सरकार के इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) के लिए उधारी लक्ष्य से परे जाने की उम्मीद नहीं है। बॉन्ड मार्केट के प्रतिभागियों के अनुसार सरकार की राजकोषीय समेकन पर कायम रहने की योजना है।
सरकार की वित्त वर्ष 25 में 15.43 लाख करोड़ रुपये (सकल) की उधारी लेने की योजना है और इसमें से 6.6 लाख करोड़ रुपये दूसरी तिमाही में लिए जाने की उम्मीद है। मार्केट प्रतिभागियों ने अनुमान जताया कि केंद्र सरकार की इस वित्त वर्ष की तुलना में आगामी वित्त वर्ष में अधिक उधारी नहीं हो सकती है। इसका कारण यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। सरकार राजकोषीय समेकन लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने खर्च में कटौती भी कर सकती है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमें इस वित्त वर्ष 2023 – 24 की दूसरी छमाही में अधिक उधारी की उम्मीद नहीं है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल उधारी करीब 15 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।’
बाजार के विश्लेषकों का अनुमान है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे लक्ष्य को करीब 50-60 आधार अंक कम कर सकती है। सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना है। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार का लक्ष्य जीडीपी का 5.9 प्रतिशत है और इसे 2025-26 तक 140 आधार अंक कम करना है।
बार्कलेज के ईएम एशिया इकनॉमिक्स (चीन के अतिरिक्त) के प्रमुख व प्रबंध निदेशक (एमडी) राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार वित्त वर्ष 24 में जीडीपी के 5.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकती है। हमें वित्त वर्ष 25 के बजट में जीडीपी के 5.3 प्रतिशत के घाटे का लक्ष्य नजर आता है।’
भारत का राजकोषीय घाटा आय और व्यय के अंतर का प्रतिनिधित्व करता है। भारत का राजकोषीय घाटा कोविड संबंधी बाधाओं के कारण 2020-21 में अपने उच्चतम स्तर 9.2 प्रतिशत पर पहुंच गया था। राजकोषीय घाटा 2021-22 में बेहतर होकर 6.8 हो गया और फिर 2022-23 में 6.5 प्रतिशत हो गया। सरकार का इस वित्त वर्ष के लिए लक्ष्य कम करके जीडीपी का 5.9 प्रतिशत करना है।
रॉक फोर्ट फिनकैप एलएलपी के प्रबंधकीय साझेदार व संस्थापक वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन के अनुसार, ‘सरकार को इस साल लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है। लिहाजा अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार उधारी को धीरे-धीरे कम करना शुरू कर सकती है।’
राज्य बॉन्ड की आपूर्ति अधिक होने के कारण बॉन्ड मार्केट के लिए इस तिमाही में महत्त्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। दिसंबर, 2023 में राज्यों के अतिरिक्त कर हस्तांतरण के बावजूद वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में राज्यों की उधारी बढ़कर 4.1 लाख करोड़ रुपये होने का संकेत मिला है।
बाजार प्रतिभागियों के अनुसार कुछ राज्यों ने उपलब्ध उधारी क्षमता के बराबर राशि जुटाने का संकेत दिया है।