सरकार के स्वामित्व वाली उपकरण निर्माता कंपनियों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (बीईएल), भारत डायनेमिक्स (बीडीएल), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) और कोचीन शिपयार्ड ने निवेशकों को आकर्षित किया है और इनकी शेयर कीमतों में मार्च के निचले स्तरों के बाद से 53 से 142 प्रतिशत के बीच तेजी दर्ज की गई है।
सभी क्षेत्रों में वृद्घि की कमजोर रफ्तार, कमजोर बाजार में उतार-चढ़ाव ने काफी हद तक इन कंपनियों के पक्ष में रुझान मजबूत बनाया है और मार्च तिमाही के उम्मीद से बेहतर नतीजों से भी निवेशक धारणा में सुधार आया है। ये शेयर आकर्षक मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे थे और इनमें तेजी की गुंजाइश अभी भी बनी हुई है।
भारत-चीन के बीच ताजा गतिरोध के बाद रक्षा क्षेत्र सरकारी खर्च के संदर्भ में प्राथमिकता में आ गया है, जबकि कोविड-19 से पैदा हुए आर्थिक दबाव को देखते हुए अन्य क्षेत्रों के साथ ऐसा नहीं है। बीईएल और कोचीन शिपयार्ड जैसी मजबूत ऑर्डर प्रवाह वाली कंपनियों का परिदृश्य नए ऑर्डरों और मजबूत क्रियान्वयन के साथ सुधर रहा है, जबकि एचएएल और बीडीएल जैसी अन्य कंपनियां भी सुधार दर्ज कर रही हैं।
सशस्त्र बलों की जरूरतें प्राथमिकता के साथ पूंरी किए जाने के लिए ऑर्डर प्रवाह में तेजी आने से सौदों के क्रियान्वयन की रफ्तार बढ़ रही है। येस सिक्योरिटीज के उमेश राउत जैसे विश्लेषक अगले दो वर्षों के दौरान ऑर्डर प्रवाह में लगातार तेजी देख रहे हैं। इसके अलावा ये कंपनियां कर्ज-मुक्त भी हैं और नए ऑर्उर सामान्य तौर पर अग्रिम भुगतान के आधार पर प्राप्त कर रही हैं। इसलिए भुगतान और कार्यशील पूंजी को लेकर कोई समस्या नहीं है। इससे उन्हें मजबूत लाभांश भुगतान, निवेशकों के लिए अपना आकर्षण बढ़ाने में भी मदद मिली है।
इन कंपनियों में, मजबूत शोध एवं विकास क्षमताओं और ऑर्डर बुक की वजह से बीईएल ज्यादातर विश्लेषकों का पसंदीदा शेयर बना हुआ है। उम्मीद से बेहतर चौथी तिमाही के परिणाम और इस कंपनी के कमजोर मार्जिन को लेकर चिंताएं दूर करने में सफल रहने से बाजार का भरोसा मजबूत हुआ है।
वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में, कंपनी का राजस्व सालाना आधार पर 49 प्रतिशत बढ़ा, जबकि एबिटा में 60 प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया। इससे मार्जिन सालाना आधार पर 160 आधार अंक बढ़कर 22.5 प्रतिशत पर रहा। यह सुधार मार्च के अंत में लॉकडाउन के प्रभाव के बावजूद दर्ज किया गया। बीईएल की ऑर्डर बुक 52,000 करोड़ रुपये की है और इससे चार साल के लिए राजस्व संभावनाओं का संकेत मिलता है। बीईएल द्वारा वित्त वर्ष 2020 के दौरान हासिल किए गए बड़े ऑर्डरों में आकाश मिसाइल सिस्टम, कोस्टल सर्वीलांस सिस्टम, और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम (ईडब्ल्यूएस) और सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो को अपग्रेड करने जैसे बड़े सौदे शामिल रहे। वित्त वर्ष 2021 में, ईडब्ल्यूएस के लिए ऑर्डरों में हल्के लड़ाके विमान आदि के लिए ठेके मिलने की संभावना है। कंपनी ने कोविउ-19 संकट के बीच गैर-रक्षा उपकरण क्षेत्र जैसे वेंटिलेटर में भी विस्तार किया है। एडलवाइस के विश्लेषकों का कहना है, ‘बेहतरर सिस्टम इंटिग्रेशन क्षमताओं के साथ बीईएल दो-तीन वर्षों के दौरान बड़े कारोबार, बेहतर नकदी प्रवाह और प्रतिफल में सक्षम है।’
निजी आरऐंडडी के साथ, बीईएल को बीडीएल के मुकाबले बढ़त हासिल है। बीडीएल फिलहाल डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) द्वारा तैयार एवं विकसित परियोजनाओं पर निर्भर करती है और उसका निवेश एक ही सेगमेंट (मिसाइल) से जुड़ा हुआ है। फिर भी, बीडीएल तेजी से वृद्घि के लिए तैयार है। उसने मार्च तिमाही में शानदार प्रदर्शन दर्ज किया। कंपनी ने आकाश मिसाइल परियोजना में पहले 9 महीनों से टाली गई बिक्री को पूरा कर अपनी स्थिति मजबूत बनाई। बिक्री सालाना आधार पर 64 प्रतिशत बढ़ी, जबकि बेहतर बिक्री समावेश और परिचालन दक्षता से एबिटा सालाना आधार पर 236 प्रतिशत बढ़ा। कंपनी की 7,400 करोड़ रुपये की ऑर्डर बुक को 20,000 करोड़ रुपये के बड़े ऑर्डरों से मजबूत बनाया जा सकता है और फिलिपकैटिल के विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2022 के अंत में ऑर्डर बुक 22,500 करोड़ रुपये पर रहने का अनुमान है। आने वाले महीनों में मिलने वाले नए संभावित ऑर्डरों में आकाश मिसाइल (10,000 करोड़ रुपये), एस्ट्रा मिसाइल (2,500 करोड़ रुपये) और मिलन एंटीटैंक मिसाइल (800 करोड़ रुपये) के सौदे शामिल हैं।
जहाज निर्माता कंपनी कोचीन शिपयार्ड के लिए, अगले दो-तीन साल में भारतीय वायुसेना से बड़े जहाज के ऑर्डर मिलने की संभावना है। भारतीय वायुसेना अन्य पोतों के लिए भी नियमित तौर पर ऑर्डर जारी करती है। कोचीन शिपयार्ड ने नई पीढ़ी के मिसाइल पोतों, निगरानी पोतों, और मल्टी-पर्पज पोतों के लिए भी कुल मिलाकर 4,000-4,500 करोड़ रुपये के सौदों की बोलियां लगाई हैं। ये ऑर्डर मिलने से कंपनी की ऑर्डर बुक में भारी इजाफा हो सकता है। जहाज निर्माण के अलावा कंपनी जहाज मरम्मत का काम भी करती है जिससे उसके कुल राजस्व का 17 प्रतिशत हिस्सा हासिल होता है। 2,500 करोड़ रुपये मूल्य का घरेलू जहाज मरम्मत बाजार मजबूत राजस्व के लिए एक अच्छा अवसर है।
विमान और हेलिकॉप्टर निर्माण में लगी एचएएल की ऑर्डर बुक मार्च 2020 के अंत में 52,965 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2020 के राजस्व की 2.5 गुना) पर थी। इस महीने सुखोई विमान निर्माण का ऑर्डर मिलने के बाद इसमें 10,730 करोड़ रुपये तक का इजाफा हुआ है। एमआईजी विमान की अपग्रेडिट और हल्के लड़ाकू विमानों के निर्माण के ठेके बड़े अवसर बने हुए हैं। सीआईएमबी के विश्लेषकों को अगले 5-7 वर्षों के दौरान इस सौदों की वैल्यू 2.8 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
