पिछले कई आकलन वर्षों से अटके आयकर रिटर्न को सत्यापित करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर थी। अगर आप तारीख बढ़ाए जाने के बाद भी सत्यापन यानी वेरिफिकेशन में नाकाम रहे हैं तो आपको आयकर विभाग का गुस्सा झेलना पड़ सकता है।
करदाताओं को अनुपालन के चार चरणों से गुजरना पड़ता है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज में पार्टनर विवेक जालान समझाते हैं, ‘आयकर चुकाएं, टैक्स फाइलिंग पोर्टल पर आयकर रिटर्न तैयार एवं जमा करें, रिटर्न का सत्यापन करें और उसके बाद आयकर विभाग में उसे जांचे जाने का इंतजार करें। कई बार करदाता अपने रिटर्न को सत्यापित नहीं करते हैं। अक्सर ऐसा अनदेखी या लापरवाही की वजह से हो जाता है। रिटर्न भरने वाले या कर संबंधी सलाह देने वाले पेशेवर भी काम के बोझ तले दबे होते हैं, इसलिए उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहता कि ग्राहक ने सत्यापन कर दिया है या नहीं। कभी-कभी इसकी वजह यह भी होती है कि रिटर्न भरने वाले का आधार तथा मोबाइल नंबर ही अपडेट नहीं रहता या आईटीआर-सत्यापन की कागजी प्रतिलिपि भेजने में देर कर दी जाती है।’
मिली थी रियायत
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 13 जुलाई, 2020 के एक परिपत्र के जरिये कुछ तय वर्षों के रिटर्न के सत्यापन के लिए एकबारगी रियायत दी थी। एनए शाह एसोसिएट्स में पार्टनर गोपाल वोहरा ने बताया, ‘जिन लोगों के आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के रिटर्न सत्यापित नहीं हुए थे, उन्हें सत्यापन के लिए 30 सितंबर 2020 तक का समय दिया गया था।’
मगर यह रियायत हर किसी को नहीं मिल रही थी। जालान बताते हैं, ‘यह रियायत उन मामलों के लिए नहीं दी गई थी, जिनमें इन आकलन वर्षों के दौरान विभाग पहले ही नोटिस जारी कर चुका है या ऐसे रिटर्न को अवैध घोषित कर रिटर्न का दाखिला सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा चुका है।’
क्या होंगे नतीजे
अगर आप इस अंतिम तिथि तक सत्यापन से चूक गए तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं। टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा कहते हैं, ‘अगर करदाता तय समयावधि में रिटर्न का सत्यापन नहीं करता है तो इसे अवैध माना जाता है और करदाता को रिटर्न नहीं भरने के परिणाम झेलने पड़ते हैं।’
कायदे में रिटर्न को अपलोड करने की तारीख के 120 दिनों के भीतर सत्यापित कर दिया जाना चाहिए। विभाग करदाता द्वारा सत्यापन के बाद ही रिटर्न पर काम करता है। सत्यापन नहीं होने का पहला खमियाजा तो यह है कि आपका आयकर रिफंड रुक सकता है। जालान बताते हैं, ‘आयकर रिटर्न दखिल नहीं करने पर धारा 234 एफ के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। रिटर्न में दिखाए गए नुकसान को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा।’ आयकर विभाग करदाता को कर नोटिस भी भेज सकता है। अगर आपने सफलतापूर्वक रिटर्न भर दिया है और निर्धारित समय में एक साल का रिटर्न सत्यापित कर दिया मगर दूसरे साल का नहीं किया तो आपके द्वारा भरे गए रिटर्न की प्रोसेसिंग के बाद रिफंड जारी किया जाएगा और ऐसे रिफंड पर धारा 244ए के तहत ब्याज दिया जा सकता है, भले ही आपने एक साल रिटर्न नहीं भरा हो। वाधवा कहते हैं, ‘हालांकि करदाता ने जितनी देर की है, उतनी अवधि का ब्याज नहीं दिया जाएगा।’
तो अब क्या करें?
अगर आप भी 30 सितंबर तक रिटर्न का सत्यापन नहीं कर पाए हैं तो बचने का क्या उपाय है? आयकर अधिनियम की धारा 119 (2) (बी) के तहत इसका उपाय दिया गया है। इसमें आप समयावधि पूरी होने के बाद भी किसी छूट, कटौती, रिफंड या दूसरी राहत के लिए आवेदन या दावा कर सकते हैं। मगर आपको यह साबित करना होगा कि वास्तव में किसी परेशानी के कारण आप रिटर्न का सत्यापन नहीं कर पाए थे। करदाता देर के लिए माफीनामा भी डाल सकते हैं। मगर जालान बताते हैं, ‘जिस आकलन वर्ष के लिए आवेदन या दावा किया जा रहा है, उसके खत्म होने के छह साल बाद रिफंड या घाटे के माफी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।’