बॉन्ड बाजार चालू वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अतिरिक्त ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) की उम्मीद कर रहा है। बाजार को खासकर करेंसी लीकेज की अवधि के दौरान ऐसा किए जाने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक द्वारा हाल में सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये अधिशेष हस्तांतरण के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है क्योंकि यह हस्तांतरण 3 लाख करोड़ रुपये के कुछ बाजार अनुमानों से कम है।
रिजर्व बैंक का लाभांश व्यवस्था में नकदी के पर्याप्त एवं टिकाऊ प्रवाह को दिखाता है। बहरहाल व्यवस्था में नकदी पर इसका असर तभी दिखता है, जब सरकार का व्यय बढ़ना शुरू होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 के व्यय के तरीके के आधार पर देखें तो लाभांश की बड़ी मात्रा को जून के अंत में खर्च किया जाएगा।
पिछले साल आम चुनाव के कारण सरकारी खर्च का समय और उसकी मात्रा विषम थी। इसकी वजह से इस साल लाभांश का व्यवस्था में नकदी पर असर धीरे-धीरे होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि संभवतः जून के अंत से अगस्त के अंत तक इसका असर दिख सकता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘इससे वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में ओएमओ खरीद की आवश्यकता होगी। हम अनुमान लगा रहे हैं कि 1.6 लाख करोड़ रुपये की वृद्धिशील ओएमओ खरीद वित्त वर्ष 2026 के शेष महीनों में होगी। इससे मार्च 2026 तक व्यवस्था में नकदी अधिशेष एनडीटीएल का 1 प्रतिशत बना रहेगा। इस अनुमान में वित्त वर्ष 2026 में 2.7 लाख करोड़ रुपये की करेंसी लीकेज और विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के माध्यम से तटस्थ रूप से मुद्रा डालना शामिल है। वित्त वर्ष 2025 के अंत से करेंसी लीकेज में तेजी आई है जो वित्त वर्ष 2026 में भी जारी है।’