एचडीएफसी बैंक का एचडीएफसी के साथ विलय को लेकर नियामकीय छूट दिए जाने के अनुरोध पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने यह जानकारी दी। शनिवार को पोस्ट अर्निंग कॉन्फ्रेंस कॉल में वैद्यनाथन ने कहा, ‘अभी नहीं। हमें कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन हम अगले महीने तक कुछ उम्मीद कर रहे हैं। इसके लिए कोई निश्चित समयावधि नहीं है, इसके लिए कोई कार्यक्रम नहीं तय रखा गया है। विलय की प्रक्रिया प्रगति पर है।’
इस बाबत वैद्यनाथन ने कहा, ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) 27 जनवरी को अंतिम सुनवाई करेगा। उसके बाद कुछ और प्रक्रियाएं, नियामकीय प्रक्रियाएं हैं, जिससे होकर गुजरना होता है। इसलिए हमारे पास कुछ वक्त है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस अंतरिम अवधि में कुछ हो जाएगा।’
एचडीएफसी बैंक ने रिजर्व बैंक से नियामकीय जरूरतों जैसे नकद आरक्षित अनुपात और वैधानिक तरलता अनुपात के अनुपालन के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाए जाने की अनुमति मांगी थी, साथ ही एचडीएफसी के साथ विलय में प्राथमिक क्षेत्र की उधारी के मानकों को लेकर भी छूट की मांग की गई थी। एचडीएफसी बैंक ने 4 अप्रैल को कहा था कि वह एचडीएफसी का अधिग्रहण करेगा।
देश के सबसे बड़े उधारीदाता के सौदे का मूल्य 40 अरब डॉलर है। विलय का काम अगले वित्त वर्ष की दूसरी या तीसरी तिमाही तक पूरा किया जाना था। नवंबर में एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा था कि विलय अप्रैल 2023 तक पूरा हो सकता है।
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वैद्यनाथन के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर के दौरान एचडीएफसी बैंक से कर्ज की मांग तेज बनी रही, लेकिन बैंक ने 30,000-40,000 करोड़ रुपये का थोक ऋण छोड़ दिया क्योंकि इसकी लागत मौजूदा बाजार भाव से मेल नहीं खा रही थी। वैद्यनाथन ने कहा, ‘कर्ज की मांग मुख्य रूप से एनबीएफसी, पीएसयू और खुदरा व बुनियादी ढांचा क्षेत्र से संचालित रही है।’