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खनन नीति का लाभ स्टील उद्योग को

Last Updated- December 05, 2022 | 4:48 PM IST

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पिछले सप्ताह पारित नई खनन नीति (एनएमपी) में राज्यों के भीतर ही स्टील संयंत्र लगाने की कंपनियों की मजबूरी को खत्म कर दिया है।


 लौह अयस्क खनन के लिए पट्टे लेने वाली कंपनियों को पहले उसी राज्य में संयंत्र लगाना जरूरी होता था। इस महत्वपूर्ण फैसले से उन इस्पात कंपनियों को लाभ मिलेगा, जो कच्चे माल की खरीद खुले बाजार से करती हैं।


इस्पात उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है, ‘एएमपी के बारे में पारित कैबिनेट नोट में कहा गया है कि पूरा देश एकल आर्थिक क्षेत्र है। इसलिए किसी भी कंपनी को किसी राज्य में खनन से इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि वह अपना संयंत्र किसी दूसरे राज्य में स्थापित कर रही है।’


यह नीति स्टील उद्योग के लिए के लिए सकारात्मक साबित हो सकती है। स्टील उत्पादक इस नीति के तहत काम करने में अभी संशय की स्थिति में हैं। उनका कहना है, ‘लौह अयस्क के खनन के  लिए आवंटन किस आधार पर किया जाएगा? लौह अयस्क बहुल राज्य किस आधार पर कंपनियों को अपने राज्य में आने का न्योता देंगे, अगर वे अपना स्टील संयंत्र किसी दूसरे राज्य में स्थापित करना चाहती हैं?’


वर्तमान हालात में खनन के लिए लीज पर खदानों का आवंटन राज्य सरकारें करती हैं। नई नीति में खनन के साथ-साथ वैल्यू एडीशन के बारे में भी कहा गया है। उसमें स्पष्ट है कि वैल्यू एडीशन करने वाली कंपनियों को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए, अगर ऐसी कंपनियां सामने नहीं हैं उसी हालात में केवल खनन की इजाजत मिलनी चाहिए।


खनन से जुड़े लोगों का कहना है, ‘पिछले 7 साल से राज्यों ने 15 खदानों के लिए पट्टे दिए हैं। इसमें से 12 मर्चेंट माइनर्स हैं, जो केवल कच्चा माल देते हैं। हम खुले बाजार से कच्चे माल की खरीदारी करके ही काम चलाते हैं। वैल्यू एडीशन करने वालों को खदान के पट्टे में प्राथमिकता दिए जाने से हमें लाभ मिलने की पूरी उम्मीद है।’


आर्सेलर मित्तल और पोस्को जैसी कंपनियों ने तमाम नई परियोजनाओं की घोषणा की है। उनके कामों में कोई खास प्रगति नहीं नजर आती। इसका कारण साफ है कि उन्हें कच्चा माल मिलने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस नीति से वर्तमान में इस क्षेत्र में काम कर रही एस्सार स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों को भी फायदा मिलेगा, जिनके पास खुद की खदानें नहीं हैं। वर्तमान स्टील क्षमता 580 लाख टन की है।

First Published - March 20, 2008 | 10:20 PM IST

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