पिछले पांच सालों से जालंधर का जिस रफ्तार के साथ विकास हो रहा है, उसने शहर की शक्ल-ओ-सूरत बदल कर रख दी है।
यहां पर विकास कार्य बदस्तूर जारी है। इसमें कोई शक नहीं कि अगले पांच साल में शहर की तस्वीर इस कदर बदल जाएगी कि किसी के लिए इस बदलाव को विश्वास कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
शहर में जो जबर्दस्त बदलाव देखने को मिल रहा है, उसके पीछे सिर्फ मॉल और मल्टीप्लेक्स संस्कृति का ही योगदान नहीं है, बल्कि शहर में फ्लैटों की संस्कृति (फ्लैट कल्चर) ने भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। शहर को चमकाने की दिशा में यहां पहले सिर्फ पीयूडीए और जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का ही एकाधिकार था।
लेकिन शहर को विकासशील बनाने की दिशा में नीतिश्री, लंदन की कंपनी हेमिल्टन डेवेलपर्स और पीवीआर गु्रप जैसी पांच निजी कंपनियां भी अब मैदान में उतर चुकी हैं। इसमें कोई शक नहीं कि शहर में हुए इन बदलावों से यहां के निवासी गौरवान्वित होंगे। निस्संदेह आने वाले दिनों में शहर की सूरत-ए-हाल और बदलेगी, जो इस शहर को देश के अन्य चार महानगरों के समकक्ष ला खड़ा करेगा।
चोपड़ा एस्टेट, जिसके स्वामित्व में पहले से ही 1200 से अधिक फ्लैट हैं, के मालिक अनिल चोपड़ा ने बताया, ”जालंधर में अपार्टमेंट बनाने के मामले में हमारी कंपनी मार्ग दर्शक के रूप में है और भविष्य के मद्देनजर यह शहर के लिए बहुत अच्छी बात है। जालंधरवासी शहर में हुए विकास की जबर्दस्त सराहना कर रहे हैं। यही नहीं शहर के कई बेरोजगारों के लिए ‘फ्लैट संस्कृति’ रोजगार का स्रोत साबित हो रही है।
इसके अलावा शहर के अन्य कारोबारियों के लिए भी यह खुशियों की सौगात लेकर आई है।”चोपड़ा ने बताया कि यह शहर अब अधिकांश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए गौरव की बात हो गई है। शहर के निवासियों और यहां तक कि बाहर के लोगों के लिए फ्लैट संस्कृति रोजगार के अवसर लेकर आई है। एक बात यह भी है कि लोग बजाए किराएदार के रूप में रहने के शहर में खुद के मकान के लिए ज्यादा इच्छुक हैं।
चोपड़ा ने बताया कि फ्लैट संस्कृति को अमृतसर और लुधियाना आदि शहरों में भी शुरू किया गया था, लेकिन वहां के निवासियों द्वारा ज्यादा पसंद नहीं किए जाने की वजह से उतनी सफलता नहीं मिल पाई। फ्लैट संस्कृति मुख्य रूप से सर्विस क्लास और अनुभवी कारोबारियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ये कारोबारी पूर्ण रूप से सुसाित फ्लैटों के लिए तीस से पैंतीस लाख रुपये और सामान्य फ्लैटों के लिए दस से पंद्रह लाख रुपये निवेश करते हैं।चोपड़ा एस्टेट में अपने परिवार के साथ रहने वाले बहुराष्ट्रीय कंपनी के एक कर्मचारी राजेश अग्निहोत्री ने बताया, ”खुद का फ्लैट मासिक रूप से सुरक्षा, पूरी तरह सुविधाजनक, आजादी का एहसास दिलाती है।
आप सिर्फ कुछ रुपये द्वारा एकमुश्त अदायगी करें, फिर फ्लैट के मालिक हो जाएंगे। यहां एक परिवार का सा एहसास होता है। हम जो अपने घरों में यादें छोड़ आए थे, यहां ‘मोहल्ला कल्चर’ में वे फिर से ताजा हो गई हैं।”