कंपनी की पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए देशों, यूरोप, दक्षिण एशिया और अफ्रीका में उपस्थिति बढ़ेगी और उसे कर छूट भी मिलेगी।
संयंत्र का परिचालन 2010 तक आरंभ होने के आसार हैं। कंपनी जहां हर्बल उत्पादों के बाजार पर जोर दे रही है, वहीं वह ठेके पर दवाओं के निर्माण का कार्य भी करती है और भारतीय दवा निर्माताओं को बल्क दवा सप्लाई भी करती है। अभी तक कंपनी घरेलू बाजार पर ही अधिक ध्यान देती थी और उसका ध्यान घरेलू आपूर्ति को ही पूरा करने में था। कंपनी अपने कोर व्यापार के प्रसार में इस संयंत्र का इस्तेमाल करेगी।
निवेश की दलील
दिसंबर की तिमाही में कंपनी का प्रदर्शन धमाकेदार रहा। दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और पश्चिमी एशिया में कंपनी के उत्पादों में भारी बिक्री दर्ज की गयी और कंपनी की बिक्री बढ़कर 50 प्रतिशत बढ़कर 122 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई। इन देशों से कंपनी ने कुल राजस्व का 28 फीसदी अर्जित किया।
कंपनी का परिचालन लाभ पिछले दो सालों में 25 से 30 फीसदी के बीच रहा है। कंपनी का मानना है कि उच्च वृध्दि वाले बाजार में अपनी उपस्थिति के जरिए वह अपनी वृध्दि दर 20 फीसदी सालाना के आसपास बरकरार रख सकती है।
कंपनी का शेयर इस समय 384 रुपये के आसपास चल रहा है। नए बाजारों में बढ़ोतरी की संभावना और नैट्रोल के अधिग्रहण से होने वाले फायदों के कारण कंपनी के शेयर के वर्ष 2009 के अंत तक 40 प्रतिशत रिटर्न देने की संभावना है। बीच कंपनी के शेयरों से पिछले साल 40 फीसदी की वापसी हुई थी।