भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को ऐलान किया कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में निवेश के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की सीमा मौजूदा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएगी। इस कदम को आईपीओ आवंटन प्रक्रिया में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
अभी वैयक्तिक निवेशक किसी आईपीओ की खुदरा श्रेणी में 2 लाख रुपये तक निवेश के लिए आवेदन कर सकता है, जो यूपीआई लेनदेन की ऊपरी सीमा है। इसके परिणामस्वरूप प्रथम दृष्टया आरबीआई की तरफ से बढ़ाई गई सीमा वैयक्तिक निवेशकों को फायदा नहीं पहुंचाएगा। हालांकि बाजार नियामक सेबी एचएनआई श्रेणी में वैयक्तिक निवेशकों की भागीदारी मजबूत करने के लिए आईपीओ आवंटन प्रक्रिया में बदलाव पर काम कर रहा है।
4 अक्टूबर को जारी चर्चा पत्र में बाजार नियामक ने एचएनआई के लिए श्रेणी के भीतर श्रेणी बनाने का प्रस्ताव रखा है ताकि अपेक्षाकृत कम निवेश करने वालों के हितों की रक्षा हो। सेबी ने कहा कि एचएनआई श्रेणी में 2 से 10 लाख ररुपये तक निवेश करने वालों के लिए विशेष व्यवस्था हो सकती है, जहां अभी 10 से 100 करोड़ रुपये तक निवेश करने वालों का वर्चस्व है।
एक निवेश बैंकर ने कहा, आरबीआई के प्रस्ताव से स्पष्ट संकेत मिलता है कि आईपीओ आवंटन प्रक्रिया में बदलाव वाला सेबी का प्रस्ताव मंजूरी के चरण में पहुंच गया है। 5 लाख रुपये तक यूपीआई लेनदेन की इजाजत वैसे लोगों को लक्षित करने के लिए दी गई है, जो एचएनआई श्रेणी में निवेश करेंगे। उन्होंने कहा, यह बदलाव भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ से पहले प्रभावी हो सकता है।
आरबीआई ने बुधवार को एक बयान में कहा, यूपीआई के तहत लेनदेन की सीमा मार्च 2020 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये की गई थी। खुदरा निवेशकों की तरफ से यूपीआई के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम व आईपीओ आवेदन में यह सीमा 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। एनपीसीआई की तरफ से अलग से दिशानिर्देश जल्द जारी किए जाएंगे।
ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, प्राथमिक बाजार में निवेशकों का आधार बढ़ाने के लिहाज से आरबीआई का प्रस्ताव काफी अहम है। सीमा में इजाफा करने से बाजार एचएनआी के लिए खुल जाएगा।
नवंबर में आईपीओ आवेदन में 76 लाख से ज्यादा यूपीआई मैंडेट देखने को मिले थे और यह जानकारी एनपीसीआई के आंकड़ों से मिली।
