हाइब्रिड फंडों को बनाए रखें अपने साथ

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:26 AM IST

वाइजइन्वेस्ट एडवाइजर्स के सीईओ हेमंत रुस्तगी ने कहा, ‘हाल में बाजार में गिरावट और निवेशकों के हाथ में आने वाले लाभांश पर कर लगाने के सरकार के फैसले के बाद नियमित लाभांश चाहने वाले लोग हाइब्रिड फंड श्रेणी से बहुत खुश नहीं हैं। हालांकि मुझे यह श्रेणी पसंद है क्योंकि यह कई तरह के निवेशकों के लिए अच्छी है।’
अगर हम पिछले साल के आंकड़ों को देखते हैं तो पाते हैं कि हाइब्रिड फंड श्रेणी जनवरी के अंत तक अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। इसमें फंड प्रबंधक इक्विटी और डेट में निवेश करते हैं और अपनी आर्बिट्राज की रणनीति इस्तेमाल करते हैं। इस श्रेणी में प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) जनवरी में 4.11 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थीं, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक थीं। मगर फरवरी से एयूएम घट रहा है और यह मई के आखिर में 25 फीसदी घटकर 3.2 लाख करोड़ रुपये पर आ गई थीं।
यह श्रेणी विभिन्न प्रकार के निवेशकों को लुभाती है। इनमें से एक मासिक लाभांश चाहने वाले निवेशक हैं, जो इन योजनाओं पर नियमित आय के लिए निर्भर हैं। जब फंड प्रबंधक बाजार में भारी गिरावट के कारण लाभांश नहीं दे पाए तो इस निवेशक वर्ग को तगड़ा झटक लगा। रुस्तगी ने कहा कि एक अन्य निवेशक वर्ग ऐसा है, जो शेयर बाजार में उतरना चाहता है मगर उन्हें उन योजनाओं का पता नहीं है, जिनमें उन्हें निवेश करना चाहिए। ऐसे में यह श्रेणी उन लोगों के लिए अच्छी है, जो अपने निवेश का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में लगाना चाहते हैं मगर पूरी तरह शेयर बाजार में नहीं उतरना चाहते हैं।
ओपन-ऐंड हाइब्रिड इक्विटी ऑरियंटेड स्कीम इन निवेशकों के लिए कारगर हैं क्योंकि उन्हें इक्विटी के कर लाभ मिलते हैं। रुस्तगी ने कहा कि वे भविष्य में लार्ज कैप एवं मिड कैप योजनाओं में भी जा सकते हैं।
एक अन्य फंड प्रबंधक ने कहा कि निवेशकों का एक अन्य तीसरा वर्ग भी है, जो सक्रिय परिसंपत्ति आवंटन को संभाल नहीं सकता है। ये निवेशक इक्विटी या डेट में आवंटन के लिए वित्तीय योजना नहीं बनाते हैं। यह योजना इसलिए अच्छी है क्योंकि इससे उन्हें किसी समय शेयरों या डेट में अधिक निवेश से स्वाभाविक सुरक्षा मिलती है। एक फंड प्रबंधक ने कहा कि बहुत से निवेशक प्रतिफल के लिए इक्विटी में अगले 10 साल या उससे अधिक इंतजार नहीं करना चाहते हैं, इसलिए यह उनके लिए मध्यम अवधि का विकल्प है।
इसलिए यह श्रेणी दोतरफा काम करती है। अच्छे समय में छप्पर फाड़ प्रतिफल नहीं देती है, मगर शेयर बाजारों में भारी गिरावट के समय निवेशकों को बड़ा झटका भी नहीं देती है। लार्ज या मिड कैप या मल्टी कैप फंडों में केवल शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को इन श्रेणियों ने पिछले तीन साल में औसतन 25 फीसदी प्रतिफल दिया है क्योंकि बाजार मार्च के निचले स्तरों से ऊपर उठ गया है। यहां तक कि हाइब्रिड फंडों में सबसे आक्रामक खंड हाइब्रिड एग्रेसिव श्रेणी ने 6 जुलाई की नेट एसेट वैल्यू के हिसाब से 21.45 फीसदी प्रतिफल दिया है। पिछले छह महीनों के दौरान लार्ज कैप फंडों की श्रेणी का औसत प्रतिफल 9.07 फीसदी रहा है, जबकि इन योजनाओं में केवल -6.61 फीसदी गिरावट आई है। संक्षेप में कहें तो प्रतिफल और जोखिम दोनों सीमित हैं।
निवेश विशेषज्ञों की राय इन योजनाओं को लेकर बंटी हुई है। बहुत से विशेषज्ञों का मानना है कि उनके इक्विटी एवं डेट के प्रदर्शन को मापना मुश्किल हो जाता है। वित्तीय योजनाकार सुरेश सदगोपन ने कहा, ‘हम आम तौर पर भ्रम की स्थिति से बचने की कोशिश करते हैं और डेट एवं इक्विटी में अलग-अलग निवेश करते हैं। लेकिन अगर एक ही योजना का विकल्प हो तो हम इन फंडों का विकल्प चुनेंगे।’
हालांकि आगामी समय में डेट एवं इक्विटी बाजारों में अस्थिरता रहने के आसार हैं, इसलिए ऐेसे अनिश्चित समय में निवेशकों के लिए ऐसी किसी योजना में निवेश करना तर्कसंगत होगा। यह किसी खंड में भारी उतार-चढ़ाव में भी हेजिंग का काम करेगी।

First Published : July 23, 2020 | 12:35 AM IST