कोविड-19 के कारण फैली महामारी के कारण बड़ी तादाद में लोगों को नौकरी गंवानी पड़ीं और उनकी आय में भी अच्छी खासी कमी आई। फिर भी देश की दो बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनियों ने त्योहारों के मौके पर आई अपनी-अपनी सेल में चार दिन के भीतर 3.5 अरब डॉलर का सामान बेच डाला। यह आंकड़ा किसी भी समय चौंकाने वाला होता और संकट तथा वित्तीय तंगी के इस दौर में तो से देखकर किसी की भी आंखें फैल जाएंगी। आंकड़ा देखकर वित्तीय सलाहकार मान रहे हैं कि बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी हैसियत से भी बढ़कर खर्च कर दिया है यानी उन्होंने फिजूलखर्ची की है।
अगर यह पढ़कर आप भी इस चिंता में पड़ गए हैं कि कहीं आपसे ज्यादा खर्च तो नहीं हो गया तो जल्दी से अपने परिवार की माली हालत का जायजा ले लीजिए और समझ लीजिए कि वित्तीय झटके से निपटने में आप कितने सक्षम हैं। इसके लिए आप एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के फाइनैंशियल इम्यूनिटी कैलकुलेटर का सहारा ले सकते हैं, जो उसकी वेबसाइट पर है।
क्या कहता है स्कोर
एसबीआई लाइफ ने नीलसन के साथ मिलकर हाल ही में एक सर्वेक्षण किया, जिसमें पता चला कि 50 फीसदी से ज्यादा भारतीय वित्तीय आपात स्थिति के लिए तैयार नहीं हैं। उनमें से कई तो यह भी नहीं पता कि वे कितने जोखिम में हैं। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के जोन 1 के अध्यक्ष रवि कृष्णमूर्ति बताते हैं, ‘फाइनैंशिलय इम्यूनिटी स्कोर बताता है कि कोई भी व्यक्ति वित्तीय तौर पर कितना तैयार है यानी किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने की उसकी कितनी तैयारी है।
आप कितने तैयार हैं, यह समझने के लिए आपको भी अपना इम्यूनिटी स्कोर जान लेना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले वेबसाइट पर जाकर कैलकुलेटर खोलिए। अब उसमें पूछी गई समूची जानकारी मसलन, आपकी आय, आप पर जिम्मेदारियां, आपका बीमा कवर आदि (बॉक्स देखें) भर दीजिए। उसके बाद कैलकुलेटर प्रतिशत में कोई आंकड़ा आपके सामने रख देगा। यही आपका इम्यूनिटी स्कोर है। स्कोर जितना ज्यादा है आप वित्तीय तौर पर उतने ही ज्यादा सुरक्षित हैं। कृष्णमूर्ति कहते हैं, ‘फाइनैंशियल इम्यूनिटी स्कोर लोगों की आंखें खोल देता है और उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति को अच्छी तरह समझकर नए सिरे से योजना बनाने का मौका देता है।’
विशेषज्ञों को भी लगता है कि इस तरह के कैलकुलेटर कारगर हो सकते हैं। एमबी वेथ सॉल्यूशंस के संस्थापक एम बर्वे कहते हैं, ‘हो सकता है कि लोगों को अपनी वित्तीय स्थिति और तैयारी की समझ नहीं हो। लेकिन रिटायरमेंट कैलकुलेटर या फाइनैंशियल इम्यूनिटी स्कोर जैसे ऑनलाइन साधन आपको आपकी स्थिति का मोटा अंदाजा दे देते हैं।’
स्कोर अच्छा नहीं तो…
अगर आपका फाइनैंशियल इम्यूनिटी स्कोर कम है तो आपको मुस्तैद होकर उसे सही करने के कदम उठाने पड़ेंगे। यदि अभी तक आप खुद ही खोजबीन कर निवेश करते आए हैं और आपका इम्यूनिटी स्कोर कम आया है तो इसका सीधा मतलब है कि आप अपने पैसे और निवेश को ठीक से नहीं संभाल रहे हैं। इसलिए किसी पेशेवर से सलाह लेना शुरू कर दीजिए। अगर आप पहले ही किसी वित्तीय योजनाकार से सलाह लेते आ रहे हैं फिर भी आपका स्कोर कम है तो उससे बात कीजिए और समझिए कि कहां कमी रह गई है और उसके लिए आपको क्या करना चाहिए।
खास पैमानों पर ध्यान
स्कोर आपको यह तो बता देगा कि आपकी वित्तीय स्थिति कितनी अच्छी या कितनी कमजोर है मगर इससे आपको यह पता नहीं चलेगा कि किस पैमाने या किस मोर्चे पर आप कमजोर हैं। इसे समझने के लिए आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी पड़ सकती है। इसमें सबसे पहले आपको देखना चाहिए कि आप कितने कर्ज में डूबे हैं। जिनका वेतन कम है, उन पर इस मामले में ज्यादा खतरा होता है। लैडर 7 एडवाइजरीज के संस्थापक सुरेश सदगोपन कहते हैं, ‘कम वेतन वाले लोगों के हाथ में आ रही तनख्वाह का 40-45 फीसदी से ऊपर हिस्सा ईएमआई में नहीं जाना चाहिए। ज्यादा वेतन वाले लोग 60 फीसदी तक हिस्सा ईएमआई में खर्च कर सकते हैं।’
टर्म बीमा पर ध्यान देना भी जरूरी है। खुद अंदाजा नहीं लगा सकते तो पेशेवर की मदद लीजिए। मगर बुनियादी बात यह है कि 40 साल से ऊपर उम्र वालों के सालाना वेतन का कम से कम 10 गुना और 40 से कम उम्र वालों के सालाना वेतन का 17 से 20 गुना टर्म बीमा कवर होना ही चाहिए। एकल परिवार को कम से कम 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा भी कराना चाहिए। अगर 20 लाख या उससे अधिक का बीमा है तो आपको कोई मुश्किल नहीं होगी।
सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चों की फीस, ईएमआई और बीमा प्रीमियम समेत कम से कम 6 महीने के घर खर्च के बराबर रकम आपातकाल के लिए रखी होनी चाहिए। जिनकी नौकरी पर जल्दी आंच आ जाती है, वे एक साल के खर्च के बराबर रकम रखें।